रोहित सोनी
आसींद । आसींद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बदइंतजामी एक बार फिर सामने आई है। जहां रविवार रात को अलग-अलग मामलों में तीन गंभीर मरीजों को अस्पताल लाया गया, लेकिन समुचित चिकित्सा व्यवस्था और एंबुलेंस सुविधा के अभाव में उन्हें जिला मुख्यालय रेफर करना पड़ा। इस दौरान गंभीर मरीज लंबे समय तक अस्पताल के बाहर तड़पते रहे। आपको बता दे कि रविवार देर रात भाटी खेड़ा निवासी 17 वर्षीय प्रियंका कंवर को सांप ने काट लिया। परिजन उसे तुरंत आसींद सीएचसी लेकर पहुंचे। लेकिन डॉक्टरों ने भर्ती करने के बजाय कहा कि पहले बाहर जाकर जांच करवाओ। निजी लैब बंद होने से परिजन करीब आधा घंटा इधर-उधर भटकते रहे। इस बीच बालिका की हालत बिगड़ने लगी। परिजनों के हंगामे के बाद निजी लैब खुलवाई गई, जांच हुई, तब जाकर उपचार शुरू हुआ। इसके बाद उसे भीलवाड़ा रेफर कर दिया गया।
इसी दरमियान थोड़ी देर बाद झामरा का बाड़िया निवासी लीला देवी गुर्जर को भी मंदिर में दीपक करते समय सांप ने काट लिया। परिजन उसे आसींद सीएचसी लेकर आए, लेकिन उसे भी बिना भर्ती किए सीधे जिला मुख्यालय भेज दिया गया।
इतना ही नहीं तुरंत इसी घटना के बाद गुलाबपुरा-भीम नेशनल हाईवे 148D पर सुरेश पुत्र नारायणलाल भील (30) सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे भी आसींद सीएचसी लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने भीलवाड़ा रेफर कर दिया। लेकिन एंबुलेंस की उपलब्धता न होने से वह लंबे समय तक अस्पताल के बाहर पड़ा तड़पता रहा। बड़े दुर्भाग्य की बाद है कि क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है यह ओर यहां मरीज बड़ी उम्मीद लेकर पहुंचता है कि आसींद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार मिल जाएगा लेकिन उन्हें निराश होकर भीलवाड़ा लौटना पड़ रहा है।
इस विषय पर चिकित्सक डॉ. ललित ने स्वीकार किया कि – “हमारे यहां रात्रि को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। लैब और जांच की व्यवस्था बंद हो जाती है।”निजी लैब संचालक सत्यनारायण छिपा ने कहा कि – “प्रियंका को भर्ती करके इलाज शुरू किया जा सकता था, लेकिन डॉक्टरों ने जांच करवाने की शर्त रख दी।” प्रियंका के परिजनों का कहना था कि – “जब जिंदगी और मौत से जूझ रही बेटी को भर्ती कर प्राथमिक उपचार देना चाहिए था, तब डॉक्टर उसे इधर-उधर भटकाते रहे थे । डॉक्टर को भगवान का रूप माना जाता है, लेकिन यहां मरीजों की जान जोखिम में डाल दी जाती है।” इस विषय पर ग्रामीणों का कहना है कि आसींद सीएचसी होने के बावजूद रात के समय कोई भरोसेमंद चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। गंभीर स्थिति में मरीजों को रेफर करना मजबूरी बन गई है। समय पर उपचार और एंबुलेंस सुविधा न मिल पाने से कभी भी जनहानि हो सकती है। आसींद सीएचसी की अव्यवस्थाएं आमजन के लिए संकट बनी हुई हैं। यहां प्रतिदिन ओपीडी का ग्राफ सबसे अधिक रहता है, लेकिन रात के समय न तो जांच होती है और न ही आपातकालीन स्थिति से निपटने की व्यवस्था। परिणामस्वरूप जरा सा भी गंभीर मरीज आते ही उन्हें सीधे जिला मुख्यालय भीलवाड़ा रेफर कर दिया जाता है। भीलवाड़ा की दूरी करीब 60 किलोमीटर है। ऐसे में जब गंभीर मरीजों को बिना प्राथमिक उपचार के रेफर कर दिया जाता है तो कई बार उनकी जान रास्ते में ही चली जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि अस्पताल के पास पर्याप्त भवन, संसाधन और चिकित्सक हैं, लेकिन आपात स्थिति में कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने से लोगों का भरोसा टूट रहा है। प्राथमिक उपचार ही किसी भी गंभीर मरीज की जिंदगी बचाने की पहली सीढ़ी है। लेकिन आसींद सीएचसी में भर्ती कर उपचार शुरू करने के बजाय डॉक्टर सीधे रेफर कर देते हैं। इससे मरीज और परिजन दोनों संकट में पड़ जाते हैं। यदि सीएमएचओ स्तर पर चिकित्सा सुविधाओं को आसींद सीएचसी पर ही बेहतर बना दिया जाए, तो सैकड़ों मरीजों की जान यहीं बचाई जा सकती है। साथ ही जिला अस्पताल पर भी अनावश्यक दबाव कम होगा।