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सत्ता विहिन होने का दर्द झेलती नजर आई पुर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा की प्रतिमा, गर्द तक साफ नहीं हुई

राजेश जीनगर, भीलवाड़ा ।
सत्ता होने और नहीं होने का दर्द क्या होता है, ये बात आज एक प्रतिमा की दुर्दशा देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। 31 अक्टूबर ऐसी तारीख जब लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनके जन्मदिन पर और आयरन लेडी के नाम से जाने जानी वाली पुर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया जाता है। भारत के इतिहास में 31 अक्टूबर की तारीख इंदिरा की हत्या के दिन के तौर पर दर्ज है। अपने फौलादी इरादों के लिए विख्यात और बड़े से बड़ा फैसला बेखौफ लेने वाली देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की इसी दिन उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 के बीच लगातार तीन बार देश की बागडोर संभाली और उसके बाद 1980 में दोबारा इस पद पर पहुंचीं और 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई थी। उसके बाद से ही आज के दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ इन्दिरा को भी याद किया जाता है। लेकिन सर्किट हाउस चौराहा पर आदमकद की इन्दिरा की प्रतिमा पर आज देरशाम तक भी गर्द जमीं नजर आई तो वहीं सत्ता विहिन प्रतिमा का दर्द भी साफ झलकता दिखाई दिया। इस दिन होने वाले आयोजन को लेकर जब पश्चिम ब्लॉक अध्यक्ष हेमेंद्र शर्मा व पार्षदा मंजू पोखरना से दुरभाष पर सम्पर्क करना चाहा तो कॉल नो रिप्लाई मिला। जानकारों की मानें तो इस प्रतिमा की एक दिन पुर्व पुरी तरह से साफ सफाई होती है और फूलों से जड़ा हार तैयार करवाया जाता है, लेकिन उसकी भी जगह आज एक रूखी-सूखी माला ने ले ली और सर्किल पुरी तरह से गंदा नजर आया।

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