बून्दी- स्मार्ट हलचल|शहर की गलियों में अपनी चाय की महक से पहचान बनाने वाले मोईनुद्दीन जी के लिए जीवन किसी चुनौती से कम नहीं था। उनका छोटा सा चाय का ठेला न केवल उनकी आजीविका का साधन था, बल्कि उनके पूरे परिवार की खुशियों की चाबी भी था। लेकिन, कोविड-19 महामारी की लहर आई और सब कुछ थम सा गया। लॉकडाउन के कारण उनका काम पूरी तरह से बंद हो गया। मोईनुद्दीन बताते हैं, “कोविड के बाद मेरा काम बिल्कुल ठप हो गया था। जमापूंजी धीरे-धीरे खत्म होने लगी और आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर हो गई थी। एक समय ऐसा आया जब घर का खर्च चलाना और बच्चों की जरूरतों को पूरा करना भी मुश्किल लगने लगा। भविष्य अंधकारमय दिख रहा था।”
ऐसे कठिन समय में, उन्हें प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के बारे में जानकारी मिली। यह योजना उनके जैसे छोटे सड़क विक्रेताओं के लिए एक नई सुबह की किरण बनकर आई। उन्होंने उम्मीद के साथ ऋण के लिए आवेदन किया और उन्हें आसानी से ऋण स्वीकृत हो गया।
इस ऋण राशि ने मोईनुद्दीन के जीवन में संजीवनी का काम किया। उन्होंने तुरंत अपने चाय के ठेले को नई ऊर्जा के साथ फिर से शुरू किया। धीरे-धीरे उनका काम पटरी पर लौटने लगा। चाय की चुस्कियों के साथ लोगों की रौनक भी उनके ठेले पर वापस आ गई।
मोईनुद्दीन भावुक होकर कहते हैं, “इस योजना से मिली मदद से मैंने दोबारा अपना काम शुरू किया। आज मैं न केवल अपने घर का खर्च आराम से चला पा रहा हूं, बल्कि अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को भी पूरा कर पा रहा हूं। मेरे परिवार की मुस्कान लौट आई है।” उनकी मेहनत और लगन का ही परिणाम है कि आज उनका व्यवसाय फिर से चल पड़ा हैं।
आत्मविश्वास से भरे मोईनुद्दीन अब अपने काम को और आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसी उद्देश्य से उन्होंने आज बून्दी में लगे शहरी सेवा शिविर कैंप के माध्यम से द्वितीय ऋण के रूप में 25,000 रुपये के लिए भी आवेदन कर दिया हैं।
मोईनुद्दीन कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहते हैं, “मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, राजस्थान सरकार एवं नगर परिषद, बून्दी का तहे दिल से धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मुझ जैसे छोटे व्यापारी को इस मुश्किल समय में सहारा दिया और आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान किया। यह योजना सिर्फ एक ऋण नहीं, बल्कि हमारे लिए स्वाभिमान से जीने का जरिया हैं।”


