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40वाँ राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के अन्तर्गत कोटा केन्द्रीय कारागृह में नेत्रदान पखवाड़े के तहत संगोष्ठी आयोजित

केन्द्रीय कारागृह के अधीक्षक भैरू सिंह राठौर सहित, महिला एवं पुरूष बंदियों ने नेत्रदान का संकल्प लिया

कोटा।स्मार्ट हलचल|आई बैंक सोसाइटी ऑफ राजस्थान के कोटा चैप्टर इकाई की ओर से कोटा केन्द्रीय कारागृह में नेत्रदान पखवाड़े के तहत नेत्रदान जागरूकता संगोष्ठी आयोजित की गई। केन्द्रीय कारागृह कोटा के जेल अधीक्षक भैरू सिंह राठौर ने नेत्रदान का संकल्प लेकर कार्यक्रम की शुरूआत की।
संगोष्ठी में सोसायटी के अध्यक्ष डॉ के. के. कंजोलिया, काॅर्डिनेटर एवं वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डाॅ. सुरेश पाण्डेय, डाॅ. अमित सिंह राठौड़, समाजसेवी जी. डी. पटेल, आई बैंक कोटा टैक्निशियन टिंकू ओझा एवम् साइंटिफिक होलिस्टिक केयर एण्ड वेलनेस मोटिवेटर डाॅ. संजय सोनी सहित केन्द्रीय कारागृह के महिला/ पुरूष बंदियों के इंचार्ज सहित अन्य स्टाफ सदस्य उपस्थित थे। इस अवसर पर महिला/पुरूष बंदियों ने भी नेत्रदान का संकल्प लिया।
सोसायटी अध्यक्ष डॉक्टर के. के. कंजोलिया ने केन्द्रीय कारागृह में उपस्थित बंदियों को सम्बोधित करते हुए नेत्रदान प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। नेत्रदान मे मात्र कोर्निया निकाला जाता है जो 10 मीनिट की रक्तविहीन प्रक्रिया है।इससे मनुष्य के शरीर में कुरूपता नहीं आती है यह मात्र भ्रांति है और इसमें ओटी की भी आवश्यकता नहीं होती है। संगोष्ठी में वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉक्टर सुरेश पाण्डेय ने कहा कि विश्वभर में प्रत्येक चार में से एक अंधता से पीड़ित दृष्टिबाधिता से पीड़ित व्यक्ति भारतीय है। यह अंधता भारत के लिए सबसे बड़ा अभिशाप व कलंक है। नेत्रदान के प्रति जन-जन में भागीदारी की अलख जगानी होगी। संगोष्ठी में नेत्र सर्जन डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने नेत्र माॅडल के माध्यम से नेत्र की संरचना, विभिन्न नेत्र रोग, दृष्टि दोष, इत्यादि की विस्तार से जानकारी दी। डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने कहा कि मृत्यु के बाद भी जीना है तो नेत्रदान कीजिए, क्योंकि आँखें बंद होगी तो किसी ओर की खुलेगी।नेत्रदान केवल 10 मिनट की प्रक्रिया है, लेकिन इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक अमर रहता है।
नेत्रदान संगोष्ठी के दौरान आई बैंक सोसायटी के टेक्निशियन टिकू ओझा ने कार्निया, आइरिस, लेंस, रेटिना व रिसेप्टर से पूरे चित्र बनने की प्रक्रिया को साझा किया। गायत्री जी. डी. पटेल ने नेत्रदान की जागरूकता बढ़ाने के लिए बंदियों को नेत्रदान करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दौरान साइंटिफिक होलिस्टिक केयर एण्ड वेलनेस मोटिवेटर डाॅ. संजय सोनी ने पोष्टिक जीवन शैली की महत्ता को लाइव डेमो के माध्यम से बड़े ही आकर्षक ढ़ंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने जेल स्टाफ सदस्यों एवं जेल बंदियों को हेल्दी बे्रकफास्ट जैसे अंकुरित अनाज, सलाद प्रोबायोटिक आदि बनाने के आसान और व्यावहारिक सुझाए भी साझा किए।

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