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चंबल परियोजना, अमृत जल योजना और ‘हर घर नल हर घर जल’ के बावजूद शाहपुरा में पेयजल संकट बरकरार

कार्यरत पाइपलाइन के ऊपर नई लाइन बिछाकर ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने के आरोप, दलित व भील बस्तियाँ अब भी शुद्ध पेयजल से वंचित
शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
राजस्थान सरकार और भारत सरकार ने मिलकर राज्य के हर नागरिक को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से “हर घर नल, हर घर जल” योजना शुरू की थी। इसी के तहत राज्य के कई हिस्सों में चंबल परियोजना और अमृत जल योजना को लागू किया गया है ताकि हर घर तक स्वच्छ पानी पहुँच सके। लेकिन शाहपुरा नगर पालिका क्षेत्र की हकीकत इन सरकारी दावों के बिलकुल विपरीत है। नगर के कई वार्ड और बस्तियाँ अब भी गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।
शाहपुरा नगर में स्थिति यह है कि विभागीय लापरवाही और ठेकेदारों की मनमानी ने करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद जनता को राहत नहीं दी। नगर में जहां पहले से कार्यरत पाइपलाइन सुचारू रूप से पानी पहुँचा रही थी, वहीं अब उसी स्थान पर नई पाइपलाइन डालने का कार्य किया जा रहा है। इससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी हो रही है, बल्कि लोगों में नाराजगी भी बढ़ रही है।

कार्यरत पाइपलाइन के ऊपर नई लाइन, उठे सवाल-
बेगू रोड पर लगभग दो वर्ष पूर्व नगर पालिका द्वारा पेयजल पाइपलाइन डाली गई थी, जो पूरी तरह कार्यरत है। इसके बावजूद जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग शाहपुरा द्वारा अमृत जल योजना के अंतर्गत उसी स्थान पर लगभग 100 मीटर लंबी नई 4 इंच की पाइपलाइन बिछाई जा रही है।
इस कार्य पर जीव दया सेवा समिति के संयोजक अतू खा कायमखानी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्य ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने और सरकारी धन की बर्बादी का स्पष्ट उदाहरण है। पहले से चालू पाइपलाइन के ऊपर नई लाइन डालना अनुचित है और यह जनता के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यों से सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।

भील बस्ती अब भी जल संकट से जूझ रही-
राजस्थान सरकार जहां दलित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं चला रही है, वहीं शाहपुरा नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर 35 स्थित आईटीआई के पास की भील बस्ती आज तक पेयजल पाइपलाइन से नहीं जुड़ पाई है। अतू खा कायमखानी ने बताया कि विभाग के कर्मचारियों द्वारा बस्तीवासियों से ₹8000 तक की राशि लेकर जल कनेक्शन देने की बात कही जा रही है। जबकि सरकार की “हर घर नल हर घर जल” योजना का उद्देश्य गरीब व निम्नवर्गीय परिवारों को निःशुल्क या रियायती दरों पर जल कनेक्शन उपलब्ध कराना है।
उन्होंने कहा कि विभाग चाहे तो कुछ सार्वजनिक नल खोलकर तत्काल राहत दी जा सकती है, मगर वर्षों से उपेक्षित यह बस्ती आज भी प्यास से त्रस्त है। गर्मी के मौसम में तो यहां के लोग पानी के लिए कई किलोमीटर दूर तक पैदल जाने को मजबूर होते हैं।

कुरैशी मोहल्ले में पाइपलाइन ऊपरी सतह पर, पानी का दबाव नहीं बनता-
शाहपुरा के दरगाह अहमद अली सरकार के सामने स्थित कुरैशी मोहल्ले में भी विभाग की लापरवाही साफ दिखाई देती है। यहां पाइपलाइन तो डाली गई है, लेकिन उसे ऊपरी सतह पर बिछाने के कारण पानी का दबाव नहीं बन पाता। इस वजह से मोहल्लेवासियों को वर्षों से पानी नहीं मिल पा रहा है।
जीव दया सेवा समिति के सदस्यों ने इस समस्या को लेकर पूर्व में उपखंड अधिकारी और विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। लोगों का कहना है कि अधिकारी केवल कागजों में योजनाओं को पूर्ण दिखा रहे हैं, जबकि जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल अलग है।

भ्रष्टाचार और लापरवाही पर उठी जांच की मांग-
अतू खा कायमखानी ने कहा कि “हर घर नल हर घर जल” जैसी राष्ट्रीय योजना का उद्देश्य तभी सफल हो सकता है, जब विभागीय भ्रष्टाचार और ठेकेदारों की मनमानी पर अंकुश लगाया जाए। उन्होंने बताया कि अमृत जल योजना के नाम पर विभागीय कर्मचारी और ठेकेदार मनमाने तरीके से कार्य कर रहे हैं, जिससे जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग शाहपुरा की कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आखिर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद नगर की बस्तियों तक पानी क्यों नहीं पहुँच पा रहा।

जनता में आक्रोश, पारदर्शिता की माँग–
शाहपुरा के नागरिकों ने भी इन योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। नागरिकों का कहना है कि जब पहले से चालू पाइपलाइन कार्यरत थी तो उसी के ऊपर नई लाइन डालने की क्या आवश्यकता थी? जनता का मानना है कि अगर यह कार्य सही नियोजन के तहत किया गया होता, तो आज शाहपुरा में पानी की समस्या नहीं होती। स्थानीय लोगों ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह सभी योजनाओं की निगरानी जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों की भागीदारी से करे, ताकि ठेकेदारों द्वारा मनमानी पर रोक लग सके और आमजन को वास्तव में शुद्ध पेयजल का लाभ मिले।

आवश्यक कदम उठाए सरकार-
स्थानीय समाजसेवियों का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार इन गंभीर अनियमितताओं पर ध्यान दे और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करे। यदि ऐसे ही हालात बने रहे तो “हर घर नल हर घर जल” योजना केवल कागजों तक सीमित रह जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आने वाले दिनों में पेयजल संकट का समाधान नहीं किया गया तो जन आंदोलन चलाने पर मजबूर होना पड़ेगा।

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