बिलाली में शीतला माता का लक्खी मेला आज,प्रशासन मुस्तैद
शक्ति का रूप हैं माता शीतला, ठंडे पकवानों का लगता हैं भोग
बानसूर । स्मार्ट हलचल/कस्बे के निकटवर्ती गांव बिलाली में स्थित शीतला माता का लख्खी मेला आज बड़े ही हर्षोल्लास से भरेगा।रविवार को रांदा पुआ कर आज सुबह सेढ़ माता पर बास्योडा पूजा जाएगा। मेले को लेकर मेला कमेटी व स्थानीय प्रशाशन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। माता के दर्शन के लिए महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग – अलग लाइन की व्यवस्था की गई है। तों वहीं मेला कमेटी द्वारा मंदिर को खास तरह से संजाया गया है। आपकों बता दें होली के 8 दिन बाद शीतला अष्टमी को माता का विशाल मेला भरता है। मेले से एक दिन पहले घरों में माता की कड़ाई की जाती है। भक्त माता को भोग लगाने के लिए गुलगले, लापसी ओर मक्का की राबड़ी बनाते है और दूसरे दिन शीतला अष्टमी को माता को पकवानों का भोग लगाया जाता है। राजस्थान, दिल्ली, उतर प्रदेश,हरियाणा व पंजाब सहित कई राज्यों से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। इस दिन पूजा पाठ करने और व्रत रखने से शीतला माता प्रसन्न होती है और सभी कष्टों का निवारण करती है। खासकर चर्म रोगों से मुक्ति दिलाती है। माता के मंदिर में छोटे बच्चों को जात दिलाई जाती है। जिससे उनके जीवन में किसी भी प्रकार का समस्या और रोगों से छुटकारा मिलता है।
देवी शक्ति का स्वरूप हैं माता शीतला
भारतीय पौराणिकी स्कंद पुराण मे बताया गया है शीतला देवी का जन्म ब्रह्माजी से हुआ और इन्हें शिव की अर्धांगिनी शक्ति का ही स्वरूप माना जाता है। किंवदंती है कि देवलोक से शीतला माता अपने हाथ में दाल के दाने लेकर भगवान शिव के पसीने से बने ज्वरासुर के साथ पृथ्वी लोक पर राजा विराट के राज्य में रहने आई थीं लेकिन राजा विराट ने शीतला माता को राज्य में रहने से मना कर दिया।राजा के इस व्यवहार से शीतला माता क्रोधित हो गई। शीतला माता के क्रोध की अग्नि से राजा की प्रजा के लोगों की त्वचा पर लाल दाने हो गए।लोगों की त्वचा गर्मी से जलने लगी। तब राजा विराट ने अपनी गलती पर माफी मांगी। इसके बाद राजा ने शीतला माता को कच्चा दूध और ठंडी लस्सी का भोग लगाया, तब माता शीतला का क्रोध शांत हुआ। तब से शीतला माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाने की परंपरा चली आ रही है।
इसके साथ ही दुसरी किंवदंती यह भी है कि प्राचीनकाल में किसी गांव में एक महिला रहती थी। वह शीतला माता की भक्त थी तथा शीतला माता का व्रत करती थी। उसके गांव में और कोई भी शीतला माता की पूजा नहीं करता था। एक दिन उस गांव में किसी कारण से आग लग गई। उस आग में गांव की सभी झोपडिय़ां जल गई, लेकिन उस औरत की झोपड़ी सही-सलामत रही। सब लोगों ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि मैं माता शीतला की पूजा करती हूं। इसलिए मेरा घर आग से सुरक्षित है। यह सुनकर गांव के अन्य लोग भी शीतला माता की पूजा करने लगे।