शाहपुरा । मूलचन्द पेसवानी
शाहपुरा पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाली ईटमारिया ग्राम पंचायत में पदस्थापित ग्राम विकास अधिकारी शंकरलाल मीणा ने मंगलवार दोपहर अपने घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। इस दर्दनाक घटना से क्षेत्र में सनसनी फैल गई और ग्राम विकास सेवा से जुड़े कर्मचारियों में शोक की लहर दौड़ गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक शंकरलाल मीणा मूल रूप से देवपुरी ग्राम का निवासी था और वर्तमान में शाहपुरा नगर में एक मकान में किराये पर रह रहा था। मंगलवार दोपहर उसने अपने ही देवपुरी गांव स्थित घर के एक कमरे में कड़े से फंदा लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। घटना के समय वह घर पर अकेला था। जब काफी देर तक उसने दरवाजा नहीं खोला तो आसपास के लोगों ने झांककर देखा, तो अंदर फंदे से लटका हुआ मिला।
सूचना मिलने पर परिजन और पड़ोसी तुरंत मौके पर पहुंचे और बाद में पंडेर थाना पुलिस को घटना की जानकारी दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को फंदे से उतारा और पोस्टमार्टम के लिए पंडेर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा। पहले शव को शाहपुरा के जिला चिकित्सालय भेजने की तैयारी की गई थी, लेकिन पीएमओ द्वारा अनुमति नहीं मिलने के बाद पोस्टमार्टम पंडेर में ही मेडिकल बोर्ड की निगरानी में किया गया।
बताया जा रहा है कि मृतक मीणा पिछले तीन माह से मानसिक तनाव में था। वह ईटमारिया के अलावा गिरड़िया पंचायत में भी ग्राम विकास अधिकारी के रूप में कार्यरत था। दोनों पंचायतों में असामान्य काम को लेकर, बढ़ते कामकाज के दबाव, प्रशासनिक जिम्मेदारियों और फाइलों के बोझ के चलते वह तनाव महसूस कर रहा था। सूत्रों के अनुसार कुछ कार्यों को लेकर उसे ग्राम पंचायत स्तर पर आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगा था। पंचायत समिति के अधिकारियों और सहयोगियों ने बताया कि शंकरलाल मीणा हाल ही में काम को लेकर अत्यधिक दबाव में दिखाई दे रहे थे। कुछ समय पहले उनके सहयोगियों और पंचायत समिति के अधिकारियों ने उन्हें पंचायत से मुक्त कर पंचायत समिति स्तर पर कार्य करने का प्रस्ताव दिया था, ताकि उन्हें राहत मिल सके, मगर उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। बताया जाता है कि मीणा अक्सर अपने साथियों से मजाक में कहा करते थे कि “अब तो सुसाइड ही कर दूंगा,” लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। पंचायत समिति शाहपुरा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार मृतक ने कभी अपने कामकाज को लेकर किसी प्रकार की लिखित या मौखिक शिकायत दर्ज नहीं करवाई थी। न ही किसी तरह का सुसाइड नोट अब तक पुलिस को मिला है। फिलहाल पुलिस आत्महत्या के कारणों की जांच में जुटी है और उसके मोबाइल डेटा तथा कॉल रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं।
घटना की सूचना मिलते ही देवपुरी गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई। बड़ी संख्या में ग्रामवासी और पंचायत कर्मचारी पंडेर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। इस दौरान पूर्व सरपंच संजय मंत्री और ग्राम विकास सेवा के कई कर्मचारी भी वहां मौजूद रहे।
शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया। देर शाम होते-होते शव को देवपुरी गांव लाया गया, जहां अंतिम संस्कार किया गया। ग्रामीणों की आंखें नम थीं और हर कोई यही कह रहा था कि यदि समय रहते किसी ने उनके तनाव को गंभीरता से लिया होता तो यह हादसा टल सकता था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत हो रहा है, लेकिन उसके पीछे के कारणों को स्पष्ट करने के लिए विस्तृत जांच की जा रही है। पंचायत समिति के अधिकारियों ने कहा कि यदि कार्य का अत्यधिक दबाव या किसी अन्य प्रकार की प्रशासनिक परेशानी इसका कारण रही हो तो उसकी जांच की जाएगी।
इस घटना से शाहपुरा पंचायत समिति और ग्राम विकास सेवा के कर्मचारियों में शोक और आक्रोश दोनों ही भाव देखने को मिल रहे हैं। सहकर्मियों ने सरकार से मांग की है कि ग्राम विकास अधिकारियों पर काम का अत्यधिक बोझ न डाला जाए और समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य परामर्श एवं कार्य संतुलन की सुविधा दी जाए।
इंटमारियां के ग्राम विकास अधिकारी शंकरलाल मीणा की आत्महत्या ने ग्राम स्तर पर कार्यरत अधिकारियों की कार्य परिस्थितियों और दबावपूर्ण वातावरण पर एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। उनके सहयोगी और ग्रामीण आज भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि हमेशा मुस्कुराने वाला एक जिम्मेदार अधिकारी इस तरह जिंदगी से हार मान लेगा।


