🤔🤔Causes of Frequent Headache & Upper back pain
सिरदर्द एक सामान्य स्थिति है जिसमें सिर या गर्दन के क्षेत्र में दर्द या बेचैनी होती है, जो सभी में अलग-अलग तीव्रता के साथ हो सकता है. सिरदर्द कई प्रकार के होते हैं, जिनमें स्ट्रेस, माइग्रेन, क्लस्टर सिरदर्द और साइनस सिरदर्द शामिल हैं, प्रत्येक के अपने अलग लक्षण और कारण होते हैं. बार-बार होने वाला सिरदर्द काफी आम है और अक्सर इसके लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं. जबकि कभी-कभार होने वाले सिरदर्द को सामान्य माना जाता है, बार-बार होने वाला सिरदर्द एक आंतरिक समस्या का संकेत दे सकता है जिसका कारण और उपचार करने के लिए एक हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स को कंसल्ट करना चाहिए.
यह समझने जरूरी है कि कौन से कारक सिरदर्द का कारण बन सकते हैं. इसके साथ ही आप समझ सकते हैं कि बार-बार होने वाले सिरदर्द को दूर करने के लिए कौन से उपाय करने चाहिए. यहां हम कुछ कारकों के बारे में बता रहे हैं जो बार-बार सिरदर्द का कारण बन सकते हैं.
रोज-रोज सिर दर्द के कारण🤔
- चिंता और तनाव- आजकल चिंता और तनाव सिर दर्द का बड़ा कारण बनता जा रहा है। ऐसी स्थिति में लोगों की भूख और नींद काफी प्रभावित होती है। जिसकी वजह से सिरदर्द की समस्या पैदा हो सकती है।
- नींद की समस्या- जिन लोगों को नींद न आने की समस्या रहती है उन्हें अक्सर सुबह जागने के बाद सिर में दर्द बना रहता है। नींद की कमी या खराब स्लीप पैटर्न भी सिरदर्द को ट्रिगर करता है। अच्छी नींद से शरीर और दिमाग रिचार्ज होता है।
- डिहाइड्रेशन- अगर आप पानी कम पीते हैं और शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या बनी रहती है तो ये भी सिरदर्द का एक कारण हो सकता है। अक्सर पानी कम पीने से कारण भी एसिडिटी और सिर दर्द की समस्या बढ़ जाती है।
- आंखों का तनाव- ज्यादा समय तक स्क्रीन देखने से भी आंखों पर दबाव पड़ने लगता है। जो लोग कंप्यूटर या फिर फोन ज्यादा चलाते हैं उन्हें सिर दर्द की समस्या हो सकती है। अगर आपकी आईसाइट कमजोर है तो ये और भी बढ़ सकती है।
- साइनस की समस्या- बार-बार सिर में दर्द होना साइनस इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं। अगर आप साइनस के मरीज हैं या ऐसे लक्षण महसूस होने लगे हैं तो ये सिर दर्द का कारण भी हो सकते हैं।
- हार्मोनल बदलाव- जिन लोगों के शरीर में हार्मोंस में बदलाव आता है उन्हें सिर दर्द की समस्या हो सकती है। खासतौर से पीरियड्स के दौरान या फिर मेनोपॉज के वक्त महिलाओं को लगातार सिरदर्द बना रहता है।
- कैफीन- अगर आप डेली में कैफीन यूजर्स हैं तो कैफीन कम मिलने पर सिर में दर्द की समस्या का अनुभव हो सकता है। कई बार लोगों को चाय और कॉफी पीने के बाद सिर दर्द कम हो जाता है। ऐसे लोगों को कैफीन की कमी की वजह से सिर में दर्द होने लगता है।
हेल्थ प्रोब्लम्स
बार-बार होने वाला सिरदर्द माइग्रेन, हाई ब्लड प्रेशर या ब्रेन ट्यूमर जैसी हेल्थ कंडिशन का लक्षण हो सकता है. डायग्नोस और इलाज के लिए हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स से सलाह लेना जरूरी है.
यह ध्यान रखना जरूरी है कि अगर सिरदर्द गंभीर है लगातार है, या उल्टी, आंखों की रोशनी बदलाव, भ्रम, बुखार या न्यूरोलॉजिकल जैसे अन्य लक्षणों के साथ है, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है क्योंकि ये ज्यादा गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है.
पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द के कारण, इलाज और उपाय यहां जानें
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पीठ के ऊपरी हिस्से का दर्द (Upper Back Pain) गर्दन के नीचे से पसलियों के निचले हिस्से तक कहीं भी हो सकता है. इस तरह से देखें तो यह पीठ का ऊपरी और बीच का हिस्सा है. इस हिस्से की रीढ़ को थोरासिक स्पाइन (thoracic spine) कहा जाता है. थोरासिक स्पाइन में कुल 12 छोटी हड्डियां और वर्टेब्रे (Vertebrae) होते हैं. थोरासिक स्पाइन में मौजूद हर एक वर्टेब्रे पसलियों के एक जोड़े से जुड़ी होती है. पीठ के इस ऊपरी हिस्से में डिस्क (Disc) भी होती हैं जो हर एक वर्टेब्रे को अलग करती हैं. जब आप किसी भी तरह की गतिविधि करते हैं तो यही डिस्क शॉक को एब्जॉर्ब करती हैं.
कॉमन नहीं है ये दर्द
पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द आम बात नहीं है. जबकि गर्दन और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना बहुत ही आम बात है. ऐसा इसलिए क्योंकि पीठ के ऊपरी हिस्से की हड्डियां गर्दन और कमर के निचले हिस्सी की हड्डियों के जितना हिलती और मुड़ती नहीं हैं. पीठ के ऊपरी हिस्से की हड्डियां पसलियों के साथ मिलकर पीठ को स्टेबल रखने का काम करती हैं. यह सब एक साथ मिलकर शरीर के बहुत ही महत्वपूर्ण अंगों (Vital Organs) को बचाने का काम करते हैं. इन महत्वपूर्ण अंगों में दिल और फेफड़े (Heart and Lungs) भी शामिल हैं.
क्यों होता है Upper Back Pain?
जैसा कि हमने ऊपर बताया अपर बैक पेन के कई कारण हो सकते हैं. चलिए जानते हैं इस दर्द के कुछ बहुत ही आम कारणों के बारे में –
- खिंचाव या मोच : जी हां, पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द के सबसे आम कारणों में पीठ में खिंचाव और मोच (Strains and Sprains) शामिल हैं. किसी भारी चीज को उठाने या गलत तरीके से उठाने की वजह से मांसपेशियों, टेंडन और लिगामेंट्स में चोट लग सकती है, जिसके कारण पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है.
- खराब पॉश्चर : पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द से परेशान कई लोग ठीक से सीधे खड़े भी नहीं हो पाते. व्यक्ति टेढ़े या मुड़े हुए खड़ा हो सकता है, जिसमें उसका धड़ रीढ़ की हड्डी के साथ सीधा होने की बजाय एक ओर झुक जाता है.
- डिस्क की समस्या : रीढ़ में अपनी जगह से डिस्क खिसक सकती है या उसमें सूजन आ सकती है, जिसके कारण वह तंत्रिकाओं (Nerves) पर दबाव डालने लगती है. डिस्क टूट भी सकती है, जिसे हर्निएटिड डिस्क (Herniated Disk) कहा जाता है.
- फ्रैक्चर : किसी कार एक्सीडेंट जैसी स्थिति में रीढ़ की हड्डी टूट सकती है, जिसके कारण पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है.
- गठिया : पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द का एक सबसे आम कारण ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) है.
पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द के लक्षण
दर्द तो दर्द ही होता है, इसका लक्षण भी दर्द ही है. लेकिन पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द कई रूपों में सामने आता है, इसलिए कई बार इसके लक्षणों को लेकर लोग कंफ्यूज रहते हैं. जैसे-
- जलन या तेज दर्द होना
- थ्रॉबिंग पेन यानी अंदर हथोड़े चलने जैसा महसूस होना
- मांसपेशियों में अकड़न या जकड़न
- नर्व के साथ आगे-पीछे जाता महसूस होता दर्द
- झुनझुनी, सुन्न होना या उस हिस्से में कमजोरी महसूस होना
Upper back pain का इलाज क्या है?
पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द का इलाज उसके कारण और लक्षणों पर निर्भर करता है. अगर पीठ के ऊपरी हिस्से में हल्के से मध्यम स्तर का दर्द हो रहा हो तो इसके लक्षणों का इलाज घर पर ही आसानी से किया जा सकता है. इसके लिए आप निम्न में से कुछ उपाय अपना सकते हैं.
- ओवर द काउंटर दर्द निवारक और एंटी इंफ्लामेट्री दवाएं ले सकते हैं
- दर्द और अकड़न से छुटकारा पाने के लिए हीट पैड का इस्तेमाल करें
- दर्द और सूजन को कम करने के लिए आइस पैक का उपयोग किया जा सकता है
- मेडिसिनल मसाज भी अच्छा उपाय है
- इसके अलावा आपको खूब सारा आराम करना चाहिए.
Upper back pain से बचने के लिए आपको निम्न कुछ उपाय करने चाहिए. इन्हें नियमित तौर पर करने से आप पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द से दूर रह सकते हैं.
- एक्सरसाइज – अपने पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए स्ट्रेच करें.
- पॉश्चर सुधारें – सीधे खड़े हों और सीधे ही बैठें. आपको झुकना नहीं चाहिए.
- तनाव कम करें – गहरी सांस लें, विश्राम करने वाले व्यायम करें और मेडिटेशन भी किया करें.