HomeHealth & Fitnessखर्राटे भी एक रोग है स्वामी गोपाल आनंद बाबा

खर्राटे भी एक रोग है स्वामी गोपाल आनंद बाबा

खर्राटे भी एक रोग है
स्वामी गोपाल आनंद बाबा –
स्मार्ट हलचल/बहुत सारे व्यक्ति जब नींद में होते हैं, तब श्वसन क्रिया में उनकी नाक से जोर-जोर की आवाज होती है, कभी यह आवाज हल्की व धीमी होती है तो कभी बहुत दूर तक सुनाई देती है, इसे खर्राटा कहा जाता है। लोग कहते हैं कि यह खर्राटा मारकर बेसुध सो रहा है। खर्राटे मारने वाले को यह ज्ञात नहीं होता। कई बार लोग उसके इस खर्राटे की आवाज के कारण निकट में सोना नहीं चाहते।
वास्तव में खर्राटे या तो स्वयं एक रोग है या अन्य रोग का लक्षण है। खर्राटे के रोकथाम के प्रयास अवश्य करना चाहिए। खर्राटे के कारण अचानक हृदय के रुकने की संभावना रहती है। खर्राटे के समय शरीर में रक्त संचार अनियमित हो जाता है, जो हृदयाघात का एक बड़ा कारण बन जाता है। मस्तिष्क में रक्त की कम आपूर्ति के कारण पक्षाघात तक हो सकता है। इससे फेफड़ों पर भी दवाब पड़ता है। वर्तमान में मधुमेह और मोटापे के रोग से ग्रस्त लोगों को खर्राटे की चपेट में आते हुए देखा जा रहा है।
खर्राटे आने के कारण निम्न माने गए है- जब व्यक्ति नींद में होता है तब गले का पिछला हिस्सा थोड़ा संकरा हो जाता है। श्वांस जब संकरे स्थान से जाती है, तब आसपास के टिश्ुाओं (कोशिकाओं से बने उत्तकों) में स्पंदन होता है, जिससे आवाज निकलती है। इसे ही खर्राटे कहते हैं। यह संकरापन नाक और मुंह में सूजन के कारण भी हो सकता है। यह सूजन एलर्जी, संक्रमण, धूम्रपान, शराब पीने या अन्य किन्हीं दूसरे कारणों से हो सकती है। इससे फेफड़ों को कम ऑक्सीजन मिलती है, जिससे मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर अधिक ऑक्सीजन मांगने लगे हैं। ऐसे में नाक और मुंह अधिक सक्रिय हो जाते है, जिससे खर्राटे की आवाज आने लगती है।
बच्चे में एडिनॉयड ग्रंथी में सूजन और टॉन्सिल के करण भी खर्राटे आते हैं।
मोटापे के कारण भी गले की नली में सूजन से रास्ता संकरा हो जाता है और श्वांस लेने में आवाज आने लगती है। जिव्हा (जीभ) का बड़ा आकार भी खर्राटे का बड़ा कारण है। ब्राजील में हुए एक शोध के अनुसार भोजन में नमक की अधिकता शरीर में ऐसे द्रव्य (फ्लूड) निर्माण करती है, जिससे नाक के छिद्र में व्यवधान होता है ओर खर्राटे आने लगते हैं। खर्राटे के रोगियों को पॉलीसोमनोग्राफी टेस्ट करवाना चाहिए। यह टेस्ट व्यक्ति के सोते समय (नींद में) की शरीरिक स्थितियों की जानकारी देता है। प्राणायाम की क्रिया से खर्राटे नियंत्रित होते हैं।
प्रात: व शाम खुली हवा में लंबी श्वांस लेकर धीमी गति से छोडऩा भी लाभदायक है। प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी) एवं योग चिकित्सा (योग थैरेपी) भी खर्राटे के रोग से मुक्त होने में सहायक है, लेकिन योग्य चिकित्सक से उपरोक्त कारणों के बारे में पता लगाने के लिए शारीरिक जांच आवश्यक है, तब निदान के उपाय करने में सुविधा होगी।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
news paper logo
AD dharti Putra
logo
AD dharti Putra
RELATED ARTICLES