बिजोलिया। प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा उपखंड कार्यालयों के पुनर्गठन की प्रक्रिया जून माह से शुरू होकर अब अंतिम दौर में पहुंच चुकी है, और इसी बीच यह खबर सामने आई है कि 2010 में बने बिजोलिया उपखंड कार्यालय को खत्म कर मांडलगढ़ में जोड़ा जा सकता है। नगर में यह सूचना आते ही माहौल गरम हो गया चाय की थड़ियों से लेकर सोशल मीडिया तक आक्रोश का तापमान 40 डिग्री से ऊपर चढ़ गया।
अधिवक्ताओं का कड़ा विरोध , कार्य बहिष्कार की चेतावनी
बिजोलिया के क्षेत्रीय अधिवक्ताओं ने इसे असंगत और क्षेत्र के साथ अन्याय बताते हुए साफ कहा कि उपखंड हटाया तो चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने जल्द ही प्रदर्शन और कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है।
अधिवक्ताओं का कहना है कि प्रशासनिक सुविधा बढ़ाने के नाम पर उल्टा आमजन को मांडलगढ़ दौड़–धूप में धकेलने की साजिश की जा रही है।
नगरवासियों का कटाक्ष एक हाथ से सौगात, दूसरे हाथ से सौगात वापस
नगरवासियों में यह नाराज़गी भी है कि एक ओर सरकार नगर पालिका और उप जिला चिकित्सालय देकर विकास की सौगात का दावा कर रही है,
और दूसरी ओर उपखंड कार्यालय छीनकर नगर को नेतृत्वविहीन बनाने की तैयारी में है।
उपखण्ड कार्यालय जाएगा तो प्रशासन की गाड़ी ही उल्टी चलेगी ।
क्षेत्रवासियों का कहना है की उपखंड जाएगा तो नगर के विकास की गति नहीं, प्रशासन की गाड़ी ही उलटी चल पड़ेगी। सोशल मीडिया पर तो नेताओं पर फोटो–माला प्रेम को लेकर जमकर कटाक्ष किया जा रहा है । क्षेत्र जल रहा है और हमारे नेता सेल्फी में व्यस्त हैं।
नेता सोए रहे तो क्षेत्र 50 साल पीछे चला जाएगा
नगर की जनता खुले शब्दों में कह रही है कि यदि यही हाल रहा तो बिजोलिया अगले 50 वर्षों तक पिछड़ेपन का ठप्पा नहीं छुड़ा पाएगा। लोगों का कहना है कि क्षेत्र के प्रतिनिधि जागरूकता की जगह दिखावे में व्यस्त हैं और जनता की आवाज़ सरकार तक पहुंचाने में नाकाम हैं।
इल्लाजी की मूर्ति की मांग नेतृत्व के अभाव का कटाक्ष
कुछ लोग तो इसे नेतृत्वहीनता का चरम बताते हुए नगर में लोकदेवता इल्लाजी की स्थायी मूर्ति स्थापित करने का विचार कर रहे हैं। उनका कहना है जब नेता हमारे हक की लड़ाई में मुंह मोड़ लें, तब इल्लाजी ही क्षेत्र की रक्षा करेंगे।


