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भारत ने बना ली पहली मलेरिया वैक्सीन, खून में पहुंचते ही बनाएगी ‘शील्ड’, ICMR ने इन 5 कंपनियों को दिया लाइसेंस

नईदिल्ली। मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में भारत ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने देश में निर्मित पहली मलेरिया वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. एडफाल्सीवैक्स नामक यह वैक्सीन मलेरिया के कई चरणों को एक साथ लक्षित करती है और रोगी की रक्षा करने की अपनी क्षमता बनाए रखती है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह वैक्सीन 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के भारत के लक्ष्य में एक बड़ी मदद साबित होगी.
एडफाल्सीवैक्स नामक यह वैक्सीन भारत का पहला ऐसा वैक्सीन है जो सबसे घातक मलेरिया परजीवी, प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम से बचाव के लिए बनाया गया है. यह टीका भुवनेश्वर स्थित आईसीएमआर के क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) में विकसित किया गया है. यह वैक्सीन एक खास तरीके से काम करता है. यह मलेरिया परजीवी को रक्त में पहुंचने से पहले ही रोक देता है. इससे न केवल व्यक्ति मलेरिया से सुरक्षित रहता है, बल्कि यह वैक्सीन इस बीमारी को दूसरों में फैलने से भी रोकता है.
एडाफैल्सिवैक्स की एक और खास बात यह है कि इसकी कीमत बहुत कम है. इसे बड़ी मात्रा में आसानी से बनाया जा सकता है और यह कमरे के तापमान पर 9 महीने से अधिक समय तक स्थिर रह सकता है. इसलिए, यह टीका ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में आसानी से उपलब्ध कराया जा सकता है.
इस टीके का निर्माण कौन करेगा?
ICMR ने एडाफैल्सिवैक्स के निर्माण के लिए पांच भारतीय कंपनियों को लाइसेंस दिया है. ये कंपनियां बड़े पैमाने पर इसका निर्माण और अंतिम परीक्षण पूरा करने के बाद इस टीके को उपयोग के लिए उपलब्ध कराएंगी.

इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड

टेकइन्वेंशन लाइफकेयर प्राइवेट लिमिटेड

पैनैक्सिया बायोटेक लिमिटेड

बायोलॉजिकल ई लिमिटेड

जाइडस लाइफसाइंसेज

भारत का मलेरिया उन्मूलन रोडमैप

भारत ने 2027 तक देश में मलेरिया के नए मामलों की संख्या शून्य करने और 2030 तक इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य रखा है. पिछले दस वर्षों में इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.

2017 में मलेरिया के लगभग 64 लाख मामले सामने आए थे.

2023 में यह संख्या घटकर 20 लाख हो गई.

2017 में मलेरिया से लगभग 11,100 मौतें हुईं.

2023 में यह संख्या घटकर 3,500 रह गई.

2024 में, भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की उच्च बोझ उच्च प्रभाव सूची से हटा दिया गया.

यह दर्शाता है कि भारत मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में सफल हो रहा है और अपने लक्ष्य के करीब पहुंच रहा है.
चुनौतियां

महत्वपूर्ण सुधारों के बावजूद, मलेरिया का पूर्ण उन्मूलन अभी भी आसान नहीं है.

ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में मलेरिया की दर अभी भी ऊंची है.

चुनौतियां और भी ज्यादा हैं क्योंकि इन इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं.

मानसून के बाद दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में मलेरिया के मामलों में वृद्धि हुई है, सितंबर में अकेले दिल्ली में 264 मामले सामने आए. यह पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक संख्या है.

एडाफैल्सिवैक्स क्यों महत्वपूर्ण है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, एडाफैल्सिवैक्स मलेरिया के खिलाफ एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है. यह टीका घातक परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम को रोकता है और बीमारी के प्रसार को रोकता है.
अगर भारत की मौजूदा जांच, इलाज और निगरानी रणनीति और एडाफैल्सिवैक्स एक साथ आ जाएं, तो मलेरिया उन्मूलन की गति और तेज हो जाएगी. इस टीके का मनुष्यों पर नैदानिक ​​परीक्षण जल्द ही शुरू होगा और डॉक्टरों को उम्मीद है कि यह टीका भारत को समय से पहले मलेरिया मुक्त बनाने में मदद करेगा.

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