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वन्य जीव सप्ताह पर विद्यार्थियों ने किया संरक्षण स्थल का भ्रमण, वन रक्षक विश्राम मीणा बोले, वन्य जीव पारिस्थितिकी संतुलन के आधार स्तंभ हैं

शाहपुरा- मूलचन्द पेसवानी
वन्य जीव सप्ताह के अवसर पर सोमवार को शाहपुरा के निकटवर्ती फुलियाखुर्द ग्राम स्थित संरक्षण क्षेत्र में जीनियस चिल्ड्रन एकेडमी के छात्र-छात्राओं ने भ्रमण कर वन्य जीवों और पर्यावरण संरक्षण की जानकारी प्राप्त की। इस भ्रमण का उद्देश्य विद्यार्थियों में जैव विविधता, वन्य जीवों के महत्व और संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना था।
यह एक दिवसीय भ्रमण कार्यक्रम वन विभाग शाहपुरा के वन रक्षक विश्राम मीणा की अगुवाई में आयोजित किया गया, जिसमें विद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थियों और वन विभाग के कार्मिकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान वन विभाग के अधिकारियों ने विद्यार्थियों को वन्य जीवों के प्रकार, उनके प्राकृतिक आवास, पारिस्थितिकीय भूमिका, तथा संरक्षण के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विद्यार्थियों ने क्षेत्र में पाए जाने वाले पेड़-पौधों, पक्षियों और छोटे जीव-जंतुओं का अवलोकन किया और उनकी पारिस्थितिकीय भूमिका को समझा।
वन रक्षक विश्राम मीणा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि वन्य जीव केवल जंगलों की शोभा नहीं हैं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि “वन्य जीवों की सहायता से पौधों के बीजों का प्रसार होता है, मृदा का कटाव कम होता है और जल चक्र संतुलित रहता है। यदि वन्य जीवों की प्रजातियाँ समाप्त हो जाएँ, तो यह संतुलन बिगड़ सकता है और उसका सीधा असर मानव जीवन पर भी पड़ेगा।”
उन्होंने कहा कि वन्य जीव सप्ताह हमें यह याद दिलाता है कि हमारे चारों ओर का हर जीव पृथ्वी के जीवन तंत्र का अभिन्न हिस्सा है। अनेक जीव प्रजातियाँ आज विलुप्ति के कगार पर हैं, जिसका कारण जंगलों की अंधाधुंध कटाई, प्रदूषण, अवैध शिकार और जलवायु परिवर्तन है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियाँ कई जीव-जंतुओं को केवल किताबों में ही देख सकेंगी।
मीणा ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपने आसपास के पर्यावरण की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभाएँ, पेड़ लगाएँ, प्लास्टिक का उपयोग कम करें और वन्य जीवों के प्रति संवेदनशील बनें। उन्होंने कहा कि “हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे। छोटी-छोटी पहलें बड़े परिवर्तन की नींव रखती हैं।”
विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि ऐसे भ्रमण कार्यक्रम विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन के साथ-साथ उनमें संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की भावना भी उत्पन्न करते हैं। विद्यार्थियों ने भ्रमण के दौरान पेड़ों की प्रजातियों, पक्षियों के व्यवहार और जलाशयों की संरचना के बारे में भी प्रश्न पूछे, जिनका वन अधिकारियों ने विस्तार से उत्तर दिया। कार्यक्रम के दौरान वन विभाग के अधिकारियों ने यह भी बताया कि फुलियाखुर्द संरक्षण क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पक्षी, सरीसृप, छोटे स्तनधारी और औषधीय पौधे पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में जैव विविधता को संरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से सफाई अभियान, वृक्षारोपण कार्यक्रम और निगरानी कार्य किए जाते हैं।
कार्यक्रम के अंत में संस्था प्रधान ने वन विभाग का आभार व्यक्त किया और कहा कि “आज के इस भ्रमण से हमारे विद्यार्थियों ने न केवल पुस्तक से बाहर का ज्ञान प्राप्त किया, बल्कि उन्होंने यह भी समझा कि प्रकृति और वन्य जीवों का संरक्षण हमारे अस्तित्व से जुड़ा हुआ है।” उन्होंने कहा कि विद्यालय आगे भी वन विभाग के सहयोग से पर्यावरणीय गतिविधियाँ आयोजित करेगा, ताकि विद्यार्थियों में प्रकृति प्रेम और संरक्षण की भावना निरंतर बनी रहे।

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