शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
निकटवर्ती तसवारिया बासां गांव में सोमवार की रात शरद पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन सेन समाज की ओर से श्री श्याम महाराज मंदिर में धार्मिक उल्लास और हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस अवसर पर भक्ति, सेवा और एकता का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्यक्रम में भजन संध्या, पंगत प्रसादी, महाआरती, और शोभायात्रा जैसे अनेक धार्मिक आयोजन हुए, जिनमें आसपास के गांवों से सैकड़ों की संख्या में समाजजन और श्रद्धालु उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की मुख्य आतिथ्य मातृकुंडिया परगना सेन समाज के अध्यक्ष प्रहलाद सेन ने निभाई, जबकि अध्यक्षता परमेश्वर सेन (लुहारी कलां देवली) ने की। कार्यक्रम का संचालन और सूत्रधार की भूमिका रामगोपाल, रामप्रसाद, बालमुकंद एवं विनोद सेन ने निभाई। इस अवसर पर आयोजकों ने बताया कि यह पूरा कार्यक्रम शाहपुरा के पूर्व प्रधान स्वर्गीय लादूराम सेन की स्मृति को समर्पित है, जिन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
भजन संध्या का शुभारंभ श्री श्याम महाराज की आरती और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद प्रसिद्ध भजन गायक पिंटू सेन और सुख सेन ने शरद पूर्णिमा की पावनता, माता-पिता की सेवा के संस्कारों, और श्री श्यामजी महाराज की महिमा पर आधारित भजनों की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। उनकी मधुर आवाज और भावपूर्ण गायकी से वातावरण पूर्णतः भक्तिमय बन गया। दर्शकगण भक्ति रस में सराबोर होकर झूम उठे।
इस अवसर पर सेन समाज की ओर से गांव में बैंड-बाजों और ढोल-नगाड़ों के साथ बेवाण की शोभायात्रा निकाली गई, जो गांव के मुख्य मार्गों से होते हुए मंदिर परिसर में पहुंची। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। मंदिर परिसर को आकर्षक विद्युत सज्जा और रंगीन झालरों से सजाया गया, जिससे पूरा वातावरण आलोकित हो उठा।
मध्यरात्रि में श्री श्याम महाराज की महाआरती एवं वंदना का आयोजन किया गया। आरती के बाद भक्तों को खीर प्रसाद वितरित किया गया, जिसे शरद पूर्णिमा की चांदनी में ग्रहण करना धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके बाद समाज के सभी सदस्यों ने एक साथ पंगत प्रसादी का आनंद लिया।
कार्यक्रम में सेन समाज के चारों परगनों के समाजबंधु एकत्रित हुए, जिनमें गोपाललाल (गुदली), गोल (रेलमगरा), संपतलाल (बिजयनगर), महावीर, गोपाल, प्रवीण, रामेश्वर, भेरूलाल सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। इसके अलावा शाहपुरा, कैकड़ी, फुलियाकलां, देवली, जहाजपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़, सावर, डोहरिया, उम्मेदपुरा सहित अनेक गांवों से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
पूरे आयोजन में समाज की एकता, परंपरा और संस्कृति की झलक साफ नजर आई। उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजन न केवल समाज को एकजुट करते हैं, बल्कि नई पीढ़ी में संस्कार, सेवा भावना और भक्ति के मूल्यों को भी मजबूत करते हैं।
शरद पूर्णिमा की रात चांदनी से नहाया तसवारिया बासां गांव श्रद्धा और भक्ति के रंग में डूबा रहा। श्री श्याम महाराज मंदिर में गूंजते भजनों और सजावट की रोशनी से पूरा वातावरण दिव्यता से भर गया। सेन समाज ने कार्यक्रम के सफल आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में इस शरद पूर्णिमा महोत्सव को और भव्य रूप में मनाया जाएगा ताकि समाज की एकता और धार्मिक परंपरा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके।


