‘सार्थक संगत’ शैक्षिक सम्मेलन में हुआ बड़ा निर्णय
शाहपुरा मूलचन्द पेसवानी
प्राइवेट स्कूल ऑर्गेनाइजेशन राजस्थान के तत्वावधान में ब्यावर में आयोजित प्रदेश स्तरीय निजी विद्यालय शैक्षिक सम्मेलन “सार्थक संगत” में प्रदेशभर के निजी विद्यालय संचालकों ने एकजुट होकर सरकार से 11 सूत्री मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। इस सम्मेलन में निजी शिक्षण संस्थान के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर लाल धाकड़ ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए शिक्षाविदों, प्राचार्यों एवं स्कूल संचालकों ने निजी विद्यालयों से संबंधित समस्याओं और सरकारी नीतियों पर विस्तार से चर्चा की। सम्मेलन में यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि यदि सरकार ने अब भी निजी शिक्षण संस्थानों के हितों की अनदेखी की, तो संगठन प्रदेशव्यापी उग्र आंदोलन शुरू करेगा।
रामेश्वर लाल धाकड़ ने जानकारी दी कि राजस्थान के 11 संगठनों के संयुक्त सहयोग से 21 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया गया है। इस समिति का उद्देश्य निजी विद्यालयों की समस्याओं को एक स्वर में सरकार तक पहुंचाना और उनके समाधान के लिए ठोस रणनीति बनाना है।
सम्मेलन में पारित 11 प्रमुख मांगों में निम्नलिखित मुद्दे शामिल रहे।
विद्यालयों के भू-परिवर्तन पर सरकार द्वारा ली जाने वाली राशि को पूरी तरह हटाया जाए।
हाल ही में भरतपुर में एक स्कूल संचालक की गलत गिरफ्तारी जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
फीस बकाया होने की स्थिति में विद्यालयों को टीसी देने के लिए बाध्य न किया जाए।
आरटीई के अंतर्गत निजी विद्यालय संचालकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।
आरटीई के तहत प्री-प्राइमरी विद्यार्थियों की फीस का शीघ्र भुगतान किया जाए।
कक्षा 5वीं और 8वीं तक के विद्यार्थियों का बोर्ड शुल्क निजी विद्यालयों से न लिया जाए।
विद्यालय संबंधता शुल्क में की जा रही अनुचित वसूली को बंद किया जाए।
निजी स्कूलों के अवकाश (हॉलिडे) निर्धारण में सरकारी दखल बंद हो।
स्कूल समय के दौरान किसी भी प्रकार की कोचिंग क्लास संचालित न की जाए।
भवन सुरक्षा प्रमाणपत्र हेतु ली जाने वाली अत्यधिक फीस को घटाया जाए या समाप्त किया जाए।
धाकड़ ने सम्मेलन में कहा कि सरकार निजी शिक्षा संस्थानों को देश की शिक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ मानने के बजाय, उन पर अनावश्यक नियम और दंडात्मक प्रावधान थोप रही है। उन्होंने कहा कि निजी विद्यालयों ने वर्षों से ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर शिक्षा के प्रसार में अभूतपूर्व योगदान दिया है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह इन्हें सहयोगी भागीदार के रूप में देखे, न कि विरोधी के रूप में।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि यदि सरकार ने मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया, तो संगठन प्रदेशभर में प्रदर्शन, धरना और रैली के माध्यम से जन आंदोलन खड़ा करेगा। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक निजी विद्यालयों से संबंधित नीतियों में सुधार नहीं किया जाता।
सम्मेलन के दौरान शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वरिष्ठ विद्यालय संचालकों को सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। मंच संचालन बीकानेर के गिरीराज खेरीवाल ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रदेशभर से आए विद्यालय संचालक, शिक्षाविद, संगठन पदाधिकारी एवं शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। सम्मेलन का समापन “शिक्षा की स्वतंत्रता देश की प्रगति का आधार” के संकल्प के साथ किया गया।


