दुष्कर्म का प्रकरण पुलिस अनुसंधान में भी निकला झूठा।
ओम जैन
शंभूपुरा।चित्तौड़गढ़ नगर परिषद के पूर्व सभापति संदीप शर्मा के खिलाफ दर्ज हुए बहिचर्चित दुष्कर्म प्रकरण में पुलिस द्वारा अनुसंधान पूर्ण कर लिया गया है सम्पूर्ण अनुसंधान में पुलिस द्वारा पूर्व सभापति के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म प्रकरण को झूठा माना गया है एवं प्रकरण की अंतिम खात्मा रिपोर्ट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत कर दी गई है।
यह था मामला
विगत वर्ष 25 नवंबर को सभापति का कार्यकाल समाप्त होने के चार दिन पश्चात ही 29 नवंबर को एक विवाहिता द्वारा सभापति के खिलाफ दुष्कर्म एवं बंधक बनाए जाने का प्रकरण दर्ज कराया था उक्त प्रकरण में पूर्व सभापति को माननीय उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा कुछ दिन पश्चात स्टे मिल गया था उसके पश्चात प्रकरण के संपूर्ण पुलिस अनुसंधान में पाया गया कि उक्त प्रकरण भावावेश में झूठे तथ्यों का समावेश कर दर्ज कराया गया है जिसमें पूर्व सभापति संदीप शर्मा निर्दोष है एवं उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है।
प्रकरण में तीन बार हुआ अनुसंधान
उक्त प्रकरण दर्ज होने के पश्चात पूर्व सभापति ने एफ आई आर को रद्द करने हेतु धारा 482 में माननीय उच्च न्यायालय जोधपुर की शरण ली इसके पश्चात 17 दिसंबर 2024 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व सभापति की गिरफ़्तार पर स्टे दे दिया गया, तत्पश्चात पूर्व सभापति की पत्नी द्वारा आई जी रेंज उदयपुर को परिवाद देकर प्रकरण की निष्पक्ष जांच हेतु अग्रिम अनुसंधान चित्तौड़गढ़ जिले के बाहर करवाए जाने हेतु निवेदन किया जिस पर दिनांक 3 फरवरी 2025 को आईजी उदयपुर द्वारा उक्त प्रकरण की जांच लीव रिजर्व पुलिस उप अधीक्षक को सौंप दी गई, इसके बाद प्रकरण की पुनःजांच परिवर्तित करके अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महिला अपराध,उदयपुर को दे दी गई, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महिला अपराध द्वारा प्रकरण की संपूर्ण अनुसंधान किए जाने के पश्चात दिनांक 9 अप्रैल को माननीय उच्च न्यायालय में फैक्चुअल रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि पूर्व सभापति संदीप शर्मा के खिलाफ दर्ज प्रकरण झूठ है एवं पूर्व सभापति के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है।
मुख्यमंत्री कार्यलय तक पहुंची विवाहिता
प्रकरण में जांच के बाद संदीप शर्मा दोषी नही पाए गए और मामला झूठा होने की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद भी परिवादिया द्वारा प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करवाने हेतु में मुख्यमंत्री कार्यालय में परिवाद पेश किया गया, जिस पर पुलिस महानिरीक्षक (मुख्यमंत्री सुरक्षा) मुख्यालय जयपुर के द्वारा जांच को पुनः परिवर्तित करते हुए पुनः जांच हेतु पत्रावली अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिविल राइट्स जयपुर को स्थानांतरित कर दी गई, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिविल राइट्स जयपुर द्वारा प्रकरण में संपूर्ण अनुसंधान किया गया एवं अनुसंधान करने के पश्चात दिनांक 4 अगस्त एवं 11 अगस्त को माननीय उच्च न्यायालय में प्रकरण की फैक्चुअल रिपोर्ट पेश करते हुए प्रकरण को झूठा पाया एवं पूर्व सभापति संदीप शर्मा के खिलाफ कोई अपराध नहीं मानते हुए उन्हें निर्दोष माना। इस पर राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा 30 दिवस की अवधि में उक्त फाइनल रिपोर्ट को संबंधित न्यायालय में पेश करने के निर्देश दिए, उक्त निर्देशों की पालना में पुलिस निरीक्षक सदर थाना निरंजन प्रताप सिंह द्वारा 11 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट चित्तौड़गढ़ के समक्ष प्रकरण को झूठा मानते हुए एफ आर पेश की, उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के नियमों के अनुसार किसी भी प्रकरण की अधिकतम जांच तीन बार हो सकती है एवं उक्त प्रकरण की जांच तीन बार पूरी हो गई और सभी जांचों में सभापति के खिलाफ दर्ज प्रकरण को झूठा पाया गया।
मेरे खिलाफ सिर्फ ओर सिर्फ राजनीतिक षड्यंत्र था और कुछ नही
पूरे मामले में निर्दोष साबित हुए पूर्व सभापति संदीप शर्मा ने कहा मैंने पूर्व में भी कहा था कि यह मेरे खिलाफ एक राजनीतिक षड्यंत्र है, मैंने जो राजनीतिक जीवन में ईमानदारी से कार्य किया है उसी से कुंठित हो कर क्षेत्र के बड़े राजनेताओं ने एक महिला के पीछे छुपकर मेरी राजनीतिक एवं सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए पूरा षड्यंत्र रचा, लेकिन सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं, पुलिस जांच में सामने आ गया कि पूरा प्रकरण झूठा था।