रिश्वतखोर पुलिस अफसर को करारा झटका, कानून ने दिखाया अपना रौद्र रूप
पुनित चपलोत
भीलवाड़ा। कानून के नाम पर दलाली करने वाले एक और भ्रष्ट पुलिसकर्मी पर आखिरकार न्याय का शिकंजा कस ही गया। 12 साल पुराने रिश्वतखोरी के मामले में कोतवाली थाने के तत्कालीन सहायक उप निरीक्षक (ASI) लक्ष्मी नारायण शर्मा को एसीबी कोर्ट ने दोषी करार देते हुए ढाई साल के कठोर कारावास और ₹3,00,000 के भारी जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला भीलवाड़ा की एसीबी कोर्ट के न्यायाधीश ने सुनाया, जिससे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।
मुकदमे में “मदद” के नाम पर वसूली
विशिष्ट लोक अभियोजक राजेश अग्रवाल ने बताया कि 18 सितंबर 2013 को विवेकानंद नगर, हाल बापूनगर निवासी एडवोकेट ललिता शर्मा ने अपने मुवक्किल नवनीत अटल के साथ एसीबी द्वितीय के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश गुप्ता को एक गंभीर शिकायत सौंपी थी। शिकायत में खुलासा किया गया कि नवनीत अटल के खिलाफ तीन-चार मुकदमे दर्ज थे, जिनमें से एक की जांच कोतवाली थाने में तैनात ASI लक्ष्मी नारायण शर्मा कर रहे थे।
शिकायत के अनुसार, ASI शर्मा ने मुकदमे में राहत देने और मारपीट नहीं करने की एवज में ₹1,00,000 की मांग की, जिसमें से वह पहले ही ₹50,000 की रिश्वत वसूल चुका था और शेष ₹50,000 के लिए दबाव बना रहा था।
ACB का जाल, रंगे हाथ गिरफ्तारी
एसीबी ने शिकायत की गंभीरता को देखते हुए पहले सत्यापन करवाया। शिकायत सही पाए जाने पर 20 सितंबर 2013 को एसीबी ने जाल बिछाया और ललिता शर्मा से ₹50,000 की रिश्वत लेते हुए ASI लक्ष्मी नारायण शर्मा को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई ने पुलिस महकमे में खलबली मचा दी थी।
12 साल बाद न्याय की दस्तक
एसीबी ने विस्तृत अनुसंधान के बाद आरोपी ASI के खिलाफ एसीबी कोर्ट में चार्जशीट पेश की। लंबी सुनवाई और पुख्ता सबूतों के आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषी माना। मंगलवार को सुनाए गए फैसले में अदालत ने ढाई साल की सजा और ₹3 लाख के जुर्माने से दंडित किया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश
यह फैसला न केवल एक भ्रष्ट अधिकारी के पतन की कहानी है, बल्कि उन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए कड़ा संदेश है जो वर्दी की आड़ में कानून को बेचने का दुस्साहस करते हैं। एसीबी की इस कार्रवाई और अदालत के सख्त फैसले से साफ है कि भ्रष्टाचार चाहे जितना पुराना हो, कानून की नजर से बच नहीं सकता।


