चिकित्सा विभाग ने डॉक्टर्स एवं आमजन के लिए जारी की एडवाइजरी
बूँदी- स्मार्ट हलचल|प्रदेश में चार साल से कम उम्र के बच्चों को डेक्सट्रोमिथारफेन कफ सिरप देने पर रोक लगा दी गई है। इसे लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने जिले के निजी एवं सरकारी चिकित्सकों एवं आमजन के लिए जारी की गई एडवाइजरी में चार साल से कम उम्र के बच्चों को डेक्सट्रोमिथारफेन साल्ट का सिरप न देने के लिए कहा गया है। इससे अधिक उम्र के खांसी के रोगियों के केस में भी इस कफ सिरप के उपयोग से बचने की सलाह दी गई है।अधिक उम्र के रोगी को डेक्ट्रोमिथारफेन सिरप लिखते समय डॉक्टर परिजनों को दवाई के दुष्प्रभाव व सुरक्षित डोज की जानकारी भी देंगे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने निर्देश दिए कि आमजन को बिना डॉक्टर की पर्ची अथवा चिकित्सा सलाह के बिना किसी भी दवाई का उपयोग ना करे। उन्होंने कहा कि बच्चों को दवा देते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि बच्चे को खांसी, जुकाम व बुखार होने पर पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पिलाएं व आराम करवाएं। एक साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए शहद का उपयोग करें। दवाई को हमेशा बच्चों की पहुंच से दूर रखें। घर में रखी हुई पुरानी दवाई अथवा खोली हुई दवा बच्चों को ना दें। किसी भी दवाई से बच्चे में सुस्ती, बेहोशी, सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल में संपर्क करें। इसके अलावा किसी भी आपातस्थिति में जिला कण्ट्रोल रूम नम्बर 07472442895 पर जानकारी अवश्य दें।
वजन के आधार पर दें पैरासिटामोल की डोज
डॉ. सामर ने बताया कि हमेशा वजन के आधार पर बच्चों को पैरासिटामोल की डोज दी जावे। 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पैरासिटामोल की अधिक खुराक देने पर लीवर एवं गुर्दे संबंधी परेशानियां हो सकती है। दो माह से 6 साल के बच्चों के लिए 125 मिलीग्राम/5 मिलीलीटर सिरप एवं 6 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को 250 मिलीग्राम/5 मिलीलीटर सिरप का उपयोग करें।
बच्चों को खांसी का कारण पहचान कर उपयुक्त उपचार करें
उन्होंने निजी एवं सरकारी चिकित्सकों को निर्देश दिए कि बाल रोगियों को खांसी होने पर डेक्सट्रोमिथारफेन युक्त सिरप का प्रयोग ना करें। 4 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यह दवा बिलकुल ना दी जाए। बच्चों में खांसी के कारण का पहचान कर उसका उपयुक्त उपचार करें। यदि किसी बच्चे में डेक्सट्रोमिथारफेन के दुष्प्रभाव की जानकारी मिले, तो तुरंत जिला अधिकारी के माध्यम से निदेशालय को अवगत करावें।


