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भाजपा के लिए विश्लेषण जरूरी, केन्द्र सरकार की योजनाओं और मोदी के इतने काम के बावजूद अपेक्षा से सीटें कम क्यों ?

भीलवाड़ा जिलाध्यक्ष त्रिपाठी के कार्यकाल में कॉग्रेस दोनों चुनाव हारी

भीलवाड़ा । लोकसभा चुनाव और सत्ता के महासंग्राम के आज आए चौंकाने वाले नतीजों के चलते भाजपा को अब विश्लेषण और आंकलन की जरूरत है कि आखिर जीत के लिए प्रयासों में कहां चुक हुई है और मोदी के चेहरे पर लड़ा गया चुनाव और केंद्र सरकार की इतनी जन कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद अपेक्षा से इतनी कम सीटें क्यों मिली है जबकि चुनावी सभाओं में भाजपा ने “अबकी बार 400 का नारा” बुलंद किया था। लेकिन 300 का आंकड़ा भी नहीं छु पाई है, क्या यह माना जाए की भावी सांसदों ने सिर्फ मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा और जनता के बीच नहीं गए जिसका खामियांजा सीटें गंवाकर भुगतना पड़ेगा। दुसरी और ईवीएम पर उठने वाले “हाथ” को मिली सीटों ने विपक्ष को चुप रहने पर मजबुर कर दिया है। दंगल के बीच पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए मंगल साबित हुआ है और वह अपना गढ़ बचाने में कामयाब रही है। वहीं यूपी में मोदी-योगी की जोड़ी पर अखिलेश-राहुल की जोड़ी भारी साबित हुई है, ऐसा माना जा रहा है। वहीं युपी के परिणाम को गंभीरता से लेते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने इमरजेंसी बैठक बुलाई है। अयोध्या से चुनाव लड़ने वाले और रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल भी चुनाव हार गए हैं। राम की नगरी में राम की हार सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है। अब बात करें वस्त्रनगरी भीलवाड़ा की तो यहां पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी के कार्यकाल में कांग्रेस दोनों चुनाव हार गई है। जिसको लेकर यहां से भीलवाड़ा के भागीरथ कहे जाने वाले और प्रत्याशी सीपी जोशी ने जनादेश स्वीकारते हुए अपनी हार स्वीकार की है। कांग्रेस ने चंबल के पानी पर चुनाव लड़ा जबकि भाजपा ने केंद्र की जनकल्याणकारी योजनाओं और मोदी लहर पर विश्वास जताया और जबरदस्त मतों से जीत हासिल की है। राजस्थान में भजनलाल सरकार भी लोकसभा चुनाव में अपनी कोई अमिट छाप नहीं छोड़ पाई और 14 सीटों पर सिमट कर रह गई। इस चुनावी दंगल में कांग्रेस भी अपना कोई खास असर नहीं दिखा पाई जबकि इंडिया गठबंधन ने 233 पर अपना कब्जा जमाया है। वहीं मध्यप्रदेश और गुजरात में भाजपा को जबरदस्त बहुमत मिला है। उम्मीद से ज्यादा सीटें गंवाने वाली भाजपा अब उन जिलों के संगठन स्तर पर क्या बदलाव करेगी और क्या एक्शन लेगी, ये देखनी वाली बात होगी। सात चरणों में हुए चुनाव के दौरान कम हुए वोटिंग प्रतिशत से शुरू से ही लग रहा था की परिणाम चौंकाने वाले भी आ सकते हैं।

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