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उजड़ा परिवार सहमे माता पिता की दर्दनाक आघात से उजागर हुआ ऑनलाइन गेमिंग का भयावह परिदृश्य

ऑनलाइन गेमिंग: भारत जैसे भारी युवा जनसंख्या वाले देश के लिए बढ़ता खतरा
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नए कानून के बाद क्या बदलेगा?

Untitled 155 e1754497497628       डॉ. नयन प्रकाश गांधी

स्मार्ट हलचल|ऑनलाइन गेमिंग आजकल एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है, खासकर युवाओं और बच्चों के लिए। हाल ही में कोटा के खेड़ा रामपुर गांव में एक दंपत्ति द्वारा आत्महत्या करने की घटना ने इस मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। इस घटना के बाद सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग विधेयक 2025 पास किया है, जिसका उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों को नियंत्रित करना और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

महत्वपूर्ण बिंदु:
– ऑनलाइन गेमिंग की लत: ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण युवाओं और बच्चों में मानसिक तनाव, अवसाद और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
– आर्थिक नुकसान: ऑनलाइन गेमिंग में हारने से आर्थिक नुकसान हो रहा है, जिससे कई परिवार परेशान हैं।
– नया कानून: ऑनलाइन गेमिंग विधेयक 2025 के तहत ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों को नियंत्रित करने और गलत गतिविधियों को रोकने के लिए प्रावधान किए गए हैं।
– सरकार की पहल: सरकार ने इस विधेयक को पास करके एक बड़ा कदम उठाया है, जिससे समाज को ऑनलाइन गेमिंग के खतरों से बचाया जा सके।
– समाज की जिम्मेदारी: अब समाज की जिम्मेदारी है कि वह इस कानून को सफल बनाने में सरकार का साथ दे और युवाओं और बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग के खतरों से बचाए।

डॉ. नयन प्रकाश गांधी का कहना है:
“ऑनलाइन गेमिंग विधेयक 2025 भारत में डिजिटल नागरिक सुरक्षा की दिशा में मील का पत्थर है। यह न केवल हमारे बच्चों और युवाओं को हिंसात्मक और गैर-जिम्मेदार गेमिंग गतिविधियों से बचाएगा, बल्कि परिवारों को आर्थिक और मानसिक सुरक्षा भी देगा।”

तथ्य और आंकड़े
औसतन 35% युवा मानसिक तनाव, अवसाद या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसका कारण मोबाइल और गेमिंग की अत्यधिक लत है।WHO की रिपोर्ट के अनुसार, गेमिंग डिसॉर्डर एक मानसिक बीमारी की श्रेणी में रखा गया है।
2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 7 करोड़ लोग नियमित तौर पर ऑनलाइन गेमिंग करते हैं।2019-2024 के बीच ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े मामलों में आर्थिक नुकसान 1,000 करोड़ रुपए से अधिक आँका गया।2019-2023 में 200 से अधिक आत्महत्या के मामले सीधे तौर पर ऑनलाइन गेमिंग या आर्थिक विवशता से जुड़े पाए गए।डॉ. गांधी का मानना है कि विधेयक के प्रावधान, जैसे गेमिंग कंपनियों की मॉनिटरिंग, खिलाड़ियों की आयु सत्यापन, और वित्तीय लेन-देन पर निगरानी, समाज को नई सुरक्षा देंगे।

प्रधानमंत्री की सराहना
प्रधानमंत्री जी ने संसदीय कार्यवाही के दौरान इस विधेयक की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि “नवीन भारत को सुरक्षित, स्वस्थ और जागरूक रखने की दिशा में सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है। यह विधेयक बच्चों की सुरक्षा, युवाओं की सही दिशा, परिवारों की खुशहाली और समाज के बेहतर भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।”मोबाइल, सोशल मीडिया एवं

👾गेमिंग का दुष्प्रभाव

बच्चों पर प्रभाव:
बच्चे, जो सीखने और मानसिक विकास की अवस्था में हैं, डिजिटल गेमिंग की लत के कारण अतिमानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन, आँखों की बीमारियाँ, सामाजिक अलगाव जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। कई बच्चे 6-8 घंटे तक मोबाइल पर समय बिताते हुए अपने अध्ययन और सेहत को नुकसान पहुँचा रहे हैं।

युवाओं पर प्रभाव:
युवा वर्ग में मोबाइल गेमिंग एवं सोशल मीडिया की लत के कारण नींद पूरी न होना, अवसाद, आक्रोश, सामाजिकता में कमी, ऑनलाइन फ्रॉड एवं आर्थिक नुकसान जैसी समस्याएँ सामने आई हैं। कई युवा हार कर खुदकुशी की ओर भी बढ़ जा रहे हैं।

बुजुर्गों पर प्रभाव:
बुजुर्ग भी आजकल मोबाइल गेमिंग एवं सोशल मीडिया में समय बर्बाद करते हुए अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। उनकी आँखों की रोशनी, मानसिक शांति और पारिवारिक बातचीत में गिरावट देखी गई है।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ
आँखों की कमजोरी, माइग्रेन, गर्दन एवं पीठ दर्द
अनिद्रा एवं डिप्रेशन,स्वस्थ जीवनशैली में बाधा, मोटापा,बच्चों-युवाओं में आक्रामकता एवं सामाजिक अलगाव,लंबे समय तक मोबाइल/गेमिंग से जुड़े रहने पर मानसिक बीमारियाँ

क्या बदलेगा?
नए कानून के बाद ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों पर लगाम लगेगी, जिससे युवाओं और बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग के खतरों से बचाया जा सकेगा। इसके अलावा, सरकार ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की मॉनिटरिंग करेगी और खिलाड़ियों की आयु सत्यापन और वित्तीय लेन-देन पर निगरानी रखेगी।
स्थानीय ग्राउंड रिपोर्टर विनोद गौड के अनुसार
खेड़ा रामपुर की घटना ने समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा किया था, जिसका समाधान अब सरकार के साहसिक कदम द्वारा सामने आया है। ऑनलाइन गेमिंग विधेयक 2025 न सिर्फ युवाओं एवं बच्चों को भविष्य में ऐसे हादसों से बचाएगा, बल्कि मोबाइल व सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों को भी नियंत्रित करेगा।यह विधेयक आधुनिक भारत को सुरक्षित और स्वस्थ रखने की सरकार की संकल्पना का प्रमाण है। नीति-निर्माताओं, समाजशास्त्रियों, डॉक्टरों, माता-पिता और पूरे देश के लिए यह समय है कि वे सहयोग करते हुए इसे सफल बनाएं, ताकि समाज में खुशहाली लौट सके और कोई दीपक राठौड़ एवं उसकी पत्नी जैसी त्रासदी दोहराई न जाए।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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