समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश जबरदस्त कन्फ्यूजन में है !
Ø अशोक भाटिया
स्मार्ट हलचल/उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का माहौल गरमा गया है। पार्टियों ने तकरीबन अपने सभी उम्मीदवार तय कर लिए हैं। इस बीच समाजवादी पार्टी में लगातार दुविधा की स्थिति बनी हुई है। पार्टी कई सीटों पर अपने घोषित प्रत्याशियों के टिकट काट रही है या बदल रही है ।
उत्तरप्रदेश की पहले चरण में की आठ सीटों पर वोटिंग होनी है। इनमें से रामपुर और मुरादाबाद की दो सीटों पर ज़बरदस्त सिय़ासी ड्रामा हुआ। अखिलेश यादव ने मुरादाबाद सीट पर अखिरी वक्त में उम्मीदवार बदल दिया। सांसद एस टी हसन ने मंगलवार को नामांकन दाखिल किया था, लेकिन बुधवार को अखिलेश यादव ने रूचि वीरा को पार्टी का चुनाव निशान देकर मुरादाबाद भेज दिया। उन्होंने भी नामांकन भर दिया। अब समाजवादी पार्टी के निशान पर दो दावेदार हो गए। हालांकि शाम को समाजवादी पार्टी ने साफ कर दिया कि रूचि वीरा ही अधिकृत उम्मीदवार होंगी। इसी तरह रामपुर में पहले आसिम रज़ा के चुनाव लड़ने की उम्मीद थी, वो तैयारी कर रहे थे, लेकिन बुधवार को आसिम रज़ा और रामपुर में समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव के बाईकॉट करने का एलान तक कर दिया था। बुधवार को आखिरी वक्त में जैसे ही समाजवादी पार्टी ने मौलाना मोहिबुल्ला नदवी को नामांकन दाखिल करने के लिए भेजा तो आसिम रज़ा ने भी पर्चा भर दिया। अब रामपुर में भी समाजवादी पार्टी के दो उम्मीदवार मैदान में हैं। रामपुर और मुरादाबाद दोनों सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता कन्फ्यूज़्ड हैं। सवाल है कि ये कन्फ्यूजन किसने पैदा किया? क्या इसमें जेल में बंद आजम खां का रोल है? क्या आजम खां के इशारे पर ये पहले मुरादाबाद की बात करते हैं। ढोल नगाड़ों के साथ एस टी हसन ने मंगलवार को पर्चा भरा था, जीत के दावे किए थे। चूंकि एस टी हसन मुरादाबाद से सांसद हैं, लेकिन इसके बाद भी अखिलेश यादव ने उनका टिकट लटकाए रखा, देर से टिकट दिया। एस टी हसन ने पर्चा भर दिया लेकिन रात में खेल हो गया। देर रात ये खबर आई कि मुरादाबाद से एस टी हसन का टिकट कट गया है। अब पूर्व विधायक रूचि वीरा समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ेंगी। इस बीच रुचि वीरा लखनऊ से मुरादाबाद पहुंच गईं लेकिन रुचि के मुरादाबाद पहुंचते ही एस टी हसन के समर्थकों ने उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद अखिलेश यादव ने चार्टर्ड प्लेन से नरेश उत्तम और समाजवादी पार्टी के दूसरे नेताओं को मुरादाबाद भेजा ताकि हालात को काबू में रख सकें। रूचि वीरा मुरादाबाद में पर्चा भरने पहुंच गई, उनके साथ गिने चुने लोग थे, नारा लगाने वाले और पार्टी का झंडा उठाने वाले लोग भी नहीं थे। रूचि वीरा ने वक्त खत्म होने से पहले पर्चा भर दिया, समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान वाला फॉर्म बी जमा कराया। पता ये चला कि एस टी हसन का पत्ता आजम खां के कहने पर कटा है। आजम खां सीतापुर जेल में बंद हैं लेकिन अखिलेश यादव को लगता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम मतदाताओं पर अभी भी आजम खां का जबरदस्त असर है। आजम खां जेल में रहकर भी चुनावी समीकरण बना और बिगाड़ सकते हैं। इसीलिए अखिलेश यादव पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर टिकटों के बंटवारे पर राय लेने के लिए सीतापुर जेल में आजम खां से मिले थे। आजम खां ने ही मुरादाबाद सीट पर एस टी हसन की जगह रूचि वीरा के नाम का सुझाव दिया जिसे अखिलेश ने मान लिया और रातों रात हसन का टिकट काट दिया। समाजवादी पार्टी के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता जानते हैं कि रूचि वीरा आजम खां की करीबी हैं, रुचि वीरा बिजनौर से सपा के टिकट पर विधायक रह चुकी हैं। ये तो कोई नहीं मानेगा कि रूचि वीरा एस टी हसन के मुकाबले बड़ी नेता हैं, उन्हें आजम खां की पैरवी पर ही अखिलेश यादव ने टिकट दिया। बाद में हसन ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम ये फैसला कैसे हुआ, किसके कहने पर हुआ और उन्हें बताने की भी जरूरत नहीं समझी गई। हसन ने बड़ी महीन सियासी बात कही। उन्होंने कहा कि पूरा हिन्दुस्तान जानता है आजादी के बाद से अब तक जितने चुनाव हुए, उनमें एक बार छोड़कर मुरादाबाद से हर बार मुसलमान उम्मीदवार ही चुनाव जीता है। दरअसल अखिलेश यादव मुरादाबाद सीट से एस.टी. हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को प्रत्याशी बनाने के पक्ष में नहीं थे। अखिलेश यादव ने एस.टी. हसन को फिर से प्रत्याशी बनाने के लिए एक पत्र जारी किया था। जिसमें एस.टी. हसन को फिर से मुरादाबाद सीट से सपा का प्रत्याशी बनाया गया था। ये खत रुचि वीरा का नॉमिनेशन होने के बाद जारी किया था। अखिलेश यादव ने रुचि वीरा का नामांकन रद्द करने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा था। ये पत्र लखनऊ से मुरादाबाद चुनाव ऑफिसर के पास भेजा गया, लेकिन समय से पत्र नहीं पहुंचने के कारण लेटर को रिसीव नहीं किया गया।
रामपुर में दिल्ली के संसद मार्ग मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी और आसिम रज़ा दोनों सपा की उम्मीदवारी का दावा कर रहे थे । मौलाना को मंगलवार रात लखनऊ से आदेश मिला कि रामपुर पहुंचिए, रामपुर से पर्चा भरना है। मौलाना नदवी रामपुर के रहने वाले हैं लेकिन दिल्ली में पिछले 15 साल से रह रहे हैं। बुधवार को मौलाना ने पर्चा भर दिया। मौलाना नदवी ने कहा कि उनका नाम खुद अखिलेश यादव ने फाइनल किया है, उन्हीं के कहने पर उन्होंने अपना पर्चा भरा है। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार वही हैं। इसके तुरंत बाद आजम खां के करीबी आसिम रज़ा भी पर्चा भरने पहुंच गए। उन्होंने भी पर्चा दाखिल कर दिया। इस बात में कोई शक नहीं कि रामपुर पर एक लंबे अर्से तक आजम खान का कब्जा रहा है, वो रामपुर के चप्पे-चप्पे को जानते हैं। यहां के बच्चे-बच्चे को पहचानते हैं लेकिन अब मजबूर हैं। जेल में बंद हैं। उन पर सैंकड़ों केस हैं। योगी आदित्यनाथ ने रामपुर में उनका दबदबा खत्म कर दिया। रामपुर में आज़म खान के उम्मीदवारों को हरा दिया पर आज़म खान आसानी से हार मानने वालों में नहीं हैं। वो जेल में रहकर भी इस इलाके की सियासत पर खासा असर डाल सकते हैं। उनका ये सुझाव कि रामपुर से अखिलेश को लड़ना चाहिए, अच्छा था लेकिन अखिलेश इन चुनावों में एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। अखिलेश के लिए ये चुनाव अस्तित्व का सवाल है। हालांकि वो आज़म खान की बात सुनते हैं लेकिन रामपुर से चुनाव लड़ने की बात नहीं मानी, इसीलिए इतना कन्फ्यूजन पैदा हुआ। दूसरी तरफ भाजपा ने जबरदस्त चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ, मथुरा, गाजियबाद में प्रचार कर रहे हैं।
रामपुर और मुरादाबाद के बाद मेरठ का भी नाम इसमें जुड़ गया है . ये उत्तर प्रदेश में वो तीन सीट हैं, जिनपर समाजवादी पार्टी में टिकट को लेकर सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन देखने को मिला। हर बार की तरह इस बार भी सपा में टिकट को लेकर भारी असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है।
मेरठ से जब भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया , तो दूसरी तरफ सपा प्रत्याशी का ऐलान कर बार-बार बदलाव कर रही है। मेरठ लोकसभा सीट पर सपा ने एक बार फिर अपना प्रत्याशी बदला दिया है। अतुल प्रधान की जगह अब पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को उम्मीदवार घोषित किया है।समाजवादी पार्टी ने पहले मेरठ सीट से एडवोकेट भानू प्रताप सिंह को टिकट दिया गया था, लेकिन भानू प्रताप के नाम पर पार्टी के स्थानीय नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद अखिलेश यादव ने मेरठ सीट पर सरधना से विधायक अतुल प्रधान को प्रत्याशी घोषित कर दिया। अतुल प्रधान का ऐलान होते ही पार्टी में बगावत छिड़ गई। मेरठ शहर विधायक रफीक अंसारी ने मेरठ सीट पर दावा ठोक दिया है। अब अखिलेश यादव ने पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। वैसे चुनावी मौसम विशेषज्ञों के अनुसार आज शाम तक और भी कई उम्मीदवारों के टिकट बदले जा सकते है ।