मांडल — कस्बे का ऐतिहासिक 411 वा नाहर नृत्य और रंग तेरस शनिवार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया । इस दिन पुरे कस्बे के घरो में मेहमानो का ताँता लगा रहा। सुबह से पुरे कस्बे में परम्परागत तरीके रंग और गुलाल से होली खेली गई। जिसमे महिलाए पुरुष बच्चे सभी ने मिलकर जमकर होली का आनंद एक दूसरे के रंग और गुलाल लगा कर किया। इससे पहले कस्बे में बी एस एफ के जवानो ने पुरे कस्बे में रूट मार्च निकाला साथ ही पुरे कस्बे में जिले और लाइन से आये पुलिस जाप्ते को लगाया गया। दोपहर में बेगम की सवारी तालाब की पाल से शुरू होकर चौपा खटिको का मोहल्ला जाटो का मोहल्ला होते हुए बड़े मंदिर चोक से सदर बाजार पहुची। सदर बाजार में बादशाह की सवारी बेगम की सवारी का इंतजार कर रही थी। वहा से बादशाह और बेगम की सवारी रवाना हुई जो धानमंडी चोक प्रताप नगर बस स्टेण्ड से होते हुए तहसील कार्यालय पहुची जहा और सवारी के साथ में आये लोगो ने तहसीलदार को रंग खिलाया और शाम को नाहर नृत्य देखने आने का न्योता दिया। इसके बाद शाम को कस्बे के बड़े मंदिर चोक में राजस्थान लोक कला केंद्र और दशहरा चोक में दशहरा उत्सव एवं नाहर नृत्य कमेटी द्वारा चार चार जने अपने शरीर पर रुई लपेट कर नाहर बनाये जाते है जो दोनों जगहों पर नाहर नृत्य करते है। दशहरा चोक में नाहर भंवर माली राजू तड़बा दिनेश गुर्जर घनश्याम माटोलिया बने और भोपा कालू माली बने। जिसे देखने के लिए कस्बे के और आसपास के गाँवो के हजारो लोगो की भीड़ इक्कठा हुई। पिछले 400 सालो से भी ज्यादा समय से नाहर नृत्य की परम्परा चली आ रही है जो अभी तक भी जारी है। नाहर नृत्य और रंग तेरस का त्यौहार कस्बेवासी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते है सभी घरो में गुलाब जामुन और बेसन की चक्की के साथ अन्य कई तरह के पकवान बनाये जाते है। साथ ही नाहर नृत्य देखने के लिए अपने अपने परिचितों को निमन्त्रण देकर बुलाया जाता है।