गूँजी रामकथा: जनसैलाब के बीच बच्चों-युवाओं ने निभाई भूमिकाएँ, हर पीढ़ी कर रही
अजय सिंह (चिंटू)
आसलपुर-स्मार्ट हलचल|श्री आदर्श रामलीला मंडल द्वारा आयोजित रामलीला मंचन में राजा जनक द्वारा धनुष यज्ञ का आयोजन किया गया। मंचन में दिखाया गया कि सीता स्वयंवर में अनेक देश-विदेश के राजाओं ने शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की, लेकिन कोई सफल नहीं हुआ। अंत में विश्वामित्र के आदेश से श्रीराम ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई और उसे तोड़ दिया, जिससे सीता स्वयंवर संपन्न हुआ। इसके बाद अयोध्या से बारात आई और राम-सीता, लक्ष्मण-उर्मिला, भरत-मांडवी तथा शत्रुघ्न-श्रुतिकीर्ति का विवाह बड़े हर्षोल्लास से संपन्न हुआ। तत्पश्चात राजा दशरथ ने ऋषि वशिष्ठ की सलाह पर श्रीराम के राज्याभिषेक की घोषणा की।
मंडल अध्यक्ष ओमपाल सिंह ने जानकारी दी कि व्यास पीठ पर परीक्षित सिंह, महेश दाधीच और सरदार सिंह विराजमान रहे। रामलीला निर्देशक पवन दाधीच ने बताया कि पात्रों में चंद्रप्रकाश सारस्वत, प्रेमशंकर शर्मा, अनुराग कुमावत, मालूराम पारीक, त्रिवीण दाधीच, मनोज कुमावत, श्रवण कुमावत, लोकेश कुमावत, महेश पारीक, अंजनी दाधीच, गौरव दाधीच, गोकुल प्रजापति, विनय प्रजापति, मनीष दाधीच, देवेन्द्र सिंह और अंकित प्रजापति सहित कई कलाकारों ने उत्कृष्ट अभिनय कर दर्शकों का मन मोह लिया।
रामलीला शुरू होने से पहले भजन-कीर्तन के साथ आरती की जाती है। सरदार सिंह और महेश दाधीच अपनी मधुर वाणी से भजनों के द्वारा मंचन की शुरुआत करते हैं।
यह रामलीला न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि गाँव की परंपरा और धरोहर भी है। वर्षों से लगातार चली आ रही यह परंपरा आज भी बच्चों और युवा पीढ़ी द्वारा जीवंत रखी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि रामलीला का अनुभव टीवी से कहीं अधिक जीवंत और प्रभावशाली होता है। आसपास के गाँव और ढाणियों से उमड़ा जनसैलाब इस रामकथा का साक्षी बना।
आज के युग में जहाँ युवा पीढ़ी आधुनिकता की ओर बढ़ रही है, वहीं आसलपुर की रामलीला उन्हें सनातन धर्म, रामराज्य और रामलला की मर्यादा का पाठ पढ़ा रही है। यही वजह है कि यह आयोजन सिर्फ़ धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी बन चुका है।


