भीलवाड़ा । भीलवाड़ा में एक नया बवंडर उठा है, और इस बार निशाने पर हैं वो तथाकथित “गायक कलाकार”, जो अपने गानों में गैंगस्टरों, हिस्ट्रीशीटरों और खनन माफियाओं की शान में कसीदे पढ़ते हैं । भीलवाड़ा पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र यादव ने इन “बदमाशो के बखान” करने वाले गायकों की गर्दन नापने का बीड़ा उठाया है। ये वो गायक हैं, जो अपने गानों से अपराधियों का हौसला बढ़ाते हैं और युवाओं के दिमाग में गलत रास्ते का बीज बोते हैं। लेकिन अब, भीलवाड़ा पुलिस ने इनकी “माइक की मस्ती” पर ब्रेक लगा दिया है । ये गायक अपने गीतों में अपराधियों को हीरो बनाकर पेश करते हैं। गैंगस्टरों की “दबंगई” और माफियाओं की “रौबदारी” को ग्लैमराइज करते हुए ये गाने सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं। नतीजा? युवा पीढ़ी इन बदमाशों को रोल मॉडल मानने लगती है। लेकिन एसपी धर्मेंद्र यादव ने साफ कर दिया है कि अब न तो ऐसे गाने चैन की नींद सोएंगे, न ही इनके गायक । पुलिस ने इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है, और ये पहल निश्चित ही अपराध की दुनिया में कदम रखने की सोच रहे युवाओं को रोकेगी । भीलवाड़ा पुलिस की इस मुहिम का मकसद सिर्फ गायकों को सबक सिखाना ही नहीं, बल्कि उन गानों को भी सोशल मीडिया से हटाना है, जो अपराध को बढ़ावा देते हैं। फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर इन गानों की भरमार है। अब समय है कि इन “गैंगस्टर भजनों” को डिलीट का बटन दबाकर हमेशा के लिए अलविदा कहा जाए। एसपी यादव का ये कदम एक मिसाल बन सकता है, बशर्ते इसे और सख्ती से लागू किया जाए।ये कार्रवाई सिर्फ गायकों पर नकेल कसने की बात नहीं है, बल्कि एक बड़ा संदेश है नई पीढ़ी के लिए। जो युवा इन गानों को सुनकर “गैंगस्टर बनने” के सपने देख रहे हैं, उनके लिए ये एक वेक-अप कॉल है। अपराध की दुनिया का कोई “हीरो” नहीं होता, और अब वक्त है कि समाज ऐसे गायकों को भी सबक सिखाए, जो बदमाशी को “कूल” बताकर युवाओं को गुमराह करते हैं। भीलवाड़ा पुलिस की इस पहल को अब पूरे राज्य में फैलाने की जरूरत है। हर उस गायक पर कानूनी शिकंजा कसना होगा, जो अपराधियों का महिमामंडन करता है। साथ ही, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। अगर ऐसे गाने अब भी ट्रेंड करते रहे, तो ये कार्रवाई अधूरी रह जाएगी।


