शाहपुरा@(किशन वैष्णव)। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में 12 सितंबर 2025 को आयोजित भारतीय ज्ञान प्रणाली एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कुलगुरु द्वारा दिए गए आपत्तिजनक वक्तव्य को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, राजस्थान (उच्च शिक्षा) के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को जांच समिति की अध्यक्ष एवं उदयपुर संभागीय आयुक्त श्रीमती प्रज्ञा केवलरमानी को ज्ञापन सौंपकर सख्त कार्रवाई की मांग की।
महासंघ ने आरोप लगाया कि कुलगुरु ने महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान जैसे राष्ट्रीय नायकों की तुलना विदेशी आक्रांता अकबर से की तथा औरंगज़ेब जैसे क्रूरतम शासक को “कुशल प्रशासक” बताकर महिमामंडित किया। महासंघ ने इसे तथ्यहीन, भारतीय संस्कृति के अपमान और राष्ट्रीय अस्मिता पर आघात बताया।
महामंत्री प्रो. रिछपाल सिंह ने कहा कि, “कुलगुरु के शब्द मात्र व्यक्तिगत राय नहीं हैं, बल्कि शैक्षिक विमर्श की दिशा तय करते हैं। ऐसे वक्तव्य विद्यार्थियों को गुमराह करते हैं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल भावना के विपरीत हैं।”
अध्यक्ष प्रो. मनोज बहरवाल ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अधिनियम में कुलगुरु के दायित्व और मर्यादाएँ स्पष्ट दर्ज हैं। ऐसे आचरण से शिक्षा-जगत व शोध-परंपरा दोनों को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने अपेक्षा जताई कि जांच समिति निष्पक्ष जांच कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा करेगी।
महासंघ ने चेतावनी दी कि भारतीय इतिहास और महान विभूतियों का अपमान किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होगा। संगठन ने जांच समिति से ठोस और कड़ी अनुशंसा करने की मांग की ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल द्वारा प्राप्त शिकायतों के आधार पर 17 सितंबर को उदयपुर संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है, जो मामले की संपूर्ण पड़ताल करेगी।