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सेवा तो दी, पर सम्मान नहीं मिला” — मेजा सीएचसी की आशा बहुओं ने थामा हड़ताल का रास्ता, तीन महीने से रुका मानदेय बना संघर्ष की वजह

सब-हेडलाइन:
कई महीनों से नहीं मिला मानदेय, परिवार चलाना हुआ मुश्किल; स्वास्थ्य सेवाएं ठप, अधीक्षक बोले — पूरे प्रदेश में रुका है भुगतान, सरकार से जल्द समाधान की उम्मीद

आलोपी शंकर शर्मा

मेजा, प्रयागराज :-स्मार्ट हलचल|प्रयागराज जनपद के मेजा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में इन दिनों हालात सामान्य नहीं हैं। यहां कार्यरत आशा बहुओं ने अपने रुके हुए मानदेय के विरोध में हड़ताल शुरू कर दी है। ये वही महिलाएं हैं जो गांव-गांव जाकर टीकाकरण से लेकर गर्भवती महिलाओं की देखभाल और जनस्वास्थ्य कार्यक्रमों को सफल बनाती हैं, लेकिन अब खुद आर्थिक संकट में फंस गई हैं।

आशा बहुओं ने कहा कि वे बीते तीन से चार महीनों से मानदेय का इंतजार कर रही हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। मजबूर होकर उन्होंने अब काम बंद करने का फैसला लिया है।
हड़ताल पर बैठी एक आशा कार्यकर्ता सविता देवी ने बताया—

> “हम दिन-रात काम करते हैं। गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाना, बच्चों का टीकाकरण करवाना और गांवों में स्वास्थ्य योजनाएं चलाना हमारी जिम्मेदारी है। लेकिन जब अपने बच्चों का पेट भरने की बारी आती है, तो जेब खाली रहती है। कई महीनों से मानदेय नहीं मिला, अब परिवार कैसे चलाएं?”

 

दूसरी आशा बहु गुलाब देवी ने कहा—

> “महंगाई बढ़ती जा रही है। राशन, दवा, बच्चों की पढ़ाई का खर्च बढ़ गया है। हम सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाती हैं, पर जब हमारा हक नहीं मिलता तो सेवा कैसे करें?”

तीन महीने से जेब खाली है, घर कैसे चलाएं?”
हड़ताल स्थल पर बैठी आशा कार्यकर्ता सविता देवी कहती हैं—

> “हम लोग गांव-गांव जाकर गर्भवती महिलाओं की देखभाल करते हैं, टीकाकरण कराते हैं, स्वास्थ्य योजनाओं को लोगों तक पहुंचाते हैं। लेकिन तीन महीने से हमें एक रुपया नहीं मिला। परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। बच्चों की फीस और दवा का खर्च भी नहीं उठा पा रहे।”

 

🔹 प्रशासन भी मान रहा है देरी

सीएचसी अधीक्षक डॉ. शमीम अख्तर ने भी हड़ताल की पुष्टि की। उन्होंने बताया—

> “आशा बहुओं का मानदेय तीन महीने से लंबित है। भुगतान की प्रक्रिया शासन स्तर पर अटकी है। पूरे प्रदेश में यही स्थिति है। हमने रिपोर्ट भेज दी है और उम्मीद है कि जल्द भुगतान होगा।”

 

डॉ. अख्तर ने कहा कि आशा बहुएं स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं। उनके बिना गांवों में टीकाकरण, मातृत्व जांच और स्वास्थ्य निगरानी जैसे कार्य प्रभावित हो जाते हैं।

🔹 गांवों में दिखने लगी हड़ताल की मार

आशा बहुओं की हड़ताल का असर अब ग्रामीण इलाकों में दिखने लगा है। कई गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में दिक्कत हो रही है।
रामदुलारी देवी, जो प्रसव के लिए मेजा सीएचसी पहुंचीं, बोलीं—

> “हमारे गांव में आशा बहु ही डॉक्टर से अपॉइंटमेंट से लेकर दवा तक की जानकारी देती हैं। अब वो नहीं आ रहीं तो बहुत परेशानी हो रही है।”

 

गांवों में टीकाकरण अभियान और नवजात बच्चों की जांच भी प्रभावित हो गई है।

🔹 पूरे प्रदेश में अटका भुगतान

जानकारी के मुताबिक, केवल मेजा ही नहीं बल्कि प्रयागराज जिले के कई अन्य ब्लॉकों में भी आशा बहुएं **भुगतान की देरी से परेशान

हड़ताल के कारण सीएचसी में कामकाज पर भी असर पड़ रहा है। टीकाकरण, मातृत्व स्वास्थ्य सेवाएं, जननी सुरक्षा योजना और दवा वितरण कार्यक्रम ठप पड़ गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों की देखभाल प्रभावित हो रही है।

डॉ. अख्तर ने कहा कि आशा बहुएं स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ की हड्डी हैं

अब मेजा क्षेत्र में यह मामला जनचर्चा का विषय बन गया है। आशा बहुओं की हड़ताल से जहां स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हैं, वहीं प्रशासन पर भी दबाव बढ़ गया है कि वह जल्द कोई ठोस कदम उठाए।

यदि भुगतान जल्द नहीं हुआ, तो आशा बहुओं ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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