शहीदों की शहादत को किया नमन
शाहपुरा-शाहपुरा ज़िलाधीश टीकम चंद बोहरा ने शाहपुरा के श्री केसरी सिंह बारहट राजकीय संग्रहालय का अवलोकन किया।
इस मौके पर संग्रहालय में स्थित अमर शहीद केसरी सिंह बारहट,जोरावर सिंह बारहट व प्रताप सिंह बारहट की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें याद किया तथा क्रांतिकारी वीर शहीदों की शहादत को नमन किया।
संग्रहालय की कर्मी कमलेश कंवर राजावत, सुशीला देवी ने जिलाधीश बोहरा को बताया कि यह स्मारक श्री केसरी सिंह बारहठ की हवेली के नाम से प्रसिद्ध है। इसका निर्माण 19 वीं सदी में हुआ था। राजस्थान सरकार द्वारा इसे 1974 ईसवीं में संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित किया। तत्पश्चात इसे संग्रहालय रूप में विकसित किया गया। यहाँ पर
श्री केसरी सिंह बारहठ और उनके परिवार के
सदस्यों की क्रांतिकारी एवं शैक्षणि गतिविधियों
के प्रमाण रूप में उपलब्ध पुरावस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।
कर्मियों ने भारत की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारी तीनों वीरों के शौर्य, पराक्रम व वीर गाथाओं का बखान करते हुए शस्त्र दीर्घा, चित्र दीर्घा व प्रदर्शनी दीर्घा का अवलोकन करवाया। बोहरा ने संग्रहालय में रखे अस्त्र-शस्त्रों, बारहट बंधुओं के परिवार जनों के चित्रों, आजादी के लिए जेल में बंद रहते हुए लिखे पत्रों का बारीकी से अध्ययन किया। संग्रहालय के प्रदर्शनी कक्ष में रखें उनके परिधानों व अन्य वस्तुओं को देखा।
बोहरा ने व्याख्यान कक्ष में लगे प्रोजेक्टर के माध्यम से क्रांतिकारी वीर शहीदों पर बनी डॉक्यूमेंट्री को भी देखा। इस दौरान बोहरा ने संस्थान के पदाधिकारियों के बीच अपने विचार साझा करते हुए क्रांतिकारी बारहट बंधुओं पर एनिमेशन फ़िल्म बनाने व चित्र प्रदर्शनी हेतु सुझाव दिए।
इस दौरान वहां उपस्थित अमर शहीद कु प्रताप सिंह बारहठ संस्थान के सचिव कैलाश सिंह जाड़ावत ने जिला कलेक्टर से अनुरोध किया कि बारहठ हवेली का जीर्णोदार सन 2018 में किया था। फिर भी विजीटर्स (दर्शकों)की संख्या नगण्य रह रही है। इस हेतु बारहठ हवेली की दीवारों पर चित्र प्रदर्शनी लगवाने तथा इसे केसरी सिंह बारहठ शोध संस्थान के रूप में विकसित करवाने के लिए मार्गदर्शन करने का अनुरोध किया।
*पुस्तक व स्मृति चिन्ह भेंट किया:-* संस्थान सचिव जाड़ावत व संस्थान के डॉ हरमल रेबारी, रामस्वरूप काबरा, रघुवीर सिंह, सत्यनारायण सेन आदि ने जिला कलेक्टर बोहरा व उनकी धर्मपत्नी को उपर्णा, स्मृति चिन्ह व फतह सिंह मानव की पुस्तक मेरे संस्मरण नाम की पुस्तक भेंट करते हुए स्वागत, सम्मान किया।