शाश्वत तिवारी
नई दिल्ली। स्मार्ट हलचल|विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम (पीएसपी) के उन्नत संस्करण (पीएसपी वी2.0) और वैश्विक पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम (जीपीएसपी वी2.0) के सफल क्रियान्वयन की घोषणा की है। इसके साथ ही मंत्रालय ने ई-पासपोर्ट की भी शुरुआत की है, जो भारत में रहने वाले नागरिकों तथा विदेश में रहने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि इसी वर्ष 26 मई को भारत के सभी 37 पासपोर्ट कार्यालयों, 93 पासपोर्ट सेवा केंद्रों (पीएसके) और 450 डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्रों में पीएसपी वी2.0 को लागू कर दिया गया था। इसके बाद, 28 अक्टूबर को दुनिया भर के भारतीय दूतावासों और महावाणिज्य दूतावासों में जीपीएसपी वी2.0 का शुभारंभ हुआ। इस कदम से भारतीय नागरिकों को पासपोर्ट से संबंधित सेवाओं में सुधार और तेजी मिलेगी।
मंत्रालय ने कहा पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम संस्करण 2.0 को पासपोर्ट सेवाओं से जुड़े सभी हितधारकों को जोड़ने वाला एक डिजिटल रूप से एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें दक्षता, पारदर्शिता और यूजर्स की सुविधा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। एआई-संचालित चैट और वॉयस बॉट्स के साथ, नागरिक आवेदन भरते समय या पासपोर्ट संबंधी शिकायतों के समय सहायता प्राप्त कर सकते हैं। नई और बेहतर पासपोर्ट वेबसाइट और मोबाइल ऐप उपयोगकर्ताओं को स्वतः भरे गए फॉर्म, सरल दस्तावेज़ अपलोड और यूपीआई या क्यूआर कोड का उपयोग करके आसान ऑनलाइन भुगतान जैसी सुविधाओं के माध्यम से बेहतर अनुभव प्रदान करते हैं।
पीएसपी वी2.0 के साथ-साथ ई-पासपोर्ट की शुरुआत मंत्रालय के लिए एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ई-पासपोर्ट एक हाइब्रिड पासपोर्ट है, जिसमें कागज और इलेक्ट्रॉनिक दोनों तत्व शामिल होते हैं। इसमें एक एम्बेडेड रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) चिप और एक एंटीना होता है, जो धारक के डेटा को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के मानकों के अनुसार संग्रहीत और सुरक्षित रखता है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पीएसपी वी2.0, जीपीएसपी वी2.0 का शुभारंभ और ई-पासपोर्ट की शुरुआत, अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने और सभी भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए तेज, अधिक सुरक्षित और सुगम यात्रा की सुविधा प्रदान करने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। यह भारत के नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की सरकार की प्रतिबद्धता का भी एक उपयुक्त प्रतीक है।


