शाहपुरा – मूलचन्द पेसवानी
शाहपुरा उपखंड के ग्राम पंचायत क्षेत्र बोरड़ा बावरियान के आरक्षित वन क्षेत्र से बड़े पैमाने पर लकड़ी चोरी के मामले ने शुक्रवार को तूल पकड़ लिया। ग्रामीणों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस मामले में वन विभाग और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि विभागीय मिलीभगत से जेसीबी मशीनों के जरिए सैकड़ों क्विंटल लकड़ियां उखाड़कर ले जाई गईं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सात दिनों में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो वे धरना-प्रदर्शन और व्यापक आंदोलन की राह अपनाएंगे।
यह विरोध प्रदर्शन कांग्रेस के पीसीसी सदस्य एवं विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे नरेंद्र रेगर के नेतृत्व में किया गया। उनके साथ पूर्व पंचायत समिति सदस्य प्रहलाद शर्मा समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण, सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेसजन मौजूद रहे। प्रदर्शनकारियों ने एसडीओ कार्यालय शाहपुरा के बाहर जमकर नारेबाजी की और एसडीओ सुनील मीणा को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि बोरड़ा बावरियान के लगभग 700 बीघा आरक्षित वन क्षेत्र से बीते तीन दिनों के दौरान अज्ञात लोगों ने जेसीबी मशीनों से पेड़ उखाड़कर करीब 500 क्विंटल लकड़ी चोरी कर ली। ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले चार दशकों से अपने स्तर पर इस वन क्षेत्र की सुरक्षा और संरक्षण करते आ रहे हैं। इस क्षेत्र की हरियाली और जैव विविधता को बनाए रखने के लिए उन्होंने कई बार स्वयं श्रमदान कर पेड़ लगाए और अवैध कटाई रोकी, मगर इस बार जिस तरह से बड़े पैमाने पर जेसीबी से पेड़ों की जड़ें उखाड़ी गईं, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह कार्यवाही बिना किसी विभागीय सहयोग के संभव नहीं थी। उनके अनुसार, इस मामले में करोड़ों रुपये के लेनदेन और वन विभाग की मिलीभगत की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग की कि उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों की पहचान की जाए और उन्हें कड़ी सजा दी जाए।
प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि वन क्षेत्र में इस प्रकार की अवैध गतिविधियां न केवल पर्यावरण के लिए खतरा हैं, बल्कि स्थानीय समुदाय की वर्षों की मेहनत पर भी पानी फेर देती हैं। वक्ताओं ने यह भी कहा कि यदि वन विभाग के अधिकारी समय पर सतर्क रहते, तो इतनी बड़ी मात्रा में लकड़ी चोरी नहीं हो सकती थी।
पूर्व प्रत्याशी नरेंद्र रेगर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और ग्रामीण मिलकर इस हरित क्षेत्र की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध हैं। यदि प्रशासन ने सात दिनों में दोषियों पर कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शाहपुरा उपखंड में वन संपदा की इस तरह से हो रही लूट बर्दाश्त नहीं की जाएगी और इस प्रकरण की सीबीआई या स्वतंत्र एजेंसी से जांच की जानी चाहिए।
पूर्व पंचायत समिति सदस्य प्रहलाद शर्मा ने कहा कि ग्रामीणों ने वर्षों की मेहनत से इस क्षेत्र में हरियाली बढ़ाई थी। अब जब यह क्षेत्र फल-फूल रहा था, तब कुछ लोगों ने निजी स्वार्थ में इसका दोहन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि वन संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का दायित्व है, और यदि प्रशासन निष्क्रिय रहेगा तो ग्रामीण स्वयं मोर्चा संभालेंगे।
प्रदर्शन के दौरान नमन ओझा, अजय मेहता, सुनील मिश्रा, धनराज जीनगर, ओम सिंधी, रामस्वरूप गुर्जर, रामरतन शर्मा, सीताराम वैष्णव, कैलाश तेली, मांगीलाल, दूदाराम, श्रीराम सोनी, भागचंद बावरी, परमेश्वर सहित अनेक ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि यदि प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन जिलेभर में फैलाया जाएगा।
प्रदर्शन के अंत में ग्रामीणों ने कहा कि वे वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए स्वयं पहरा देंगे और किसी भी सूरत में अवैध कटाई बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने प्रशासन से अपेक्षा की कि वह त्वरित जांच कर दोषियों को गिरफ्तार करे, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति पर्यावरण और वन संपदा के साथ खिलवाड़ करने की हिम्मत न करे।
बोरड़ा बावरियान का यह मामला अब पूरे शाहपुरा क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ लकड़ी चोरी का मामला नहीं, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण की हत्या है, और वे इसके खिलाफ आखिरी सांस तक संघर्ष करेंगे।


