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मैं हूं करेडा .. लेकिन शान्त स्वभाव होने से सुनने वाला कोई नहीं …

करेडा। राजेश कोठारी

मैं हूं करेडा … लेकिन शान्त स्वभाव होने से सुनने वाला कोई नहीं है …लोग मुझे शान्त गांव कहते हैं ओर यहां की राजनीति भी शान्त होती है लेकिन अचानक प्रहार करने वाली भी होती है। लेकिन मैं खामोश रहता हूं तो सबको लगता है मैं शान्त हूं … जितने मेरी सड़कों पर गड्ढे है उससे अधिक दर्द भी है मेरे, अब तो खैर सहने की आदत हो गई। इसलिए ख़ामोश रहता हूं …. । ऐसे तो कहने को में सम्पन्न हूं मेरे पाल्य( ग्राम पंचायत ) के पास अथाह पैसा है .. लेकिन मेरे हालात की चर्चा कोई नहीं करता … बरसों से एक छोटी बिमारी ( पानी, सड़क, अतिक्रमण ) से जूझ रहा हूं सब इतने व्यस्त हैं कि हर बार मरहम लगा कर चुप कर देते हैं। बारिश के मौसम में जगह जगह इतना पानी भर जाता है कि नालियां जाम हो जाती है तो नाले बन्द लेकिन सुनता कोई नहीं ..। दिनों दिन यातायात बढ़ रहा है और साथ में अतिक्रमण भी तो इसके साथ मुश्किलें भी बढती जा रही है … लेकिन ठीक कौन करे किसको अपना दर्द सुनाऊं … । कहते हैं जिस तरह शरीर में रक्त निरन्तर दौड रहा है उसी प्रकार उसी तरह अतिक्रमण सड़कों के दोनों तरफ बस स्टैंड, मुख्य बाजार, हनुमान दरवाजा में निरन्तर पसरता जा रहा है .. दोपहर के बाद तो मेरे बस स्टैंड का ऐसा दृश्य हो जाता है कि कोई वाहन आ जाए तो मुझे गाली मिलती है लेकिन रास्ता नहीं …। मुझ पर बाहर वाला कैसे दया का भाव रख सकता है जब यहां वाले भी अन्तर्मन को कुरेदने लगे जिससे मेरे शरीर पर बने घाव नासूर बन गए…। खैर कोई बात नहीं यहां वाले अधिक नहीं सोच सकते तो कोई बात नहीं लेकिन इतना तो कर सकते हैं कि अतिक्रमण हटाकर बाजार व अन्य रास्ते को सही कर दे जिससे आने जाने वाले परेशान ना हो…। यकीन करिए की जिनको मेरी जिम्मेदारी दी वो कुछ ना कर सके अगर एक जागरूक लोगों की टीम बनाकर मेरे लिए सोचते तो मुझे खुशी होती …खैर …।
जो भी हो यहां के जनप्रतिनिधि , जनता व प्रशासन के बीच तालमेल का अभाव होने से न कोई प्लान न ही तालमेल जिसको जहां कचरा डालना है डाल दो, जहां चाहो वहा गाड़ी पार्किंग कर दो …। मनमर्जी से खाली जगह देख अतिक्रमण करो, सड़कें तुड़वाओ ये काम इतने आसानी से हो जाते हैं जो नियम कायदे कानून को एक तरफ रख कर इस गांव में मजा लिया जा सकता है ….। यहां कोई किसी को कुछ नहीं बोलेगा ना कुछ कहेगा … क्यों कि यहां सब ख़ामोश है … यहां पर सब अपने काम से काम रखते हैं … चारों तरफ सन्नाटा है … इसलिए लोग वाकई में कहते हैं मैं शान्त स्वभाव वाला करेडा हूं ….।

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