संयुक्त निदेशक डॉ0 प्रकाश शर्मा एवं सीएमएचओ डॉ0 चेतेंद्र पुरी गोस्वामी ने किया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पुर का निरीक्षण
पीएमएसएमए अभियान के तहत गर्भवती महिलाएं हर माह की 9, 18 व 27 तारीख को कराए अपनी निशुल्क जांच
भीलवाडा, 9 नवंबर। स्मार्ट हलचल/प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से शनिवार को गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की गई। चिकित्सा विभाग की ओर से प्रत्येक माह की 9, 18 एवं 27 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) मनाया जाता है। अभियान के दौरान संयुक्त निदेशक जॉन उदयपुर डॉ.प्रकाश शर्मा और सीएमएचओ डॉ.चेतेंद्र पुरी गोस्वामी ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पुर का निरीक्षण कर गर्भवती महिलाओं को दी जा रही निशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी लेकर आवश्यक दिशा निर्देश चिकित्सा अधिकारियों को दिए इस दौरान गर्भवती महिलाओं को पोषण की जानकारी देकर गुड़ व चने का वितरण किया
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गोस्वामी ने बताया कि अभियान के दौरान हर माह की 9, 18 व 27 तारीख को नियमित रूप से जिले के पंजीकृत निजी जांच सेन्टरों पर मां वाउचर योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को निशुल्क सोनोग्राफी का लाभ दिया जा रहा है उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व जांच सुविधाएं देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस का आयोजन किया जाता है, जिससे गर्भावस्था व प्रसव के दौरान जोखिम को कम करने में मदद मिल सके। उन्होंने ने बताया कि जिले के चिकित्सा संस्थानों पर मनाए गए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस के तहत शनिवार को विशेषज्ञ चिकिसकों द्वारा गर्भवती महिलाओं की जाँच की गई। गर्भवती महिलाओं का हिमोग्लोबिन, ब्लड प्रेशर, शुगर, लंबाई, एचआईवी, सिफलिश आदि जांच कर उनको गर्भ में पल रहे शिशु और स्वयं की देखभाल के विषय मे बताया गया। साथ ही उन्हें पोषणयुक्त आहार के बारे में जानकारी देकर गुड़ व चने का वितरण भी किया
सीएमएचओ डॉ0 चेतेन्द्र पुरी गोस्वामी ने बताया कि राजस्थान बजट घोषणा के अनुसार निजी सोनोग्राफी केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं को सोनोग्राफी जांच की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु मां वाउचर योजना की शुरूआत की गयी है। योजना के तहत गर्भवती महिला की दूसरी या तीसरी तिमाही में गर्भकाल के दौरान की कम से कम एक सोनोग्राफी निःशुल्क की जा रही हैं। ताकि गर्भावस्था में होने वाली संभावित जटिलताओं को समय पूर्व पता लगाकर निदान/प्रबंधन सुनिश्चित कर राज्य में मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।
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