विधानसभा में कांग्रेस विधायक का बड़ा आरोप
पंचायतों में विकास कार्यो के लिए अधिकारी ले रहे सरपंचों से 10℅ राशि, अधिकारियों का ये कैसा गठबंधन
बूंदी। स्मार्ट हलचल/राजस्थान के बूंदी शहर से कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने गुरुवार को विधानसभा में स्थग्न आदेश पर चर्चा के दौरान जिला परिषद और पंचायत समिति में लगे अधिकारियों पर जनप्रतिनिधियों की दुर्दशा कर सम्मान नहीं देने के खुले आरोप लगाए है। विधायक शर्मा ने कहा पंचायती राज संस्थाओं में जनता के बीच से चुने हुए जनप्रतिनिधियों को अधिकारियों के द्वारा सम्मान नहीं दिया जा रहा है। पंचायतों में सरपंचों की दुर्दशा की जा रही है। शर्मा ने आरोप लगाया कि अब एक नई परम्परा शुरू हो गई है, जिला परिषद और पंचायत समिति के विकास अधिकारियों का आपस मे गठबंधन होने लगा है। विधायक ने बड़ा आरोप लगाते हुए सदन को बताया कि जिला परिषद के द्वारा जो विकास के काम पंचायत समितियो में दिए जाते है उन्हें देने के लिए अधिकारी उन सरपंचों से 10 प्रतिशत राशि लेकर कार्यो की स्वीकृति जारी कर देते है।
जीतना पैसा स्वीकृत होता है, उसका 50% भी काम पंचायतों में नही हो रहा
कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने सदन को बताया कि 10% राशि जिला परिषद और पंचायत समिति ले लेते है, 10% ही स्थानीय अधिकारी, 10% राशि सरपंच और 10% राशि व्यवस्था में खर्च हो जाती है। उन्होंने बताया कि जितना पैसा स्वीकृत होता है उससे 50% भी काम पंचायतों में नही होता है। ऐसे हालात खराब हो रहे है। उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाते हुए कहा कि जो अनुदान केंद्र सरकार को जिला परिषद और पंचायत समितियों को देना था आज तक नही दिया। शर्मा ने बताया कि वर्ष 2023-24 की द्वितीय क़िस्त की राशि 872 करोड़ और चालू क़िस्त की राशि 2 हजार करोड़ कुल 2872 करोड़ राशि बकाया चल रही है। विधायक ने कहा कि अगर पंचायतों को बकाया अनुदान मिले तो इनमें रुके पड़े विकास कार्य हो सकेंगे।
7 से 8 माह तक नही हो रही सभा और मीटिंग
कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने अपने बात शुरू करते हुए कहा कि पंचायती राज की जो स्थापना हुई और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नागौर में इसकी शुरुआत की तब 72-73 का जो संविधान संशोधन हुआ उसमे जो अधिकार जनप्रतिनिधियों को दिए गए उसके बाद राजस्थान में वर्तमान में पंचायती राज संस्थाओं की क्या दुर्दशा हुई उसके सम्बंध में सदन को बताना चाहता हूं। विधायक शर्मा ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं की जो सभा और मीटिंग समय पर होना चाहिए वह निर्धारित समय से 7 से 8 माह के अंतराल में भी नही हो पा रही है।