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सीपी अखिल की इमानदारी से कानपुर में बंद हुआ रिश्वत के बल पोस्टिंग का धंधा , परेशान भ्रष्ट थानेदार

सीपी अखिल की इमानदारी से कानपुर में बंद हुआ रिश्वत के बल पोस्टिंग का धंधा , परेशान भ्रष्ट थानेदार

– थानों और चौकियों की बिक्री को लेकर पूर्व में काफी चर्चा में रह चुका कानपुर

– ट्रांसफर माफिया दद्दा के जरिए कानपुर में पहले खुलेआम होती थी थानों ,चौकियों की नीलामी, करोड़ों ले गए कई भ्रष्ट अधिकारी

– थानों और चौकियों को अपना घर मकान मान उस समय थानेदार रूपी किराएदारों से पगड़ी के साथ मासिक किराया भी किया जाता था वसूल

सुनील बाजपेयी
कानपुर। स्मार्ट हलचल/यहां पहले की तरह रिश्वत के बल पर मनचाही पोस्टिंग में सफलता नहीं मिलने से कतिपय भ्रष्ट पुलिस वाले आजकल बहुत परेशान, हताश और निराश बताये जाते हैं। मतलब अब उनका रिश्वत के बल पर मनचाही पोस्टिंग कराने का सपना किसी भी तरह से पूरा नहीं हो पा रहा है, जिसकी असली वजह है ,यहां के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार की कर्तव्य के प्रति परिश्रम पूर्ण प्रगाढ़ निष्ठा और उनकी बेहद ईमानदारी। यही वजह है कि यहां के सभी 52 थानों में ऐसा कोई थाना नहीं है, जहां किसी भी थानेदार को पूर्व की तरह रिश्वत के बल पर पोस्टिंग कराने में सफलता मिली हो और फिर उसी के बदले उसे विभिन्न हड़कंडों से दस गुना पैदा करने का मौका मिला हो या मिल रहा हो।
इसी आधार पर भरोसेमंद का दावा है कि अगर भ्रष्ट थानेदारों का बस चले तो वे किसी ऐसे भ्रष्ट्र को कानपुर का पुलिस कमिश्नर बनवा दें ,जो मनचाही पोस्टिंग करने की अपनी कीमत ले और बदले में उन्हें भी कमाने का मौका दे।
वैसे कानपुर को आज भी वह समय याद है, जब रिश्वतखोरी के रूप में अधिक से अधिक कमाई के लिए अनेकानेक भ्रष्ट पुलिसकर्मी उस समय बहुत खुश हुआ करते थे ,जब वे ले देकर अपनी मनचाही पोस्टिंग कराने में सफल रहते थे । मतलब अधिकांश भ्रष्ट पुलिस वालों की महाभ्रष्ट माने उन अधिकारियों से ही ज्यादा पटती रही है, जो उस समय 50 हजार से लेकर चार – पांच लाख में थानों और पुलिस चौकियों आदि को भी सरेआम नीलाम करने के साथ ही सुरा और सुन्दरी के सेवन के लिए भी कुख्यात माने जाते रहे हैं।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक कानपुर में पोस्टिंग के उस कालखंड में कुछ को छोड़ कर बाकी नियुक्त रहे कई भ्रष्ट आई पी एस अधिकारी कुख्यात ट्रांसफर माफिया लल्ला उर्फ दल्ला उर्फ दद्दा के माध्यम से भी थानाध्यक्ष बनाने के लिए कम से कम तीन से पांच लाख और चौकी के लिए पचास हजार खुले आम लेते थे, यही नहीं सिपाहियों के तबादले का रेट भी पंद्रह से लेकर बीस हजार तक कर रखा गया था। मतलब उस समय नियुक्ति के मामले में थानों और चौकियों की हालत वही थी ,जो दुकान – मकान मालिक और किरायेदार के बीच होती है। यानी थानों और चौकियों को अपना मकान और दुकान मानने वाले यहां ऐसे भी कई पुलिस अधिकारी पोस्ट रहे , जो उस समय कुख्यात ट्रांसफर माफिया लल्ला उर्फ दल्ला उर्फ दद्दा आदि के माध्यम से थानेदार रुपी किरायेदारों से लाखों की पगड़ी के साथ हर माह लाखों रुपये उसका किराया भी वसूलते थे और जो भी थानेदार अदा करने में अक्षम रहता था, उससे थानों और चौकियों रुपी मकान को तत्काल खाली कराकर उसे दे दिया जाता था ,जो हर माह बढ़ा हुआ किराया देने में सक्षम होता था।
जानकार सूत्रों की नजर में अब जहां तक वर्तमान परिस्थितियों का सवाल है। अगर कोई भी पुलिस वाला रिश्वत के बल पर मनचाही कमाऊ पोस्टिंग हासिल करना चाहता है तो उसकी यह तमन्ना तब तक पूरी नहीं हो सकती, जब तक यहां पुलिस कमिश्नर के रूप में कानपुर की कमान कानून और शांति व्यवस्था के पक्ष में अपराधियों के खिलाफ सफल मोर्चा खोले और हर स्तर की अनुचित सिफारिशों को जूते की नोक पर मारने के लिए भी चर्चित निष्पक्ष और पारदर्शी कार्यशैली के ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस अखिल कुमार के हाथ में है। इसी के साथ यह भी जान लेना चाहिए कि पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा और ईमानदारी से समझौता आजतक नहीं किया। और ना ही कभी करेंगे। वह एक दिन भी यहां रहें अथवा ना रहें। मतलब अब वह समय चला गया ,जब मुंह मांगी कीमत जमा करने के बदले मनचाही नियुक्ति वाली आदेश पर्ची मिल जाया करती थी। थाने के लिए भी और चौकी के लिए भी, लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला, क्योंकि आजकल पुलिस कमिश्नर के रूप में कानपुर की कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली यूपी सरकार की मंशा पर हर दृष्टिकोण से खरे उतरने वाले बेहद ईमानदार और कर्तव्य के प्रति बेहद निष्ठावान आई पी एस अखिल कुमार के हाथ में है। और यह वही वरिष्ठ आईपीएस अखिल कुमार हैं, जिनकी निष्पक्ष, पारदर्शी और कठोर परिश्रम पूर्ण ईमानदार कार्यशैली तथा व्यवहार से सदैव यही प्रमाणित हुआ है कि अच्छे कार्यों के लिए हर स्थिति में और हर तरह से साथ देते हुए मातहतों का मनोबल बढ़ाना, कार्य सरकार के प्रति लापरवाही, जानबूझ कर किए गये अपराध ,गल्ती पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करना और भ्रष्ट पुलिस वालों को सबक सिखा कर ही चैन की सांस लेना भी उनके जुझारू स्वभाव का प्रमुख हिस्सा है, जिसकी पुष्टि निर्दोष फंसे नहीं और अपराधी बचे नहीं जैसी विचारधारा के अनुरूप अब तक के उत्कृष्ट सराहनीय सेवा कार्यकाल में मानवीय दृष्टिकोण वाले बेहद ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार द्वारा ट्रैफिक व्यवस्था को अति सुगम बनाने के साथ ही ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत अब तक हजारों की संख्या में लग चुके सीसीटीवी कमरों के जरिए छोटी बड़ी हर घटना के अपराधियों को अति शीघ्र पकड़ने और भ्रष्ट पुलिस कर्मियों को भी भरपूर सबक सिखाने से भी होती है।
भरोसे मंद सूत्रों की नजर में यह बात दीगर है कि अगर यूपी में भ्रष्टाचार को काफी हद तक खत्म करने में पूर्ण रूप से सफल योगी आदित्यनाथ की सरकार नहीं होती तो सफेदपोश माफिया अपराधियों और भ्रष्ट्र पुलिस वालों का इरादा अवश्य ही पूरा हो गया होता। मतलब रिश्वत के बल पर मनचाही पोस्टिंग में बाधक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ वरिष्ठ आईपीएस एडीजी अखिल कुमार की जगह अब तक कोई महाभ्रष्ट्र कुंडली मारकर कानपुर में बैठ भी चुका होता।

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