सवाईपुर ( सांवर वैष्णव ):- अपना संस्थान के तत्वाधान में ग्राम उदलपुरा तहसील आसींद के किसानों ने कोटा के श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान व प्रशिक्षण केन्द्र संस्था गोयल ग्रामीण विकास संस्थान में जैविक खेती प्रशिक्षण प्राप्त किया । प्रहलाद राय मेेघवंशी व महेश चन्द्र नवहाल के नेतृत्व में किसानों की बस प्रातः काल रवाना हुई। जो दोपहर 11:00 बजे कैथून स्थित इस संस्थान पहुंची । जहां पर सर्वप्रथम जैविक प्रशिक्षण हेतु पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन पीपीटी द्वारा किसानों को गोबर, गोमूत्र, जैविक खेती, मेड बंदी ,बाडबंदी, खेत में वृक्षारोपण, गोपालन, पुष्पों की खेती, खाद बनाना, स्प्रे तैयार करना जैसे कई विषयों पर प्रशिक्षण वार्ता का आयोजन किया गया । इस 2 घंटे की प्रशिक्षण के पश्चात किसान वही संस्थान स्थित फील्ड विजिट के लिए पहुंचे। इस संस्थान के खेतों में जैविक खेती के सभी पद्धति लगाकर उसका प्रदर्शन किया हुआ है। हर फील्ड का एक एक्सपर्ट साथ-साथ किसानों को अपने फील्ड की विशिष्ट जानकारियां देता चला गया। लगभग 3 घंटे के फील्ड विजिट के पश्चात किसान वापस प्रशिक्षण हॉल में पहुंचे। जहां उनके शंका, प्रश्न और जिज्ञासाओं को वैज्ञानिक तरीके से प्रतिउत्तर देकर जिज्ञासा को शांत किया गया ।।
खाद बनाने की विधि सीखी
सामान्य ग्रामीण अपने पशुओं का अपशिष्ट रोड़ी में डालकर 1 साल तक पकाते हैं । फिर खेत में काम लेते हैं । इस संस्थान में खाद बनाने का विशिष्ट प्रयोग बताया गया । इस प्रयोग के अंतर्गत खाद 45 से 60 दिन में बनकर तैयार हो जाती है । इस प्रयोग के लिए किसानों को घर के बाहर का कुछ भी नहीं खरीदना होता है । इस पद्धति में गुड 2 किलो गोबर 30 किलो छाछ 30 किलो की आवश्यकता होती है। सर्वप्रथम गुड, छाछ और गोबर को अच्छे तरीके से मिलाने के पश्चात पानी डालकर बहुत अच्छी तरह से मिला लेते हैं । इसके पश्चात रोड़ी में बांस आदि से जगह-जगह छेद करते हैं । छेद करने पश्चात यह गोल तैयार हुआ है इस गोल को उन छेड़ो में भर देते हैं । बचा हुआ गोल बचता है उसको रोड़ी पर डाल देते हैं । तत्पश्चात रोडी पर घास आदि डालकर ढक देते हैं। यह करने के पश्चात 45 से 60 दिन में बहुत अच्छी किस्म का खाद तैयार हो जाती है । खाद तैयार हो जाने के पश्चात इस खाद को बहुत लंबे समय तक पडा नहीं रखना चाहिए उसको खेत में डाल देना चाहिए या उसको किसी अच्छे बोरे में भरकर छाया में सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए। इस खाद पर अनावश्यक धूप वर्षा आदि न पड़े जिससे इसकी गुणवत्ता खराब ना हो। किसानों को इस प्रकार खाद बनाने का एक सरल तरीका बिना किसी खर्चे प्रशिक्षण में बताया गया। इसी प्रकार जैविक स्प्रे तैयार करने के भी बहुत सारे तरीके किसानों को बताए गए। खेती में नवाचार करने के लिए यहां विशेष प्रकार के कई नवाचार दिखाए गए हैं जिसे देखकर किसान आनंदित हुए । यहां एक एक बीघा में ऐसी पोषण वाटिका लगाई गई है जिसमें एक बीघे में 17 प्रकार की फैसले बोई गई है । यह फसले रवि खरीफ में अलग-अलग होकर 35 फासले हो जाती है । यह एक बीघा एक परिवार के लिए सभी प्रकार के अनाज दलहन तिलहन सब्जियों फलों की आपूर्ति कर सकता है । इस प्रकार विभिन्न प्रकार के नवाचार यहां पर प्रदर्शित किए गए हैं यह सब नवाचार किसानों ने देख विचार किया एवं प्रशिक्षण में सभी किसानों ने इन नवाचारों को अपने खेतों में लागू करने की वचनबद्धता दोहराई । इस प्रशिक्षण में कल तीन तहसीलों के 7 ग्रामों के 33 किसान इस प्रशिक्षण में पहुंचे थे । जिनमें उदलपुरा, गांगलास, तिलोली, पितास, सोपुरा, लाडपुरा, मांडलगढ स्थानों के सूरेश कुमावत, लादू लाल कुमावत, नारायण कुमावत, भोलू राम मेघवंशी , राजकुमार मेघवंशी, मांगू भील, राजू लाल मेघवंशी, डाली बाई, गणि बाई, शंकर लाल गुर्जर, हरिशंकर बोरेठ, श्याम लाल दाधीच, अरविंद बलाई। प्रह्लाद सिह भाटी, शिवजी गिरी आदि किसान इस प्रशिक्षण में शामिल हुए ।।