सामूहिक रूप से कोटा फलोदी महिला मंडल ने बछ बारस समागम में भारतीय संस्कृति को किया जीवंत पढ़ें पूरी कवर स्टोरी
महिलाओं ने संतान प्राप्ति व उनकी लंबी उम्र की कामना के साथ गौवत्स द्वादशी व्रत का किया समापन
हाल ही में श्री फलोदी मांगलिक भवन में श्री फलोदी महिला मंडल सेवा समिति के तत्वाधान में मेडतवाल वैश्य समाज कोटा के परिवारों की महिलाओं ने बछ बारस का पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया।प्रवक्ता डॉ नयन प्रकाश गांधी ने बताया कि अध्यक्षा शारदा गुप्ता के नेतृत्व में सैकड़ों महिलाओ ने सामूहिक रूप से गाय एवं बछड़ों की पूजा कर गौवत्स द्वादशी की कथा का श्रवण किया और हरा चारा अनाज खिलाया और अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के साथ सामूहिक पूजन और व्रत का समापन उद्यापन बाजरे की रोटी ( सोगरा) व मोठ की सब्जी से भोजन करके किया ।परंपरागत मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गेहूं के आटे के स्थान पर बाजरे का आटा प्रयोग किया जाता है। साथ ही अंकुरित दलहन का सेवन किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से बच्चों का जीवन सुरक्षित रहता है और उनका कल्याण होता है। इस कार्यक्रम में महामंत्री शोभा घाटियां ,कोषाध्यक्ष प्रीति गांधी ,उपाध्यक्ष अनीता गुप्ता ,सह सचिव स्वाति गुप्ता ,सांस्कृतिक मंत्री खुशी भंडारी आदि सभी पदाधिकारियों की टीम के साथ मेडतवाल समाज की दो सो से ऊपर महिलाओं ने सामूहिक रूप से बछ बारस का पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया।
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👊सामूहिक रूप से महिला मंडल टीम ने आध्यात्मिक ,भारतीय संस्कृति को किया जीवंत
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महामंत्री शोभा घाटियां एवं कोषाध्यक्ष प्रीति गांधी ने बताया कि बछ बारस या यू कहे गोवत्स द्वादशी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है. यह पर्व गाय और बछड़े की पूजा और सेवा को समर्पित है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर गौ माता को बाजरे की रोटी, चने, मोठ, हरे मूंग, गुड़ और हरे फल अर्पित करती हैं और गौ माता का आशीर्वाद लेती है. ये प्रसाद न केवल धार्मिक रूप से शुभ माने जाते हैं, बल्कि इनमें मौजूद पोषक तत्व गौ माता के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं।बछ बारस पर गौ माता को अर्पित सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद बाजरे की रोटी है. यह रोटी पूरी तरह से शुद्ध बाजरे से बनाई जाती है और इसे विशेष विधि से ताजी तैयार किया जाता है. इसे गौ माता को चढ़ाना शुभ माना जाता है, क्योंकि बाजरा पोषण से भरपूर होता है और भारतीय परंपरा में इसे पवित्र अनाज माना जाता है।गौ माता को भीगे हुए चने और मोठ भी भोग में अर्पित किए जाते हैं. इनको भिगोना आवश्यक होता है ताकि ये नरम हो जाएं और गाय आसानी से इन्हें खा सके. चना और मोठ प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जिससे गौ माता की सेहत और पोषण का ध्यान रखा जाता है.हरे मूंग भी इस दिन गौ माता को अर्पित किए जाते हैं. ये न केवल स्वाद में हल्के और पौष्टिक होते हैं, बल्कि धार्मिक मान्यता के अनुसार इन्हें अर्पित करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. महिलाएं इसे साफ और ताजगी के साथ भोग में लगाती हैं।गौ माता को गुड़ खिलाना भी शुभ माना जाता है. गुड़ मिठास और ऊर्जा का प्रतीक है और इसे अर्पित करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है. कई परिवार गुड़ को छोटे टुकड़ों में काटकर गौ माता के सामने रख देते हैं.सिर्फ बाजरे की रोटी ही नहीं, साधारण बाजरा दाना भी गौ माता को भोग के रूप में दिया जाता है. यह पारंपरिक रूप से बछ बारस के दिन का अनिवार्य हिस्सा माना जाता है और इसे अर्पित करने से धार्मिक आशीर्वाद प्राप्त होता है.इस दिन गौ माता को हरे फल जैसे कि खीरा, अमरूद या मौसमी हरे फल अर्पित करना शुभ होता है. पंडितों के अनुसार हरे फल जीवन में तरोताजा ऊर्जा और स्वास्थ्य का प्रतीक हैं. इसे विशेष रूप से ताजगी के साथ भोग में रखा जाता है.
अंत में शारदा गुप्ता ,शोभा घाटियां ,प्रीति गांधी एवं समस्त महिला मंडल पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों ने सहभागिता करने वाली सभी वरिष्ठ एवं युवी महिलाओं का सामूहिक रूप से अभिनंदन किया ।सभी बुजुर्ग महिलाओं और युवी महिलाओं ने टीम शारदा गुप्ता एवं श्री फलोदी महिला मंडल टीम के इस सामाजिक पुनीत भारतीय संस्कृति को सामूहिक त्यौहार हर्षोल्लास आध्यात्मिकता से मनाने हेतु भरसक प्रशंसा की और पूरी टीम को साधुवाद दिया ।महिला मंडल शारदा गुप्ता ने महिलाओं की अंतर्मन की भक्ति शक्ति और एकीकृत भावना को कार्यक्रम की सफलता का श्रेय बताया और कहा हमारी महिला मंडल टीम एक माध्यम है आप की सहभागिता कार्यक्रम का मुख्य सफलता का आधार हैl