देहरादून@स्मार्ट हलचल|उत्तराखण्ड राज्य में संस्कृत के उत्थान एवं विकास के लिए उत्तराखण्ड शासन के संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला के निर्देशन में उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी एवं संस्कृत बोर्ड के अधिकारियों की बैठक दिनांक 16 सितम्बर 2025 को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेडी के साथ विश्वविद्यालय मुख्यालय जनकपुरी नई दिल्ली में सम्पन्न हुयी।
संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने कहा उत्तराखण्ड राज्य की द्वितीय राजभाषा संस्कृत है तथा संस्कृत को समृद्ध बनाना व जन-जन तक पहुँचाना संस्कृत शिक्षा विभाग उत्तराखण्ड का लक्ष्य है। उन्होंने उत्तराखण्ड के संस्कृत विद्यालयों व महाविद्यालयों के लिए पुस्तकें, शिक्षक, छात्रवृत्ति, छात्रावासीय व्यवस्था तथा विश्व संस्कृत सम्मेलन, संस्कृत ग्रामों के विस्तार, वोकेशनल कार्यशाला, अष्टादशी योजना, शिक्षक कौशल विकास कार्यशाला आदि पर चर्चा करते हुये अनुदान का प्रस्ताव रखा।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा आश्वस्त किया गया कि उत्तराखण्ड देवभूमि है वहाॅ पर संस्कृत के उत्थान के लिए अधिक से अधिक सहयोग प्रदान किया जायेगा तथा उत्तराखण्ड को संस्कृत माॅडल के रूप में विकसित किया जायेगा।
बैठक में प्रो मधुकर भट्ट निदेशक योजना, दिव्यांशी, दिनेश कुमार उपकुलसचिव, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय तथा प्रोफेसर डा प्रकाशचन्द्र पन्त एवं डा सुमन प्रसाद भट्ट, एवं डा हरीशचन्द्र गुरुरानी शोध अधिकारी उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी आदि उपस्थित रहे।
साथ ही सचिव संस्कृत शिक्षा & कार्यक्रम क्रियान्वयन उत्तराखण्ड शासन के निर्देशन में कल भारत सरकार के सचिव संस्कृति मंत्रालय, दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन व ललित साहित्य अकादमी के भ्रमण के साथ-साथ, भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग के सचिव से भेंट कर ‘ मेरी योजना’ पुस्तक के प्रभाव पर अनुसंधान की चर्चा की.