‘अभ्युत्थानम’ में रॉक कीर्तन, पैंटोमाइम नाटक और पैनल चर्चा ने खींचा श्रद्धालुओं का ध्यान
‘अभ्युत्थानम’ में गूंजा हरे कृष्ण महामंत्र, वैष्णव स्वामी महाराज ने दी गीता से जीवनदर्शन की सीख
आध्यात्मिक उन्नति के बिना भौतिक प्रगति अधूरी — भक्ति आश्रय वैष्णव स्वामी महाराज
—पैनल चर्चा में विशेषज्ञों ने कहा—कृष्णभावना से मिलता है जीवन का सच्चा आनंद
— इस्कॉन के वार्षिक महोत्सव ‘अभ्युत्थानम’ में आध्यात्मिकता और जीवन मूल्यों पर हुई चर्चा
— मी एंड माइंड’ मूक नाटक ने दिखाया – कलियुग के प्रभाव में उलझे मन को गीता कैसे देती है दिशा
कोटा।स्मार्ट हलचल|किशोरपुरा स्थित इस्कॉन केंद्र गोविंद धाम द्वारा वार्षिक आध्यात्मिक महोत्सव ‘अभ्युत्थानम’ का आयोजन महावीर नगर तृतीय स्थित स्वामी विवेकानंद स्कूल के रामशांताय सभागार में किया गया। कार्यक्रम में इस्कॉन के जोनल सुपरवाइजर एवं त्रिदंडी संन्यासी परम पूज्य भक्ति आश्रय वैष्णव स्वामी महाराज ने गीता के महत्व पर आध्यात्मिक प्रवचन दिया।
इस्कॉन के जोनल सुपरवाइजर एवं त्रिदंडी संन्यासी परम पूज्य भक्ति आश्रय वैष्णव स्वामी महाराज ने अपने प्रवचन में गीता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वर्तमान में भौतिक प्रगति तो हो रही है, परंतु आध्यात्मिक प्रगति में हम पीछे हैं। उन्होंने कहा, “डिग्री, वैभव और प्रसिद्धि तब तक अधूरी हैं, जब तक उनके साथ कृष्णभक्ति का अंक नहीं जुड़ता।” गीता के उदाहरणों से उन्होंने जीवन की दिशा और उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि “विद्या विनम्रता प्रदान करती है, चेतना जागृत करती है — जिसका आज के समाज में अभाव बढ़ता जा रहा है।”
सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
मायापुरवासी प्रभुजी ने बताया कि कार्यक्रम में कृष्णमय रॉक कीर्तन की प्रस्तुति हुई, गिटार पर रिषभ सोनी के ‘हरे कृष्णा’ कीर्तन और गोविंद माहेश्वरी के ‘नंदलाला गोविंदा’ भजनों ने वातावरण को कृष्णमय बना दिया। हरे कृष्णा…जय जगन्नाथ के जयघोषों से पूरा सभागार गूंज उठा।
कार्यक्रम संयोजक गजेंद्रपति प्रभु ने बताया कि महोत्सव का विशेष आकर्षण इंजीनियरिंग विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत मूक नाट्य ‘मी एंड माईंड’ रहा, जिसमें कलयुग में मनुष्य के द्वंद्व, सोशल मीडिया और भौतिक मोहजाल से मुक्ति का संदेश दिया गया। नाट्य प्रस्तुति में बताया गया कि श्रीमद्भागवत गीता का ध्यान मन को नियंत्रित कर सही दिशा में ले जाने की प्रेरणा देता है।
पैनल चर्चा में विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव
पैनल चर्चा का संचालन जीवन ज्योति अग्रवाल ने किया, जिन्होंने पैनलिस्टों से प्रश्न किया कि कृष्ण भावनाओं को जीवन में अपनाने के बाद उनके अनुभव, जीवन में आए परिवर्तन और भागवत के प्रभाव किस प्रकार रहे।
प्रो. डॉ. अनुकृति शर्मा ने कहा कि “जब हम ‘एंड’ (End) और ‘ऐंड’ (And) तथा ‘पीस’ (Piece) और ‘पीस’ (Peace) जैसे शब्दों का भावार्थ समझ लेते हैं — अर्थात् अंत और जोड़, टुकड़ा और शांति के अंतर को पहचान लेते हैं — तभी आत्मा में हरिनाम का सच्चा अर्थ उतरता है।”
कार्डियक सर्जन डॉ. लक्ष्मी सांखयान ने कहा कि “गुरु के बिना जीवन अधूरा और व्यर्थ है। जब हम भगवद्गीता को जीवन में अपनाते हैं, तो वही हमें सही राह और लक्ष्य दिखाती है। गीता हमें यह सिखाती है कि कर्मबंधन में रहते हुए भी ज्ञान और शांति संभव है।”
आईएएस नरेश बुंदेल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि “ज्ञान ही वह उजाला है जो जीवन को स्पष्ट और सही देखने की दृष्टि देता है। कृष्ण रसायन का प्रभाव मिलने के बाद ही मुझे जीवन के सच्चे आनंद का अनुभव हुआ। गीता का ज्ञान केवल उपदेश नहीं, बल्कि दैनिक जीवन शैली में अपनाने योग्य मार्गदर्शन है, जो आचरण को प्रकाशित करता है।”
इससे पूर्व शिक्षाविद गोविंद माहेश्वरी, भगवान बिड़ला, रुद्धेश तिवारी, संदीप दंडवते,डॉ. अनिता चौहान, जीवन ज्योति अग्रवाल, राजेंद्र अग्रवाल तथा बिरधर बडेरा ने दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। कार्यक्रम का संचालन हरि पीतांबर दास प्रभुजी ने किया।


