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वोट चुनाव चिन्ह नहीं, प्रत्याशी के कर्म और व्यवहार देख कर देना ही हितकर : संजीव डाबर

वोट चुनाव चिन्ह नहीं, प्रत्याशी के कर्म और व्यवहार देख कर देना ही हितकर : संजीव डाबर

– चुनाव जीतने के लिए लोगों को बरगलाना
सबसे बड़ा सामाजिक अपराध

– आज भी गरीबी ,बेरोजगारी और भुखमरी से जूझ रहा देश का आम मतदाता

– बेईमान और स्वार्थी लोगों को बड़े दल के नाम पर वोट देना खुद के पैरों में कुल्हाड़ी मरने के बराबर

– भ्रष्टाचार के बल पर ही अकूत संपत्ति के मालिक बने अनेक नेता राजनीति में आने के पहले थे सड़क छाप

सुनील बाजपेई
कानपुर। स्मार्ट हलचल/देश में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं और उसे जीतने के लिए लोगों को तरह-तरह से बरगलाकर प्रभावित करना एक बहुत बड़ा सामाजिक अपराध है।
यह कहना है समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजीव कुमार डाबर का। उन्होंने देश और समाज के वास्तविक हितैषी लोगों को ही मतदान किए जाने की अपील करते हुए कहा कि सारे देश के मतदाताओं को चाहिए कि वह किसी के भी बहकावे और बरगलाने में नहीं आकर ऐसे लोगों को ही वोट दें ,जो उनकी नजर में वास्तव में ही देश और समाज की सेवा ईमानदारी से कर रहे हैं।
राजनीतिक व्यक्ति होने के साथ ही समाज सेवा के क्षेत्र में भी शुरू से अग्रणी संजीव डाबर ने कहा कि हर किसी को मतदान करने के पहले यह अच्छी से सोच विचार कर लेना चाहिए जिसके लिए वह मतदान करने जा रहे हैं ,वह वास्तव में उसका पात्र है या नहीं।
संजीव डाबर ने कहा कि लोग अगर मतदान करने के पहले उचित प्रत्याशी या अनुचित प्रत्याशी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार नहीं करते और किसी अनुचित पात्र को मतदान करते हैं तो यह खुद के पैरों में कुल्हाड़ी मारना ही है।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करने में भी जुटे समाजवादी पार्टी के नेता संजीव डाबर ने कहा कि स्थानीय समस्याओं का हल होना चुने जाने वाले स्थानीय सांसद की ही कर्मठता और ईमानदारी पर निर्भर करता है। इसीलिए किसी बड़े राष्ट्रीय दल के नाम पर बेईमान ,अयोग्य और केवल अपना ही उल्लू सीधा करने में लगे रहने वाले व्यक्ति को कतई नहीं चुनना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोग अपने पूरे कार्यकाल में आम जनता की समस्याएं हल करने के बजाय केवल अपना ही उल्लू सीधा करते हैं।
संजीव डाबर ने कहा कि यही वजह है कि बहुत से ऐसे भी राजनेता हैं ,जो राजनीति में आने के पहले सड़क छाप फटीचर हुआ करते थे लेकिन आज वह अपने इस राजनीतिक व्यवसाय के बल पर लाखों करोड़ों की नामी, बेनामी चल – अचल संपत्ति मालिक बनने में सफल हैं , जबकि देश का आम मतदाता आज भी गरीबी ,बेरोजगारी और भुखमरी से जूझ रहा है। जिसकी असली वजह नेताओं द्वारा आर्थिक लाभ के लिए जमकर किया गया भ्रष्टाचार ही है।

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