शाहपुरा। पेसवानी
शाहपुरा। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सानिया हाशमी ने शनिवार को देवली पुलिस थाना हनुमान नगर, जिला भीलवाड़ा में वर्ष 2017 में हुई मारपीट मामले में अभियुक्त आशुतोष और अश्वनी कुमार को विभिन्न अपराध धाराओं में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। यह मामला सामाजिक स्तर पर विशेष ध्यान आकर्षित कर चुका था क्योंकि इसमें पीड़ित पर चाकू से हमला कर सोने की चेन और नगदी छीनने की गंभीर घटना हुई थी।
अपर लोक अभियोजक हितेष शर्मा ने बताया कि वर्ष 2017 में परिवादी राजेंद्र कुमार ने थानाधिकारी हनुमान नगर को तहरीर देकर रिपोर्ट दी थी। उन्होंने बताया कि उनका भाई और भतीजा अपने होटल से मोटरसाइकिल पर घर लौट रहे थे। पेट्रोल पंप चैराहे पर पहुंचते ही छह से सात अज्ञात व्यक्ति उनके रास्ते में आ गए। आरोप है कि इन व्यक्तियों ने चाकू की नोक पर उन पर हमला किया, जिससे गले से सोने की चेन और नगदी छीन ली गई। इस हमले में पीड़ित गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
इस पर पुलिस थाना हनुमान नगर ने तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 105/2017 दर्ज की और पूरे मामले की गंभीरता से जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच के बाद अभियुक्त आशुतोष और अश्वनी कुमार के खिलाफ अपराध धारा 143 (सामूहिक उपद्रव), 341 (गैरकानूनी रोक), 324 (गंभीर चोट पहुंचाना), 326 (चाकू से गंभीर चोट), 307 (हत्या का प्रयास) भारतीय दंड संहिता तथा धारा 4ध्25 आयुध अधिनियम के तहत आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
अपर लोक अभियोजक हितेष शर्मा ने अभियोजन पक्ष से कुल 15 गवाहों के माध्यम से प्रमाणित करवाया। साथ ही 38 दस्तावेजीय साक्ष्य भी न्यायालय में प्रस्तुत किए गए, जिन पर प्रदर्श अंकित कराए गए। सभी साक्ष्य एवं गवाहों की गहन जांच के पश्चात न्यायालय ने यह पाया कि अभियुक्तगण अपने दोषों के लिए पूरी तरह उत्तरदायी हैं।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सानिया हाशमी ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि अभियुक्त आशुतोष और अश्वनी कुमार द्वारा किए गए कृत्य न केवल गंभीर अपराध हैं, बल्कि समाज के लिए भी एक चुनौती हैं। न्यायालय ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सभी गवाहों के बयानों और दस्तावेजों को ध्यानपूर्वक परखा। इन सबूतों के आधार पर अभियुक्तगण को भारतीय दंड संहिता की धारा 143, 341, 324, 326, 307 और सहपठित धारा 34 के तहत दोषी ठहराया गया। इसके अतिरिक्त, धारा 4ध्25 आयुध अधिनियम के तहत भी अभियुक्तगण दोषी पाए गए।
न्यायालय ने अभियुक्तों को अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग सजा सुनाई। प्रत्येक अभियुक्त को अधिकतम दस वर्ष का साधारण कारावास और 25 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया। इस फैसले को सामाजिक न्याय का महत्वपूर्ण उदाहरण बताया जा रहा है। इस दौरान पीड़ित परिवार, पुलिस अधिकारी न्यायालय परिसर में उपस्थित रहे।
अपर लोक अभियोजक हितेष शर्मा ने बताया कि इस फैसले से क्षेत्र में अपराध नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे समाज में व्याप्त अपराध पर नजर रखें और न्याय व्यवस्था का पूर्ण सहयोग करें।