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अखिल भारतीय साहित्य परिषद् राष्ट्रीय विचारों से ओतप्रोत साहित्यकारों का मंच है – जग जितेंद्र सिंह

(संघ कार्यालय पर साहित्य परिषद् की बैठक व काव्य गोष्ठी संपन्न)

शाहपुरा पेसवानी
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् शाहपुरा की जिला बैठक संघ कार्यालय रामनगर में प्रांत महामंत्री जगजितेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित हुई । शाहपुरा जिला केंद्र महामंत्री परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने बताया कि बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रांत महामंत्री जगजितेंद्र सिंह ने कहा है कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद् देश में राष्ट्रीय विचारों से ओतप्रोत लेखकों, कवियों एवं साहित्यकारों के लिए मंच उपलब्ध करवाने वाला विश्व का सबसे बड़ा संगठन है । इसका उद्देश्य ऐसे साहित्यकारों को आगे लाना जो भारतीय संस्कृति, सभ्यता, संस्कारों की बात करने वाले हो । इस अवसर पर उन्होंने शाहपुरा क्षेत्र के साहित्यकारों का अधिक से अधिक संख्या में साहित्य परिषद् से जुड़ने का आह्वान किया है । बैठक में वर्ष भर की आगामी योजनाओं पर भी चर्चा की गई । बैठक में प्रांत उपाध्यक्ष रेखा लोढ़ा स्मित, शाहपुरा केंद्र संरक्षक जयदेव जोशी, विष्णु दत्त शर्मा ‘विकल’, विभाग कोषाध्यक्ष मनमोहन सोनी, विभाग सहसंयोजक लोकेश कुमार शर्मा, जिला संयोजक अंजनी कुमार शर्मा, सहसंयोजक सत्यनारायण सेन, केंद्र अध्यक्ष कैलाश सिंह जाड़ावत, युवा प्रकोष्ठ सह प्रमुख ओम प्रकाश माली ‘अंगारा’ महिला संयोजिका रीता धोबी उपस्थित रहे ।
**देश में प्रताप फिर पैदा होना चाहिए*
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् इकाई शाहपुरा द्वारा आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी में शाहपुरा के साहित्यकारों ने बिखेरा संस्कृति और देशभक्ति का रंग । कवि ओंम माली ‘अंगारा’ ने ‘साधने को निज स्वार्थ राष्ट्र तोड़ रहे हैं’ सुनाकर लोगों के निज स्वार्थपरता पर व्यंग्य किया । कवि शिव जोशी ने ‘मैं सूरज सा तेज लिए तू चंदा सी शीतलता’ कविता सुनकर वाही वाही बटोरी । जामोली के अंजनी कुमार शर्मा ने ‘मंजिल थी पर पीड़ा पहले’ सरोज राठौड़ ने ‘पवित्र तन रखो पवित्र मन रखो’ सुनाई । कवि कैलाश जाड़ावत ने भारत माता की वंदना करते हुए ‘जननी जन्मभूमि मेरी स्वर्ग से महान है’ तो कवि परमेश्वर कुमावत ‘परम’ ने ‘देश में प्रताप फिर पैदा होना चाहिए’ सुनाकर माहौल को देशभक्ति मय कर दिया । बालमुकुंद छीपा ने ‘जन्म जीवन की झांकी प्रथम’ जयदेव जोशी ने ‘आवाज को आवाज दे यह है मौन व्रत अच्छा नहीं’ तो व्यंग्यकार विष्णु शर्मा ‘विकल’ ने ‘नफरतों में इस कदर अंधे हुए, दुश्मनों की तोप के कंधे हुए’ सुनाकर व्यंग्य किया । भीलवाड़ा की सुप्रसिद्ध कवियित्री रेखा लोढ़ा ‘स्मित’ ने ‘मैं दूब हूं मुझे रोंदते दुनिया वाले तो क्या मैं बारिश में फिर खड़ी हो जाउंगी’ सुनाकर संसार की व्यवस्था पर व्यंग्य किया । भीलवाड़ा के साहित्यकार जगजितेन्द्र सिंह ने महाराणा प्रताप पर ‘हे स्वाभिमान के सूर्य प्रखर, हे प्रताप शत-शत वंदन’ सुनाकर गोष्ठी का माहौल राष्ट्रभक्ति मय कर दिया । शाहपुरा के प्रसिद्ध गीतकार बालकृष्ण बीरा ने ‘म्हे मनड़े मुऴकती जाऊं, थूं गीत मांडतो जा रे’ सुनाकर काव्य गोष्ठी को नई ऊंचाइयां प्रदान की । काव्य गोष्ठी में मनमोहन सोनी भीलवाड़ा, लोकेश कुमार शर्मा पंडेर, सत्यनारायण सेन, रीता धोबी, रामनारायण गुर्जर शाहपुरा उपस्थित रहे ।

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