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राजस्थान दिवस विशेष : बानसूर की शान हैं पहाड़ी पर बना किला

राजस्थान दिवस विशेष : बानसूर की शान हैं पहाड़ी पर बना किला

उदयपाल चौहान ने बनवाया था बानसूर का किला,

प्रदेश सीमा के प्रहरी के नाम से विख्यात हैं बानसूर का किला

कुमार अंकेश

बानसूर।स्मार्ट हलचल/ प्रदेश की राजधानी जयपुर से 117 किलोमीटर उत्तर में व जिला मुख्यालय कोटपूतली से 16 किलोमीटर पूर्व में स्थित बानसूर कस्बें के मध्य पहाड़ी पर स्थित किले की संरचना बहुकोणात्मक हैं। सामरिक दृष्टि से बनाएं गए इस किले का निर्माण 16 वीं शताब्दी के उतरार्द्ध से लेकर 17 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के मध्य पृथ्वीराज चौहान के वंशज भरतपुर शासकों ने करवाया था। प्राकृतिक छटा से युक्त इस प्राचीन किले में नौं बुर्ज बने हैं जो नौ ग्रहों को दर्शाते हैं। पूर्व में अलवर रियासत भरतपुर के अधीन आती थी। ऐसे में जयपुर रियासत एवं भरतपुर रियासत के बीच आपसी मनमुटाव एवं युद्ध की आशंका के चलते सीमा पर बाहरी आक्रमणों को रोकनें व सीमा की निगरानी के लिए उदयपाल सिंह चौहान ने इस किले का निर्माण करवाया था। यह किला अलवर प्रदेश की सीमा के प्रहरी के नाम से विख्यात हैं। बानसूर की शान इस किले में विचित्र कुआ,बावड़ी, कैदखाने, सैनिक कक्ष,स्नानकक्ष, घोड़े व हाथियों को बांधने के कक्ष, रानी महल , शुरंग व मंदिर स्थित है। क़िले में स्थित मनसा माता का मंदिर कस्बें के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं।

अपनी बदहाली की गवाही दे रहा बानसूर का किला

कभी राजसी वैभव का गवाह रहा यह किला अब अनदेखी का शिकार हो रहा हैं और अपनी बदहाली खुद बयां कर रहा है । किला स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के चलतें अपना मूल स्वरूप लगातार खोता जा रहा हैं। किले के बुर्ज व दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी है एंव जगह-जगह कटीली झाड़ियां व गंदगी का आलम हैं। नगर पालिका चैयरमेन प्रतिनिधि सज्जन मिश्रा ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार के अंतरिम बजट में किले के जीणोद्धार के लिए 1करोड़ 94 लाख रुपए की घोषणा की गई थी। जल्द हीं किले का जीर्णोधार करवाया जाएगा। कस्बें के पर्यटन स्थल इस किले को देखनें देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं। यही के धर्मेंद्र सिंह राठौड़ पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रहे बावजूद इसके किले की हालत में सुधार नहीं आया।किले में स्थित मनसा माता मंदिर का जनसहयोग से जीर्णोद्धार करवाया गया । यही की विधायक शकुंतला रावत पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में देवस्थान मंत्री रही बावजूद इसके मंदिर विकास के लिए कोई बड़ा काम नहीं करवा सकी।

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