बानसूर।स्मार्ट हलचल/राज्य सरकार भलें हीं प्रदेश में खेल व खिलाड़ियों के विकास के तमाम दावें कर रहीं हों लेकिन हकीकत ठिक इसके विपरीत हैं। एक ओर जहां राज्य सरकार ग्रामीण व शहरी ओलंपिक गेम्स के माध्यम सें विद्यार्थियों व युवाओं को खेलों के प्रति जागरूक कर रही हैं औंर खेल प्रतिभाओं के विकास का दम भर रहीं हैं लेकिन दूसरी ओंर बानसूर में खेल व युवाओं के प्रति सरकार गंभीर नजर नहीं आ रहीं हैं। रोज़ सुबह-शाम सड़कों पर दौड़ते युवा सरकार के तमाम दावों की पोल खोल रहें हैं। युवा पुलिस,सेना व अर्धसैनिक बलों की भर्ती के लिए दौड़ लगाकर और अन्य शारीरिक मेहनत कर तैयारी में जुटे हुए हैं। लेकिन उनके पास अपनी तैयारियां कों बल देने के लिए खेल स्टेडियम भी नहीं है। खेलों के प्रति सरकार का क्षेत्र के युवाओं की उपेक्षा सें युवा निराश हैं। आपकों बता दें क्षेत्र में बड़ी तादाद में युवा सेना में अपनी सेवाएं दें रहें है औंर आगे भी सेना में जाने के लिए क्षेत्र के युवा हमेशा तत्पर रहते है। लेकिन फिजिकल में अनफिट होने की वजह से सेना में जाने का युवाओं का सपना अधूरा रह जाता हैं। अगर युवाओं को कोंच व खेल स्टेडियम मिले तो युवा शारीरिक रूप से मजबूत होकर देश सेवा में काम कर सकेंगे। इसके साथ ही कस्बें में बड़ी तादाद में महिला, पुरुष एवं युवा सुबह मॉर्निंग का वॉक के लिए भी सड़क के किनारे हीं घूमते हुए नजर आतें हैं। ऐसे में सड़क दुर्घटनाओं का अंदेशा भी बढ़ जाता हैं। अगर सरकार एक पार्क व खेल स्टेडियम का निर्माण करवा दें तो कस्बें के लोगों को मॉर्निंग वॉक व युवाओं को दौड़ लगाने के लिए सड़कों पर नहीं भटकना पड़ेगा।
राशि स्वीकृत,जमीन आवंटित पर नहीं बना खेल स्टेडियम
तत्कालीन गहलोत सरकार ने तीन वर्ष पूर्व बानसूर में खेल स्टेडियम के लिए राशि स्वीकृत की थी। लेकिन 3 साल के बाद भी युवाओं का खेल स्टेडियम का सपना आज तक पूरा नहीं हुआ। ऐसे में युवा अपने दम पर ही गांव की टूटी-फूटी सड़कों पर जान जोखिम में डालकर एवं खेतों में दौड़ लगाकर तैयारी कर रहें है हालांकि खेल स्टेडियम के लिए जमीन आवंटित हैं लेकिन वहां काफ़ी समय सें गोशाला संचालित हैं। ऐसे में युवा हताश मन से सरकार से जल्द खेल स्टेडियम विकसित करवानें की मांग कर रहे हैं।