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उंगली बराबर केले को जहर भरकर किया जा रहा बड़ा, ₹60 दर्जन में हर घर पहुंच रहा कैंसर, ऐसे करें खराब केले की जांच

केला एक ऐसा फल है जिसके स्वास्थ्य को अनगिनत फायदे हैं। इसमें वो सभी जरूरी पोषक तत्व पाए हाते हैं, जो शरीर के बेहतर कामकाज के लिए चाहिए। केला केले पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी6, फास्फोरस जैसे विटामिन और मिनरल्स का भंडार होता है।

केला खाने से पाचन मजबूत करने, वजन घटाने, वजन बढ़ाने, हड्डियों को मजबूत करने, ऊर्जा का लेवल बढ़ाने, दिल को स्वस्थ रखने और ब्लड शुगर कंट्रोल करने और कई फायदे मिलते हैं। लेकिन यह फायदे आपको तभी मिल सकते हैं, जब आप नेचुरल तरीके से पका केला खा रहे हों।

मगर क्या आप जानते हैं कि आप जो केला खा रहे हैं, वो खतरनाक केमिकल्स से पकाए जा रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि केले को समय से पहले तोड़कर उन्हें जबरदस्ती केमिकल्स से पाकर बाजार में बेचा जा रहा है। जाहिर है ऐसे में मजबूरन आपके शरीर में जहर घोला जा रहा है।

कार्बाइड, विशेष रूप से कैल्शियम कार्बाइड का केले और अन्य फलों को पकाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक ऐसा केमिकल है जिस पर भारत सहित कई देशों में बैन है। इसे स्वास्थ्य के लिए खतरा माना गया है। इससे पके फलों को खाने से कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों का खतरा होता है।

कैल्शियम कार्बाइड में आमतौर पर आर्सेनिक और फास्फोरस होते हैं। इन केमिकल्स के इस्तेमाल से सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं। इन खतरों के कारण, खाद्य सुरक्षा और मानकों के विनियमन 2.3.5 के तहत फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग पर प्रतिबंध (Ref )लगा दिया गया है। एथिलीन को फलों को पकाने के लिए किया सुरक्षित माना जाता है। एथिलीन हानिकारक नहीं है जब ठीक से उपयोग किया जाता है।

कैल्शियम कार्बाइड में अक्सर आर्सेनिक और फॉस्फोरस जैसे खतरनाक केमिकल्स होते हैं। इनके सेवन करने पर कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। एसिटिलीन गैस के संपर्क में आने से श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें खांसी, श्लेष्म झिल्ली में जलन और सांस लेने में कठिनाई शामिल है।

कार्बाइड के उपयोग से पेट दर्द, दस्त और जलन जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं। इतना ही नहीं, कैल्शियम कार्बाइड के लंबे समय तक संपर्क में रहने से तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो सकता है, जिससे सिरदर्द, चक्कर आना और भ्रम जैसे लक्षण हो सकते हैं।

NCBI पर प्रकाशित एक अध्ययन (ref) के अनुसार, कैल्शियम कार्बाइड के संपर्क में आने से चक्कर आना, सिरदर्द, मूड खराब होना और गंभीर मामलों में दौरे जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण हो सकते हैं। कैल्शियम कार्बाइड से आर्सेनिक और फास्फोरस के लंबे समय तक संपर्क में रहने से कैंसर का भी खतरा होता है।

कृत्रिम रूप से पके फलों में अक्सर प्राकृतिक रूप से पके फलों की तुलना में कम पोषण मूल्य होता है। उनमें शुगर और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों का पूर्ण विकास नहीं हो सकता है, जिससे उनके स्वास्थ्य लाभ कम हो जाते हैं।

कार्बाइड से पके केले अक्सर असमान रूप से पकते हैं। केले के कुछ हिस्से पीले हो सकते हैं जबकि अन्य हरे रह सकते हैं।
कैल्शियम कार्बाइड से पके केले प्राकृतिक रूप से पके केले की तुलना में जल्दी खराब हो जाते हैं।
कार्बाइड से पके केले की त्वचा अक्सर अधिक पीली दिखाई देती है और चमकदार दिखाई दे सकती है, लेकिन मांस कम पका हुआ या सख्त रहता है।
प्राकृतिक रूप से पके केले को छूने पर मुलायम महसूस होता है, लेकिन फिर भी वह अपना आकार बनाए रखता है। यदि केला पूरी तरह पीला होने पर भी बहुत सख्त है, तो यह रसायन से पकाया गया हो सकता है।
प्राकृतिक रूप से पके केले में एक सुखद, मधुर खुशबू होती है। रसायन से पके केले में यह प्राकृतिक खुशबू नहीं होती।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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