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महानिदेशक जेल बने गोविन्द गुप्ता


चुनौतियों का सामना कर पहले प्रयास में बने आईपीएस

जाने कौन है सरकारी विद्यालय से पढ़कर आईपीएस बनने वाले गोविंद गुप्ता


लेखक- मदन मोहन भास्कर

स्मार्ट हलचल/आईपीएस गोविंद गुप्ता मूलरूप से राजस्थान के करौली जिले के रहने वाले हैं। वर्ष 1993 में आईपीएस में चयनित हुए। प्रशिक्षण के उपरान्त ये अलवर में सहायक पुलिस अधीक्षक बने। जयपुर दक्षिण में भी इन्होंने सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया। बाद में जुलाई 1998 में इनको धौलपुर एसपी के रूप में जिम्मेदारी मिली। ये नागौर, सवाई माधोपुर, कोटा ग्रामीण, भीलवाड़ा, उदयपुर और एंटी करप्शन ब्यूरो में भी एसपी के रूप में कार्यरत रहे।


जीवन परिचय और शिक्षा✍

आईपीएस गोविन्द गुप्ता का जन्म 8 जनवरी 1968 को करौली में हुआ। इनके पिता का नाम कल्याण प्रसाद और माता वसंती देवी है। आईपीएस गोविंद गुप्ता ने एक मुलाकात में मदन मोहन भास्कर को बताया कि मेरी प्राथमिक शिक्षा करौली में हुई और 8वीं तक की शिक्षा करौली के ही बापू मिडिल स्कूल से प्राप्त की। 12वीं की परीक्षा 1985 में करौली के सरकारी कॉलेज उत्तीर्ण की। 1989 में मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद से बी.टेक किया और 1991 में आईआईटी दिल्ली से कम्प्यूटर साइंस से एम.टेक की डिग्री प्राप्त की। 1991 से 1994 तक मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल में प्रोफेसर रहे। इसी दौरान इन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी थी जिसमें पहले प्रयास में ही आईपीएस बन गये थे।


डीआईजी से डीजी बनने तक का सफर

फरवरी 2008 से दिसंबर 2010 तक डीआईजी के रूप में कार्य करने के बाद वे पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के पद पर पदोन्नत हुए। उदयपुर, बीकानेर और कोटा जैसे बड़े संभाग में रेंज आईजी भी रहे। जुलाई 2018 में गोविंद गुप्ता अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) के पद पर पदोन्नत हुए और सबसे पहले विजिलेंस में तैनात रहे। जनवरी 2021 से वे लगातार पुलिस प्लानिंग, मॉडर्नाइजेशन और वेलफेयर के एडीजी रहे। जुलाई 2024 में डीजी पद पर पदोन्नत होने पर फिलहाल वे इसी पद पर कार्यरत थे। अब महानिदेशक पद की पहली पोस्टिंग महानिदेशक, जेल, राजस्थान, जयपुर में मिली है।

 


चुनौतियों का सामना कर पहले प्रयास में बने आईपीएस

सीमित साधनों के बावजूद बड़े सपने देखने वाले राजस्थान के करौली जिले के गोविंद गुप्ता पहले प्रयास में ही आईपीएस बने थे।यह इनके कठिन परिश्रम और समर्पण का परिणाम का ही फल था।


राष्ट्रपति से हो चुके हैं सम्मानित

आईपीएस गोविन्द गुप्ता ने अपने करियर में बहुत सी चुनौतियों का सामना किया। इन्होंने उन क्षेत्रों में काम किया। जहाँ अपराध और सामाजिक-आर्थिक समस्याएं ज्यादा थी। आईपीएस गुप्ता इन क्षेत्रों में पॉजिटिव बदलाव लाने के लिए अधिक मेहनत की। इन्होंने पुलिस और जनता के बीच विश्वास बनाने पर जोर दिया। लोगों के प्रति लंबी और विशिष्ट सेवा के लिए आईपीएस गोविन्द गुप्ता राष्ट्रपति से पुलिस पदक से पुरस्कृत हो चुके हैं।


जुलाई 2024 में बने डीजी

राजस्थान कैडर के 1993 बैच के आईपीएस गोविन्द गुप्ता का जुलाई 2024 में डीजी पद पर प्रोमोशन हुआ था। जुलाई 2024 में कार्मिक विभाग ने आदेश जारी किए थे।


राजस्थान में 8 आईपीएस हैं डीजी रैंक के अफसर

राजस्थान में कुल 8 आईपीएस अफसर डीजी रैंक के हैं। इनमें सबसे सीनीयर 1988 बैच के आईपीएस उत्कल रंजन साहू वर्तमान में राजस्थान के पुलिस महानिदेशक हैं। डीजी पद पर कार्यरत डॉ. रविप्रकाश मेहरड़ा जो वर्तमान में भ्रष्टाचार ब्यूरो निरोधक महानिदेशक है।
अन्य आईपीएस अफसरों में नीना सिंह, राजीव शर्मा, राजेश निर्वाण, हेमन्त प्रियदर्शी और संजय अग्रवाल हैं। इनमें से दो आईपीएस नीना सिंह और राजीव शर्मा फिलहाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं।

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