सुनील बाजपेई
कानपुर। स्मार्ट हलचल/’सुनिहा अरज छठी मईया…के भजन गायन के साथ यहां ‘आज मंगलवार से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरूवात हो गयी। इसको लेकर पूर्वांचल के लोगों में भरपूर उत्साह है। आज बड़े जोर शोर से शुरु छठ पूजा का आयोजन में श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए नदी, नहरों, तालाबों, पोखरों और रजवहों में पुण्य की डुबकी लगाकर पूरे विधिविधान से छठ पूजा की। कई क्षेत्रों में सामूहिक पूजन भी किया गया। चार दिनों तक चलने वाले इस छठ महा पर्व का समापन 08 नवंबर को होगा। आज पहले दिन इसकी शुरुवात दिन नहाय-खाय, के साथ की गई। जबकि दूसरे दिन यानी आज बुधवार को खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य देते हुए समापन होगा। जैसा कि सर्व विदित हैं कि छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार होता है।
इस पर्व में भगवान सूर्य के साथ छठी माई की पूजा-उपासना विधि-विधान के साथ की जाती है। यह सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस पर्व में आस्था रखने वाले लोग सालभर इसका इंतजार करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि छठ का व्रत संतान प्राप्ति की कामना, संतान की कुशलता, सुख-समृद्धि और उसकी दीर्घायु के लिए किया जाता है। साथ ही यह भी बताते चलें कि छठ पूजा पूर्वांचल का प्रमुख पर्व है। आज से प्रारंभ होकर अगले चार दिन तक छठ पूजा का पर्व मनाया जाएगा। शहर में भी पूर्वांचल के तमाम लोग रहते हैं, इसलिए यहां भी जगह-जगह पूरे श्रद्धाभाव से छठ पूजा की जाती है।
नहाए-खाय से छठ महापर्व प्रारंभ : बहुत ही कठिन माने जाने वाले इस व्रत में 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रख जाता है। छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल उपवास रखते हैं। इस पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से हो जाती है, जिसका समापन सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है। खरना : इसके बाद 06 नवंबर को खरना यानी लोहंडा छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस साल खरना है। खरना के दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास करते हैं। फिर शाम को प्रसाद में गुड़ की खीर और रोटी बनाकर चढ़ाते हैं। इसके साथ फल का भी भोग लगाते हैं और इसके बाद इसे खाते हैं।
संध्या अर्घ्य : इसके बाद छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन छठ पर्व की मुख्य पूजा की जाती है। तीसरे दिन व्रती और उनके परिवार के लोग घाट पर आते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 07 नवंबर को दिया जाएगा। उषा अर्घ्य और पारण (सूर्य को अर्घ्य) : इसी तरह से उषा अर्घ्य और पारण 8 नवंबर को है। इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रती अपना व्रत खोलते हैं और फिर पारण करते हैं। इसी के बाद छठ पूजा का प्रसाद बंटता है और लोग सूर्य भगवान का आशीर्वाद लेकर उन्हें प्रणाम करते हैं।
छठ पूजा की महिमा : जहां तक छठ पूजा की महिमा और उसके महत्व का सवाल है। इस दौरान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस पूजा में भक्त गंगा नदी जैसे पवित्र जल में स्नान करते हैं। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर सूर्य देव और छठी माता के लिए प्रसाद तैयार करते हैं। दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है। महिलाएं इन दिनों एक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं। साथ ही चौथे दिन महिलाएं पानी में खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं और फिर व्रत का पारण करती हैं,जिसके साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जाता है।