भीलवाड़ा, पेसवानी
शारदीय नवरात्रि की पूर्णाहुति पर मंगलवार को स्थानीय शाम की सब्जी मंडी स्थित झूलेलाल मंदिर में सिंधी समाज द्वारा एक भव्य और श्रद्धामय आयोजन किया गया। झूलेलाल नवयुवक सेवा संस्थान के सेवाधारियों ने परंपरा को निभाते हुए 251 कन्याओं का सामूहिक पूजन किया। इस अवसर पर मंदिर परिसर श्रद्धा, सेवा और सामाजिक एकता के रंगों से सराबोर रहा।
कार्यक्रम का शुभारंभ मंदिर के पूजारी पंडित दशरथ मेहता के सानिध्य में हुआ। संस्थान अध्यक्ष चेलाराम लखवानी, वरिष्ठ समाजसेवी हेमनदास भोजवानी और उनके सहयोगियों ने विधि-विधान से कन्याओं का पूजन किया। प्रत्येक कन्या के चरण वंदन कर उन्हें दुपट्टा ओढ़ाया गया। इस दौरान वातावरण मंत्रोच्चार और श्रद्धा भाव से गूंज उठा।
पूजन के बाद कन्याओं को विशेष भोजन प्रसाद कराया गया जिसमें खीर, पुड़ी और हलवा प्रमुख रूप से शामिल था। इसके साथ ही संस्थान की ओर से कन्याओं को स्कूल पाठ्य सामग्री एवं अन्य उपयोगी सामग्री भी भेंट की गई। आयोजन का यह स्वरूप समाज में शिक्षा और संस्कार दोनों के महत्व को रेखांकित करता है।
संस्थान के सेवक कमल हेमनानी ने बताया कि झूलेलाल नवयुवक सेवा संस्थान वर्षों से नवरात्र पर कन्या पूजन की परंपरा निभा रहा है। उनका उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में कन्या सम्मान, शिक्षा और सेवा भाव को मजबूत करना है।
आयोजन में संस्थान के सभी पदाधिकारी और सेवक सक्रिय रूप से जुटे रहे। साथ ही शहर के कई अन्य समाजसेवियों ने भी अपनी उपस्थिति और सहयोग से कार्यक्रम को सफल बनाया। सेवा की इस भावना ने यह स्पष्ट किया कि समाज की एकजुटता से बड़े से बड़े कार्य सहज हो जाते हैं।
पूरे दिन मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। पूजन और प्रसादी के बाद श्रद्धालुओं ने बैंड की धुन पर नृत्य कर अपनी खुशी और आस्था व्यक्त की। झूलेलाल मंदिर का प्रांगण भक्ति, उल्लास और आनंदमय माहौल से भर गया।
इस सामूहिक पूजन के माध्यम से सिंधी समाज ने कन्या पूजन और सेवा की परंपरा को नई ऊंचाई दी। कन्या पूजन को देवी स्वरूप मानकर सम्मानित करना समाज में नारी के प्रति आदर और शिक्षा के महत्व का सशक्त संदेश देता है।
उल्लेखनीय है कि झूलेलाल नवयुवक सेवा संस्थान द्वारा आयोजित यह 251 कन्याओं का सामूहिक पूजन न केवल नवरात्रि की पूर्णाहुति का प्रतीक बना, बल्कि सेवा, संस्कार और समर्पण की मिसाल भी पेश की। इस अवसर पर सिंधी समाज के सेवाधारियों ने जिस निस्वार्थ भाव से कार्य किया, वह समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।


