सुअरों से फसल समाप्ति से किसान परेशान – रामेश्वर प्रसाद चौधरी युवा प्रदेशाध्यक्ष किसान महापंचायत राजस्थान
स्मार्ट हलचल टोंक/किसान महापंचायत द्वारा चलाए जा रहे किसानों की जागृति को लेकर किसान गांव के संग अभियान के तहत भरथला गांव में बालाजी के मंदिर पर किसानों के साथ बैठक आयोजित की गई।बैठक में किसानों की प्रमुख मांग तो यह रही की अतिवृष्टि के कारण पहले से ही फसल चौपट हो गई रहीं हुई फसल को अब सुअरों द्वारा नष्ट किया जा रहा है। किसान रात्रि कार्य सुअरों से फसल को बचाने के लिए खेतों में ही सोना पड़ रहा है। किसान की पीड़ा सुनने के लिए निवाई उपखंड स्तर पर किसान महापंचायत के साथ अधिकारियों की चर्चा हुई जिसमें सुअरों को पकड़ने के लिए विकास अधिकारी एवं वन विभाग के अधिकारियों को पाबंदित किया गया। दो महीने बाद भी उपखंड अधिकारी के आदेशों की पालना तक नहीं हुई।किसान महापंचायत द्वारा बड़े आंदोलन की रणनीति को लेकर गांव-गांव ढाणी दिन और रात किसानों से संपर्क किया जा रहा है। ईआरसीपी में उपखंड अधिकारी को निवाई में नहरो द्वारा खेतों पानी उपलब्ध कराने को लेकर भी चर्चा हुई जिसमें अब-तक भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसी प्रकार निवाई के बाजार में किसानों को जबरदस्ती यूरिया डीएपी उर्वरक के साथ अन्य उत्पादों को दिया जा रहा है इसे रोकने के लिए कोई अभियान तक नहीं चलाया जा रहा है इस प्रकार स्थानीय समस्याओं के निराकरण के लिए भी बार-बार अधिकारी से संपर्क करने के उपरांत भी कोई कार्यवाही नहीं हो पाई अब किसान महापंचायत बड़े आंदोलन की तैयारी को लेकर जनसंपर्क अभियान लगातार किसान गांव के संग कार्यक्रम आयोजित कर रही है। जिसमें गांव के मध्य महिला पुरुष किसानों की भागीदारी के साथ बड़ी मिटेंगे भी आयोजित होगी। ब्लॉक निवाई अध्यक्ष दशरथ सिंह खेती के साथ- साथ में किसानों के हितों में जागृति अभियान के मुखिया के रूप में भूमिका निभाते हुए किसानों से संपर्क करके मीटिंग का आयोजन की जिम्मेदारी को भली-भांति निभा रहे हैं। इसी प्रकार 23 सितंबर को ग्राम पंचायत बहड़ में आयोजित होगी तथा 26 सितंबर को श्रीरामपुरा पंचायत मुख्यालय पर मीटिंग का आयोजन किया जाएगा। उपाध्यक्ष निवाई गोविन्द पलेई ने किसानों से कहां की आपकों अपने वोट की ताक़त को पहचानने की आवश्यकता है जो व्यक्ति किसानों के हितों में कार्य करें उसे ही वोट करें पार्टीयों में बंटने से किसानों की पीड़ाओं की सुनवाई नहीं हों रहीं हैं। किसान की फ़सल चौपट होने के उपरांत भी किसानों के पास स्थानीय जनप्रतिनिधि, उपखंड अधिकारी, तहसीलदार तक नहीं पहूंचे। आने वाले जिला परिषद चुनाव में किसान का वोट किसानों के हकों के लिए लड़ने वाले को होगा।