आत्मकल्याण ही जीवन का अंतिम लक्ष्य : विभाश्री माताजी
कोटा। स्मार्ट हलचल|विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर इन दिनों अध्यात्म, साधना और आत्मचिंतन का पावन केंद्र बना हुआ है। परम पूज्य गणिनी प्रमुख आर्यिका श्री 105 विभाश्री माताजी एवं आर्यिका श्री 105 विनयश्री माताजी (संघ सहित) के सान्निध्य में 13 पिच्छियों का चातुर्मास उत्सव धार्मिक अनुशासन एवं गरिमा के साथ निरंतर जारी है। इसी क्रम में आज से ऐतिहासिक कल्पद्रुम महामंडल विधान का शुभारंभ हुआ।
गौरवाध्यक्ष राजमल पाटौदी ने बताया कि यह आयोजन भक्तों को आत्मिक शांति, साधना और पुण्य संचय का अनुपम अवसर प्रदान कर रहा है।
अपने मंगल प्रवचन में पूज्य विभाश्री माताजी ने जीवन के गूढ़ सत्य और मानवीय कर्तव्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संसार में सबसे बड़ी दुर्गति मोह और आसक्ति है। धन, सोने-चाँदी और विषय-वासना में उलझा हुआ मनुष्य वास्तविकता से दूर होता है। यही मोह और लालसा जीवन को दुर्गति की ओर ले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि पुण्य गुरु मुनिराज लोचन के उपदेश में स्पष्ट है कि संसार की सबसे बड़ी विडंबना केवल केवलीज्ञान को प्राप्त न कर पाने में है। जिसने केवलीज्ञान को पा लिया वही इस जीवन को सार्थक करता है और वही सच्चे अर्थों में संसार सागर से पार उतर सकता है।
माताजी ने समझाया कि मानव जीवन अनमोल है और इसे आत्मशुद्धि के लिए ही प्रयुक्त करना चाहिए। मोह, लोभ, क्रोध और अहंकार का त्याग कर ही जीवन को पवित्र बनाया जा सकता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे भगवान की वाणी का श्रवण करें, धर्म को आचरण में उतारें और इस दुर्लभ मानव जन्म को सार्थक बनाएँ।
विधान के दौरान पाद प्रक्षालन का सौभाग्य ईश्वर संतोष सोनी को प्राप्त हुआ। शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य विनोद–समीता टौरड़ी को मिला, जबकि भोजन पूर्णियाजनक का सौभाग्य बाबूलाल जैन रेबारपुरा को प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन और शास्त्र भेंट जैसे विविध धार्मिक कार्यक्रम भी सम्पन्न हुए।
आयोजन में प्रकाश बज, रामरतन जैन, मुकेश बावरिया, इंद्र कुमार जैन, सुबोध जैन ट्रांसपोर्ट, रितेश सेठी, विजय पाटौदी, विनोद टौरड़ी, मनोज जैसवाल, राजेश सेठिया, पी.के. हरसोरा, मुकेश खटोड़ सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।


