* धार्मिक पुष्कर मेला 2 से 5 नवम्बर तक होगा
(हरिप्रसाद शर्मा)
पुष्कर/ अजमेर/स्मार्ट हलचल|अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर पशु मेला 22 अक्तूबर से शुरू होने जा रहा है। इसके साथ ही तीर्थनगरी पुष्कर के रेतीले धोरों में रौनक लौट आई है। पशुपालक जहां ऊंटों और अश्वों के आवागमन की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं मेला क्षेत्र में अस्थाई दुकानों, झूलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियां भी अंतिम चरण में हैं।
पुष्कर का यह प्रसिद्ध पशु मेला 22 अक्टूबर से 7 नवंबर तक आयोजित होगा। इस दौरान पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं और पशुपालकों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं एवं कार्यक्रम होंगे। पर्यटन विभाग द्वारा देशी और विदेशी पर्यटकों के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक और रंगारंग प्रस्तुतियां आयोजित की जाएंगी। देवस्थान विभाग की ओर से अभी कार्यक्रमों की सूची जारी नहीं की गई है लेकिन जिला प्रशासन, उपखंड प्रशासन और पुलिस विभाग द्वारा व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जबकि धार्मिक मान्यता के अनुसार पुष्कर मेला 2 नवम्बर से 5 नवम्बर तक होगा ।
मेला क्षेत्र में खाने-पीने और खरीददारी की अस्थाई दुकानें सजने लगी हैं। मनोरंजन के लिए दूर-दराज से आए झूला संचालकों ने अपने-अपने झूले और चकरी झूलों की स्थापना शुरू कर दी है। कई गगनचुंबी झूले अब आसमान को छूते नजर आ रहे हैं, जिससे मेला क्षेत्र की रौनक और भी बढ़ गई है।
रेतीले धोरों में ऊंटों की चहल-पहल भी देखने को मिल रही है। राज्य पशु ऊंटों के आगमन के साथ ही मेला क्षेत्र में ऊंट पालकों की आवाजाही बढ़ गई है। कई पर्यटक ऊंट सफारी का आनंद भी उठा रहे हैं। मेले में आने वाले पशुओं में सबसे अधिक संख्या ऊंटों की ही रहती है, जो इस आयोजन की विशेष पहचान है।
अश्वों के अस्तबल भी अब आकार लेने लगे हैं। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब समेत अन्य राज्यों से अश्व पालक अपने अश्वों के साथ पुष्कर पहुंचने लगे हैं। इन पालकों ने अपने अश्वों के ठहराव के लिए आलीशान अस्थाई टेंट बनाना शुरू कर दिया है। बीते कुछ वर्षों में मेले में अश्व व्यापार में काफी वृद्धि हुई है और लाखों रुपये में घोड़े खरीदे-बेचे जाते हैं। पुष्कर के रेतीले धोरों में बढ़ती चहल-पहल इस बात का संकेत है कि दुनिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक पुष्कर मेला अब अपने पूरे शबाब पर आने को तैयार है।


