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पुष्कर मेले में रेगिस्तान के जहाज ऊंटों की रौनक, देशभर से पहुंचे व्यापारी और खरीदार

*परंपरा, व्यापार और संस्कृति का यह संगम राजस्थान की जीवंत पहचान
* बारिश से पशु एवं पशुपालक परेशान

(हरिप्रसाद शर्मा)

पुष्कर/ स्मार्ट हलचल|अजमेर/विख्यात पुष्कर मेले में इन दिनों अंतरराष्ट्रीय पशु मेले की रौनक पूरे परवान पर है। देश-विदेश से आए सैलानियों के बीच रेगिस्तान के जहाज ऊंटों की मौजूदगी इस पारंपरिक मेले का प्रमुख आकर्षण बनी हुई है। मेले की शुरुआत से पहले ही ऊंटों की आवक शुरू हो चुकी थी, जो अब लगातार बढ़ती जा रही है। देशभर के पशुपालक और व्यापारी अपने ऊंटों को बेचने पहुंचे हैं, वहीं खरीदार भी पूरे उत्साह के साथ ऊंट खरीदने आ रहे हैं।

*जैसलमेर के पशुपालक बोले- ऊंट हमारी पहचान हैं
जैसलमेर से आए पशुपालक आलम खां पिछले 10 से 15 वर्षों से पुष्कर मेले में नियमित रूप से भाग ले रहे हैं। इस बार वे 10 ऊंट लेकर पहुंचे, जिनमें से 8 ऊंट बिक चुके हैं। आलम खां ने बताया कि उनके ऊंट शांत स्वभाव और उत्तम नस्ल के हैं, न तो किसी को काटते हैं और न ही आक्रामक होते हैं। उन्होंने कहा कि वे ऊंटों को 25 हजार से 40 हजार रुपये तक की कीमत में बेच रहे हैं। आलम ने प्रशासन की व्यवस्थाओं की सराहना कर कहा कि पुष्कर मेला न केवल व्यापार का केंद्र है, बल्कि यह राजस्थान की संस्कृति और परंपरा का जश्न भी है।
*देशभर से पहुंचे खरीदार, ऊंटों की नस्ल और स्वभाव से तय होती कीमत
गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) से आए खरीदार राकेश हर साल इस मेले में ऊंट और घोड़े खरीदने आते हैं। इस बार उन्होंने सांचौर नस्ल के दो ऊंट खरीदे हैं, जिन्हें वे शादी समारोहों में उपयोग करेंगे। राकेश ने बताया कि पुष्कर मेला व्यापार के साथ-साथ संस्कृति और लोकपरंपरा का अनूठा संगम है। उन्होंने कहा कि ऊंटों की कीमत उनके नस्ल, स्वभाव और उपयोगिता के अनुसार तय होती है।
*परंपरा, संस्कृति और व्यापार का संगम
पुष्कर मेला न केवल पशु व्यापार का सबसे बड़ा मंच है, बल्कि यह राजस्थान की लोक संस्कृति, हस्तशिल्प और धार्मिक आस्था का भी प्रतीक है। ‘रेतीले धोरों पर सजे ऊंटों के काफिले, रंग-बिरंगी पोशाकों में सजे पशुपालक और दूर-दराज से आए पर्यटकों की भीड़’ यह सब मिलकर पुष्कर मेले को एक जीवंत सांस्कृतिक उत्सव बना देते हैं। स्थानीय प्रशासन की ओर से पेयजल, आवास, सुरक्षा और चिकित्सा की पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई हैं, जिससे पशुपालक और खरीदार दोनों को सुविधा हो रही है।
* छोटी छोटी गऊएँ भी बीकने आई
अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले
छोटी छोटी गऊएँ भी बीकने को आई हैं । जो मेला मैदान में आकर्षण का केन्द्र बनी हुई हैं ।
*बारिश ने पशुपालकों की बढ़ाई चिंता

पुष्कर मेले में देश एवं प्रदेश से बड़ी संख्या में नए मेला मैदान के रेतीले धोरों पर आयोजित पशु मेले में अपने पशुओं के साथ पहुंचे पशुपालकों
बारिश के मौसम विभाग द्वारा बारिश के अलर्ट से पशुपालकों की मुसीबतें बढ़ गई है । मौसम विभाग ने राज्य के कई ज़िलों में हल्की व तेज हवा के साथ बारिश की चेतावनी दी । सोमवार को प्रातः से ही हल्की व तेज हवा के बारिश दिन भर होती रही हैं । पशुपालकों की यह स्थिति हो गई कि टेंट में स्वयं ठहरे या पशुओं को रोके। मेला मैदान में बारिश से निपटने के लिए कोई माकूल इंतज़ाम नहीं थे ।

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