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इस बार तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद में दिलचस्प होगा चुनावी मुकाबला,Hyderabad election contest

> अशोक भाटिया,
स्मार्ट हलचल/तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद बेहद अहम लोकसभा सीट है। यह शहरी इलाके की सीट है। किसी समय उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, साल 1996 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से उनको हार का सामना करना पड़ा था।भोजन की एक खास शैली हैदराबादी को एक अलगल पहचान देती है। यहां की बिरयानी पूरे भारत में प्रसिद्ध है। प्रतिष्ठित चारमीनार, गोलकोंडा किला, सालार जंग संग्रहालय, हुसैन सागर, बिड़ला मंदिर, चौमहल्ला पैलेस और दुर्गम चेरुवु जैसे शहर के प्रमुख पर्यटक स्थल लोगों के आकर्षण के केंद्र है। दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत फिल्म स्टूडियो परिसर रामोजी फिल्म सिटी हैदराबाद में स्थित है।
हैदराबाद लोकसभा सीट का परिसीमन साल 2008 में हुआ था। इस सीट में मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। मुस्लिम वोटरों समेत कुल अल्पसंख्यक वोटों की संख्या 65 फीसदी है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 21 लाख 84 हजार 467 है।हैदराबाद लोकसभा सीट पर कुल वोटरों की संख्या 18 लाख 23 हजार 664 है, जिनमें से 9 लाख 61 हजार 290 पुरुष और 8 लाख 62 हजार 374 महिला वोटर हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां पर कुल 53.02 फीसदी वोटिंग हुई थी, जिनमें से पुरुष मतदाताओं का वोटिंग प्रतिशत 54.77 फीसदी और महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 51.59 फीसदी रहा। हैदराबाद संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा की सात सीटें आती हैं। इनमें मलकपेट, कारवां गोशमहल, चारमीनार, चंद्रयान गुट्टा, याकूतपुरा और बहादुरपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं।
केसीआर ने हैदराबाद लोकसभा सीट से जी श्रीनिवास यादव को टिकट दिया है, लेकिन कांग्रेस ने अभी तक अपने कैंडिडेट का ऐलान नहीं किया है। मीडिया रिपोर्ट में सामने आया है कि कांग्रेस हैदराबाद की सीट पर बड़ा सरप्राइज दे सकती है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ कांग्रेस प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा को मैदान में उतार सकती है। दावा है कि पार्टी ने 27 मार्च को हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस पर मुहर भी लगा दी है।
चूँकि हैदराबाद एक हाई-प्रोफाइल सीट है। यहां इस बार होने वाला लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद लोकसभा सीट पर 2004 से एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी का कब्जा है। भाजपा ने इस सीट से पहली बार महिला प्रत्याशी के रूप में माधवी लता को टिकट दिया है। माधवी यहां पर विरिंची हॉस्पिटल चलाती हैं और इसकी चेयरपर्सन भी हैं। वह हैदराबाद में कट्टर हिंदुत्व का चेहरा हैं। माधवी सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं। अस्पताल चलाने के साथ ही मालती भरतनाट्यम में भी पारंगत हैं। माधवी लता हैदराबाद में सामाजिक कामों में भी खासी सक्रिय रहती हैं। वह लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट और लतामा फाउंडेशन में ट्रस्टी हैं। हेल्थकेयर और शिक्षा के क्षेत्र में भी लगातार काम कर रही हैं। वह हैदराबाद में होने वाले सामाजिक कार्यों में भी काफी सक्रिय रहती है। माधवी ट्रस्टों और संस्थानों के माध्यम से स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में काम करती हैं। वह लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट और लतामा फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं। माधवी लता ने बेसहारा मुस्लिम महिलाओं के लिए एक छोटा सा कोष भी बनाया है और वह कई सांस्कृतिक संगठनों से भी जुड़ी रहीं। इसके अलावा वह एक गौशाला भी चलाती हैं और स्कूल-कॉलेजों में हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति पर भाषण भी देती हैं। माधवी ने पुराने शहर में बदलाव लाने पर जोर देने वाले उग्र भाषणों के जरिए समर्थक बनाए हैं। वह महिलाओं के अधिकारों की योद्धा भी हैं और उन्होंने तीन तलाक बिल और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विरोध करने के लिए ओवैसी पर हमला किया है। हाल ही में एक टीवी चैनल ने उसका डेढ़ -डेढ़ घंटे का इंटरव्यू चार बार दिखा कर और प्रसिद्ध कर दिया है।
गौरतलब है कि हैदराबाद सीट एआईएमआईएम का गढ़ मानी जाती है। यह सीट 1984 से ही एआईएमआईएम के पास है। असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन 1984 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने 20 साल तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। उसके बाद से ही उनके बेटे असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद से सांसद हैं। इसके अलावा सबसे बात ये है कि एक ओर ओवैसी को विरासत में राजनीति मिली है या फिर ये कहें कि उन्हें विरासत में ही हैदराबाद सीट मिली है, वहीं दूसरी ओर माधवी लता हैं, जिनका कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। वह खुद भी सक्रिय राजनेता नहीं थी। वह हैदराबाद में सुर्खियों में तब आईं, जब उन्होंने तीन तलाक को खत्म करने के लिए मुस्लिम महिलाओं समूहों के साथ सहयोग किया। इस मामले में शहर के अलग-अलग इलाकों में बात करने के लिए उन्हें बुलाया जाता रहा है।

एक पीआर पेशेवर सत्य पामुला ने कहा, ‘जिस सड़क पर मैं 1980 में स्कूल जाने के लिए गया था वह अब भी वैसी ही है, जबकि वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई है! मैं मलकपेट और चदरघाट पुल से कोटि तक की बात कर रहा हूं। पिछले 40 वर्षों में पुराने शहर में यह विकास हुआ है। इस क्षेत्र के अन्य हिस्सों में भी यही स्थिति है। यहां कोई बुनियादी ढांचा, सीवेज प्रबंधन, यातायात, स्वच्छता या नौकरी के अवसर नहीं हैं। कानून प्रवर्तन शून्य है और सरकारी अधिकारियों को बिजली बकाया का भुगतान करने के लिए लोगों से भीख मांगनी पड़ती है। पिछले 40 वर्षों से हमारा प्रतिनिधित्व करने वाले नेता और पार्टी ने कभी भी विकास के बारे में बात नहीं की।’
एक तकनीकी विशेषज्ञ पद्मावती, जो खुद को एक हैदराबादी कहती हैं। उनका कहना है कि मेरा जन्म और पालन-पोषण सैदाबाद में हुआ, जो पुराने शहर में है। मैं हाईटेक सिटी में एक आईटी पेशेवर के रूप में काम कर रही हूं और इसमें जमीन-आसमान का अंतर है। पुराने शहर में शायद ही कोई विकास हुआ है, और यदि आपके पास कार है तो यह एक दुःस्वप्न है। आप उन गलियों में गाड़ी नहीं चला सकते, जिनमें ऑटो-रिक्शा भी नहीं चल सकते। यहां शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा न के बराबर होती है। मैं कामना करती हूं और आशा करता हूं कि माधवी लता के साथ चीजें बदलेंगी, जो कम से कम दशकों से इस पुरुष गढ़ में इन मुद्दों पर चर्चा कर रही हैं।
लेकिन, सॉफ्टवेयर पेशेवर वामशी कृष्णा का मानना है कि ओवैसी की लोकप्रियता और जनता से उनके जुड़ाव के कारण उन्हें हराना मुश्किल है। उनका कहना है कि ओवैसी निश्चित रूप से जीतने जा रहे हैं। वह अपने लोगों से व्यक्तिगत रूप से और फोन पर उपलब्ध हैं। भाजपा स्पष्ट रूप से जानती थी कि यह एक खोया हुआ मामला है और उसने 2029 के चुनाव के लिए एक संपन्न महिला को पर्दा उठाने वाले के रूप में चुना, जहां आप उसे विधायक या नामांकित पद पर मैदान में देखेंगे। यह महिला मीडिया की जानकार हैं और ओवेसी के उपयुक्त प्रतिद्वंद्वी के रूप में ध्यान आकर्षित करना चाहती है। भाजपा के पास कोई विचारधारा नहीं है और सिर्फ तेलंगाना में ही नहीं, उनकी हताशा आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में भी स्पष्ट है, जहां उन्होंने अपने विरोधियों के साथ गठबंधन किया है और अवसरवादी राजनीति, फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई है।
खाद्य और पेय पदार्थ उद्योग में काम करने वाले अनंत ने कहा कि लोगों को धर्म के बजाय विकास के रास्ते पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन में प्रगतिशील उपायों की तलाश कर रहे हैं। जबकि शहर का बाकी हिस्सा अच्छी सड़कों, हरियाली और फ्लाईओवर के साथ विकसित हो रहा है, पुराना शहर वैसा ही बना हुआ है। हमें यहां अगली पीढ़ी के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा बनाने की जरूरत है।’
ज्ञात हो कि 2019 के चुनाव में भाजपा ने भागवत राव को ओवैसी के खिलाफ टिकट दिया था। उन्हें कुल 2,35,285 वोट मिले थे, जबकि ओवैसी को 5,17,471 वोट मिले। इस बार भाजपा माधवी लता को अपना उम्मीदवार बनाया है। देखा जय तो बीते एक दशक में तेलंगाना में भाजपा का वोट शेयर बढ़ा है। जहां 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 7 फीसदी वोट मिले थे, वहीं 2023 के विधानसभा में 15 फीसदी वोट मिले। हाल ही में विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पहली बार 8 सीटों पर कब्जा किया है। जिनमें हैदराबाद के आसपास की चारमीनार, कारवां, एलबी नगर, राजेंद्रनगर, अंबरपेट, कुथबुल्लापुर और सनथनगर सीटें शामिल हैं।
वैसे जैसे हमनें जैसे पहले बताया देश की दिग्गज टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा के हैदराबाद में एआईएएमआईएम के दिग्गज नेता असदुद्दीन ओवैसी से सीधे टकराने की संभावना जताई जा रही है। स्थानीय मीडिया के अनुसार भी हैदराबाद की राजनीति में इस बार कुछ बड़ा होने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा इस बार के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी को सीधी टक्कर दे सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस पार्टी सानिया मिर्जा की लोकप्रियता का फायदा उठाना चाहती है और इस कारण वह हैदराबाद से असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ उन्हें उतारना चाहती है। अगर ऐसा होता है तो हैदराबाद का मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है क्योंकि असदुद्दीन औवेसी पिछले चार चुनाव से लगातार जीतते आ रहे हैं।
काग्रेस पार्टी के सूत्रों ने खबर दी है कि पिछले दिनें कांग्रेस पार्टी के सेंट्रल इलेक्शन कमिटी की बैठक दिल्ली में हुई थी। इसमें लोकसभा उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया गया था। इस बैठक में मोहम्मद अजहरुद्दीन ने सानिया मिर्जा को हैदराबाद से टिकट देने का प्रस्ताव दिया था। मोहम्मद अजहरुद्दीन का सानिया मिर्जा के साथ पारिवारिक संबंध है। सानिया मिर्जा की छोटी बहन अनम मिर्जा से अजहरुद्दीन के बेटे असद्दुदीन की शादी हुई है। वैसे हाल में यह इलाका कांग्रेस के लिए भी काफी अच्छा साबित हुआ है जिसमें एआईएमआईएम को मजबूत चुनौती मिली है व तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है । अब यदि लोकसभा चुनाव में चार कोणीय ( एआईएमआईएम+भाजपा + केसीआर+कांग्रेस ) मुकाबला होता है तो हैदराबाद का मैदान इस बार के लिए बेहद खास हो जाएगा ।
अशोक भाटिया,

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